चने की फसल में जरूरी है खरपतवार प्रबंधन, ऐसे करें बचाव

Weed management is necessary in gram crop
  • चने की फसल में अनेक प्रकार के खरपतवार जैसे बथुआ, खरतुआ, मोरवा, प्याजी, मोथा, दूब इत्यादि उगते हैं।

  • ये खरपतवार फसल के पौधों के साथ पोषक तत्वों, नमी, स्थान एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करके उपज को प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवारों के द्वारा फसल में अनेक प्रकार की बीमारियों एवं कीटों का भी प्रकोप होता है जो बीज की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।

  • खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि को रोकने के लिए समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। चने की फसल में दो बार गुड़ाई करना पर्याप्त होता है। प्रथम गुड़ाई फसल बुवाई के 20-25 दिन पश्चात व दूसरी 50-55 दिनों बाद करनी चाहिए।

  • यदि मजदूरों की उपलब्धता न हो तो फसल बुवाई के के 1-3 दिन में पेंडीमेथलीन 38.7% EC 700 मिली प्रति एकड़ की दर से खेत में समान रूप से छिड़काव करें। फिर बुवाई के 20-25 दिनों बाद एक गुड़ाई कर दें।

  • इस प्रकार चने की फसल में खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि की रोकथाम की जा सकती है।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 3 से 5 दिनों में- पूर्व उद्भव खरपतवारो के नियंत्रण के लिए

खरपतवार प्रबंधन के लिए अंकुरण से पहले पेण्डामैथलीन 38.7%CS ( स्टोम्प एक्स्ट्रा) 700 मिली को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ का छिड़काव करें| अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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तरबूज की फसल में ऐसे करें खरपतवार प्रबंधन

Weed Management in watermelon
  • तरबूज एक उथली जड़ वाली फसल है, इस कारण इसमें अंतरशस्य क्रियाएँ बहुत आराम से की जाती है।
  • प्रायः निड़ाई एवं गुड़ाई कतारों के मध्य ही की जाती है। खेत में खरपतवारों को बहुत अधिक बड़ा नहीं होने चाहिए चाहिए। खेत में बड़े खरपतवार उग आने पर उन्हे हाथों से उखाड़ कर अलग कर देना चाहिये।
  • रासायनिक खरपतवार नाशक जैसे पेडामेथलिन 30% CS @ 700 मिली/एकड़ का अंकुरण पूर्व 1 से 3 दिनों की अवस्था में छिड़काव करें।
  • सकरी पत्ती के खरपतवार के नियंत्रण हेतु खरपतवार 2-4 पत्ती की अवस्था पर क्विजलॉफॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोपाक्विज़ाफोप 10% EC@ 400 मिली प्रति एकड़ 10 से 25 दिनों की फसल अवस्था में छिड़काव करें।
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कपास के खेत में अतिरिक्त पौधे हटाने और अतिरिक्त पौधे लगाने का महत्व जानें

  • खेत में कपास की बुआई करने के 10 दिनों बाद कुछ बीज उग नहीं पाते हैं और कुछ पौधे उगने के बाद मर जाते हैं। 
  • यह अनेक कारणों से हो सकता है जैसे- बीज का सड़ जाना, बीज को अधिक गहराई में बोया जाना, किसी कीट के द्वारा बीज को खा लेना या पर्याप्त नमी का न मिलना आदि।
  • इन खाली स्थानों पर पौधे न उगने पर उत्पादन में सीधा असर पड़ता है अतः इन स्थानों पर फिर से बीज को बोना चाहिए। इस क्रिया को गैप फिलिंग कहा जाता है। 
  • कपास के खेत में कतारों में पौधों के बीच की दूरी एक सामान होनी चाहिए। इसी खाली जगह को भरने की प्रक्रिया को गैप फिलिंग कहते है।
  • गैप फिलिंग करने से पौधों के बीच की दूरी एक सामान रहती है। जिससे कपास का उत्पादन अच्छा मिलता है।
  • वहीं दूसरी तरफ बुआई के समय एक ही स्थान पर एक से अधिक बीज गिर जाता है तो एक ही जगह पर अधिक पौधे उग आते हैं। 
  • अगर इन पौधों को समय रहते न निकाला जाये तो इसका सीधा नकारात्मक प्रभाव हमारे उत्पादन के ऊपर पड़ता है।
  • इन अतिरिक्त पौधों को हटाने की क्रिया को थिन्निंग कहा जाता है। कपास की फसल में थिन्निंग बुआई के 15 दिन बाद की जाती है। ताकि पौधों को सही मात्रा में खाद और उर्वरक मिल सके और पौधों की उचित वृद्धि हो पाए।
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भिन्डी में खरपतवार नियंत्रण

