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फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने में पानी की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारक होता है। पर लगातार बढ़ती हुई आबादी और जलवायु परिवर्तन के कारण ज़मीन में उपलब्ध जल की मात्रा कम होती जा रही है।
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पानी की कमी के कारण लगातार फसलों के उत्पादन में कमी हो रही है। इसी समस्या के समाधान के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति की शुरुआत हुई जो कि, किसानों के लिए एक वरदान साबित हुआ है।
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इस विधि में पानी को स्रोतों से प्लास्टिक की नलियों द्वारा सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है और साथ ही उर्वरकों को भी इनके माध्यम से पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। ऐसा करने की प्रक्रिया फर्टिगेशन कहलाती है।
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अन्य सिंचाई प्रणाली की तुलना में यह पद्धति 60-70% पानी की बचत करती है।
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ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पौधों को अधिक दक्षता के साथ पोषक तत्त्व उपलब्ध करवाने में मदद मिलती है।
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ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पानी का अप-व्यय (वाष्पीकरण एवं रिसाव के कारण) को रोका जा सकता है।
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ड्रिप सिंचाई में पानी सीधे फसल की जड़ों में दिया जाता है। जिस कारण आस-पास की जमीन सूखी रहने से खरपतवार विकसित नहीं हो पाते हैं।
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