ट्राइकोडर्मा अपनाएं और फसलों में मिट्टी के माध्यम से होने वाले रोगों से सुरक्षा पाएं

ट्राइकोडर्मा दरअसल एक जैविक फफूंदनाशी/कवकनाशी है, जो कई प्रकार के रोगजनकों को मारता है। इससे फसलों में लगने वाले जड़ सड़न, तना सड़न, उकठा और आर्द्र गलन जैसे रोगों से सुरक्षा होती है। ट्राइकोडर्मा सभी प्रकार की फसलों में उपयोग किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग बीज उपचार, मिट्टी उपचार, जड़ों का उपचार और ड्रेंचिंग के लिए किया जा सकता है।

बीज उपचार के लिए, 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज की दर से उपयोग किया जाता है। यह बीज उपचार बुवाई से पहले किया जाता है।

जड़ों के उपचार के लिए, 10 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद तथा 100 लीटर पानी मिला कर घोल तैयार करें और फिर इसमें 1 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला कर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में, पौध की जड़ों को रोपाई से पहले, 10 मिनट के लिए डुबो कर रखें। कुछ इस तरह जड़ों को उपचारित किया जा सकता है।

वहीं इससे मिट्टी उपचार करने के लिए 2 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति एकड़ की दर से अच्छी सड़ी गोबर की खाद के साथ मिला कर खेत में मिलाया जाता है।

खड़ी फसल में इसका उपयोग करने के लिए एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर तना क्षेत्र के पास की मिट्टी में ड्रेंचिंग करें।

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