गेहूँ में दीमक प्रकोप की ऐसे करें पहचान, जानें प्रबंधन के उपाय?

  • बुवाई के बाद और कभी-कभी परिपक्वता की अवस्था पर दीमक द्वारा गेहूं की फसल को नुकसान पहुँचाया जाता है।

  • दीमक प्रायः फसल की जड़ों, बढ़ते पौधों के तनों, पौधे के मृत ऊतकों को नुकसान पहुँचाती है।

  • क्षतिग्रस्त पौधे पूरी तरह से सूख जाते हैं और आसानी से जमीन से उखाड़े जा सकते हैं।

  • जिन क्षेत्रों में अच्छी तरह सड़ी हुई खाद का प्रयोग नहीं किया जाता उन क्षेत्रों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है।

  • इसके अच्छे प्रबंधन के लिए बुवाई के पहले खेत में गहरी जुताई करें l

  • खेत में अच्छी सड़ी हुई खाद का ही उपयोग करें।

  • कीटनाशक मेटारीजियम से मिट्टी उपचार अवश्य करना चाहिए।

  • कच्ची गोबर की खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि कच्चा गोबर इस कीट का पसंदीदा भोजन है।

  • दीमक के टीले को केरोसिन से भर दें ताकि दीमक की रानी के साथ-साथ अन्य सभी कीट भी मर जाएँ।

  • बुवाई से पहले क्लोरोपायरीफॉस (20% ई.सी) @ 5 मिली/किलो बीज से बीजोपचार करें।

  • दीमक को नियंत्रित करने के लिए क्लोरपायरीफास 20% EC @ 1 लीटर को किसी भी उर्वरक के साथ मिलाकर जमीन से दें और सिंचाई कर दें।

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