  • बुवाई से पहले गहरी जुताई करे।
  • फसल चक्र अपनाये कोई भी सकरी घास कूल या छोटे दाने वाली फसल लगाये|
  • 2-3 बार निराई गुड़ाई करे बुवाई के 20,40 और 60 दिन में।
  • बुआई के बाद ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5 ई.सी. @ 200 मिली/एकड़ अंकुरण के पूर्व स्प्रे करे|
  • पेंडीमेथलीन 30% ईसी @ 700 मिली प्रति एकड़ बुवाई के 3 दिन बाद स्प्रे करे|
  • सकरी पत्तियाँ वाले खरपतवारों के लिए 2 -3 पत्ती अवस्था पर प्रोपाक्विजाफाप 10 % ईसी @ 400 मिली प्रति एकड़ का स्प्रे करें|

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Weed control in Garlic

लहसुन में खरपतवार नियंत्रण:-

  • पेंडिमेथालीन @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी या ऑक्सीफ़्लोर्फिन @15 मिली. / 15 लीटर पानी का उपयोग लगाने के 3 दिनों के बाद लहसुन में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है, इसके साथ ही फसल में लगाने के 25-30 दिनों के बाद और रोपण के 40-45 दिन बाद दो बार हाथ से निदाई करे।
  • चावल का भूरा घास या गेहूं पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाने के लिए सिफारिश की गई है।
  • ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव लगाने के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है|

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Weed Control in Tomato Crop

टमाटर की फसल में खरपतवार नियंत्रण :-

  • प्रारंभिक अवस्था में पौधे की अच्छी वृद्धि के लिये 2-3 निदाई-गुड़ाई आवश्यक होती है।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिये अंकुर पूर्व निदानाशक पेन्डामेथिलिन 30% SC @ 700 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर साथ में फसल लगाने के 45 दिन बाद हाथ से एक निदाई करनी चाहिये ।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए पौध लगाने 15 दिन बाद मेट्रिब्यूज़िन 70% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें|
  • संपूर्ण नियंत्रण करने के लिये मल्च जैसे पैरा, लकड़ी का बुरादा और काले रंग का पॉलीथीन का उपयोग किया जाता है । इसके साथ ही मल्च भूमि में नमी का संरक्षण करके उत्पादन व गुणवत्ता को बढ़ता है ।

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Weed management in brinjal

  • पौधे की प्रारंभिक अवस्था में हाथों के द्वारा निदाई-गुड़ाई करनी चाहिये ।
  • रोपाई के बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथलीन 30% EC @ 1.2 लीटर/एकड़ 72 घंटे के भीतर छिड़काव करें |
  • इसके बाद 30 दिन की फसल होने पर हाथ से निदाई करें|

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Weed control of cowpea

  • खरपतवार को नियंत्रित करने और जड़ों में हवा के आवागमन के सुधार हेतु कम से कम दो बार निंदाई करना चाहिए।
  • बुवाई के बाद 25 से 30 दिन तक निदाई-गुड़ाई आवश्यक है।
  • पेंडीमेथलीन 38.7% सीएस 700 मिली  /एकड़ या एलाक्लोर 50% ईसी 1 लिटर/एकड़ दर से छिड़काव, 30 दिनों तक निंदा नियंत्रण करता है।

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Weed management in muskmelon

  • खरबूज की फसल में खरपतवार की समस्या, कम उत्पादन का मुख्य कारण हैं क्यो की यह खेत में फसल के साथ स्थान, पानी और पोषक तत्वों के लिए प्रतियोगिता करते हैं |  
  • खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए केवल उतनी ही गहरी जुताई करें जितनी आवश्यक हो।
  • समय पर बुवाई करना भी बेहद जरूरी हैं।
  • गहरी जड़ वाले खरपतवारों को हल से या हौ चलाकर निकाल दे, या हाथो से खरपतवारो की निंदाई करे
  • खरबूज के खेत में खरपतवार की समस्या से बचने के लिए, पॉलीथीन मल्चिंग करना एक अच्छा उपाय हैं।

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