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यह भिंडी की फसल में आने वाली एक प्रमुख समस्या है जो सफ़ेद मक्खी नामक कीट के कारण होती है।
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यह समस्या भिंडी की सभी अवस्था में दिखाई देती है और फसल वृद्धि एवं उपज को प्रभावित करती है।
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इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती हैं एवं बाद में पत्तियां पीली होकर मुड़ने लग जाती हैं।
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इससे प्रभावित फल हल्के पीले, विकृत और सख्त हो जाते हैं।
प्रबंधन:
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वायरस से ग्रसित पौधों और पौधे के भागों को उखाड़ के नष्ट कर देना चाहिए।
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कुछ किस्में जैसे मोना, वीनस प्लस, परभणी क्रांति, अर्का अनामिका इत्यादि विषाणु के प्रति सहनशील होती हैं। इनकी बुआई कर सकते हैं।
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पौधों की वृद्धि अवस्था में उर्वरकों का अधिक उपयोग न करें।
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जहाँ तक हो सके भिंडी की बुवाई समय से पहले कर दें।
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फसल में उपयोग होने वाले सभी उपकरणों को साफ रखें ताकि इन उपकरणों के माध्यम से यह रोग अन्य फसलों में ना पहुंच पाए।
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जो फसलें इस बीमारी से प्रभावित होती हैं उन फसलों के साथ भिंडी की बुवाई ना करें।
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यांत्रिक विधि से सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए 10 चिपचिपे प्रपंच/एकड़ की दर से उपयोग कर सकते हैं।
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रासायनिक नियंत्रण के लिए डाइफेंथियूरॉन 50% WP @ 250 ग्राम या एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम या इमिडाइक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिली/एकड़ की दर से स्प्रे करें।
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