तरबूज की फसल में ऐसे करें घातक कीटों का प्रबंधन

  • किसान भाइयों मौसम में परिवर्तन के कारण तरबूज की फसल में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।

  • इस समय तरबूज की फसल कहीं वानस्पतिक अवस्था में है तो कहीं फल अवस्था में। इस समय प्राय निम्न कीटों का प्रकोप मुख्यतः देखने को मिलता है। 

  • वानस्पतिक वृद्धि अवस्था में पर्ण सुरंगक, रस चूसक कीट जैसे माहू, हरा तेला, थ्रिप्स आदि का प्रकोप अधिक होता है l इनके नियंत्रण के लिए नोवालक्सम (थियामेथोक्साम 12.6%+ लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी) @ 80 मिली या पोलिस (इमिडाक्लोप्रिड 40% + फिप्रोनिल 40% डब्ल्यूजी) @ 40 ग्राम या अबासीन (एबामेक्टिन 1.9 % ईसी) @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • इन कीटों के अलावा फल मक्खी एवं रेड पंपकिन बीटल का आक्रमण भी फसल पर देखने को मिलता है l

  • फल मक्खी के नियंत्रण के लिए प्रोफेनोवा सुपर (प्रोफेनोफोस 40 % + सायपरमेथ्रिन 4% ईसी) @ 400 मिली या ट्रेसर (स्पिनोसेड 45% एससी) @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

  • फेरोमोन ट्रैप 10 प्रति एकड़ का उपयोग भी फल मक्खी नियंत्रण के लिए लाभकारी होता है।

  • रेड पंपकिन बीटल के नियंत्रण के लिए लैमनोवा (लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% सीएस) @ 250 मिली या मार्कर (बायफैनथ्रिन 10% ईसी) @ 400 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें। 

  • इन सभी कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया बेसियाना [बवे कर्ब] @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

See all tips >>