लौकी की खेती करने वाले किसानों के सामने अक्सर लौकी की फसल छोटे फल पीले होने की एवं सूख कर गिरने की समस्या आती है, और इससे उपज में भारी नुकसान होता है।
क्यों गिरते हैं लौकी के छोटे फल?
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पौधों में फफूंद जनित रोग होने पर फल गिरने लगते हैं।
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फसल में कीटों का प्रकोप होने पर भी यह समस्या हो सकती है।
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फसल में अनियमित सिंचाई या सिंचाई की कमी होने पर भी लौकी के छोटे फल गिरने लगते हैं।
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असंतुलित मात्रा में, उर्वरकों का प्रयोग होने के कारण से भी फल गिरते हैं।
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परागण सही नहीं होने की वजह से भी छोटे फल गिरने लगते हैं।
छोटे फलों के गिरने के शुरूआती लक्षण:
शुरूआती अवस्था में छोटे फलों के साथ लगे फूल सूखने लगते हैं और धीरे-धीरे छोटे फल पीले एवं भूरे रंग के होने लगते हैं। बाद में फल पूरी तरह सूख कर गिरने लगते हैं।
रोकथाम:
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समय-समय पर फसल का निरीक्षण करें।
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खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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आवश्यकता से अधिक सिंचाई एवं उर्वरकों का प्रयोग न करें।
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यदि फफूंद जनित रोग या फल मक्खी एवं रस चूसक कीटों के लक्षण दिखाई दे तो नियंत्रण के लिए उचित छिड़काव करें।
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