सोयाबीन में बढ़ा तना मक्खी का प्रकोप, ऐसे करें प्रबंधन

  • तना मक्खी के आक्रमण के लिए उच्च तापमान के बाद वर्षा के साथ अधिक आर्द्रता का होना अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। वर्तमान में इस तरह के वातावरण के कारण तना मक्खी के प्रकोप देखा गया है।

  • खेतों में तना मक्खी से ग्रसित पौधों की, ऊपरी पत्तियां सिकुड़ने के साथ सूखती हुई दिखाई देती है। ऐसे पौधों का तना चीरकर देखें तो, तने के अंदर सुरंग सी नजर आती है, जिसमें कीट का लार्वा या प्यूपा भी नजर आता है।

  • तना मक्खी के प्रकोप को शुरुआती अवस्था में पहचानना मुश्किल है। इस कीट का प्रकोप होने पर पौधा मुरझाने या सूखने लगता है। यह कीट पत्तों पर अंडे देता है।

  • सोयाबीन की फसल में तना मक्खी के नियंत्रण के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है की, इल्ली के प्रकोप की शुरूआती अवस्था एवं तने में प्रवेश से पहले ही इसका नियंत्रण कर लिया जाए।

  • इसके लिए बवे कर्ब का छिड़काव समय समय पर करना बहुत आवश्यक है।

  • सोयाबीन की फसल में तना मक्खी के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का छिड़काव कर सकते हैं।

  • लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS@ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ या बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81 OD% @ 150 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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