मानसून की लुकाछिपी से मध्य प्रदेश के 18 जिले के किसान हो रहे हैं परेशान

Farmers of 18 districts of Madhya Pradesh are getting worried due to the monsoon's Uncertainty

मध्यप्रदेश में मानसून से तय समय पर दस्तक दी थी पर पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के कई जिलों में मानसून की आंखमिचौली चल रही है। इस वजह से प्रदेश के लाखों किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है की अगर मानसून आने वाले एक हफ्ते में अच्छी बारिश नहीं करवाता है तो उन्हें भारी नुकसान होगा। भोपाल स्थित मौसम विभाग की इकाई की तरफ से बताया गया है की “ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों में कम बारिश हुई है। गुना में शून्य से 7%, ग्वालियर में शून्य से 45% कम बारिश हुई है।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भिंड, दतिया, गुना, शिवपुरी, छतरपुर, दमोह, सागर, टीकमगढ़, बालाघाट, जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी, धार, मंदसौर, शाजापुर और होशंगाबाद जैसे जिलों में काफी कम वर्षा हुई है। पिछले साल जुलाई महीने में 643.1 मिमी बारिश मध्यप्रदेश में दर्ज की गई थी वहीं वहीं इस साल 1 जून से अब तक 318.6 मिमी बारिश ही दर्ज की गई है।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

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20 राज्यों में मौसम विभाग का अलर्ट, हो सकती है भारी बारिश, जानिए मौसम का पूर्वानुमान

Take precautions related to agriculture during the weather changes

धीरे धीरे पूरे देश में मानसून सक्रिय हो रहा है। मुंबई तथा गुजरात में मानसून की तेज बारिश की शुरुआत हो गई है वहीं मध्य और उत्तर भारत के कई राज्यों में भी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले 24 घंटे में देश भर के 20 से अधिक राज्यों में भारी बारिश हो सकती है और खासकर के बिहार और झारखंड में आकाशीय बिजली गिर सकती है।

अगले 24 घंटों में मुंबई समेत कोंकण और गोवा में मूसलाधार बारिश जारी रह सकती है। अगर बात करें, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और पश्चिमी राजस्थान कि तो वहां मौसम शुष्क ही बना रहेगा।

वर्तमान में मानसून की अक्षीय रेखा बीकानेर, अजमेर, गुना, सतना, डाल्टनगंज और मालदा से गुज़र रही है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश पर भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है। इस सिस्टम से पूर्वी मध्य प्रदेश होते हुए विदर्भ तक एक ट्रफ बना हुआ है।

अगले 24 घंटों में मुंबई समेत कोंकण और गोवा में मूसलाधार वर्षा हो सकती है। इसके अलावा तटीय कर्नाटक, केरल, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, बिहार के उत्तरी भागों, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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पूरे मध्यप्रदेश में सक्रिय हुए मानसून को देख किसानों के चेहरे पर बिखरी मुस्कान

Take precautions related to agriculture during the weather changes

तय समय पर दस्तक देने के बाद मानसून अब धीरे धीरे पूरे मध्य प्रदेश में सक्रिय हो गया है। मानसून की सक्रियता को देख कर किसानों के चेहरे पर भी मुस्कान बिखर गई है। ख़ास कर के धान की खेती करने वाले किसानों के लिए मानसून की बारिश किसी सौगात की तरह है।

इसके अलावा मक्का की खेती करने वाले किसान भी मानसून की बारिश से खुश हैं। हालांकि इस बारिश से सोयाबीन और कपास जैसी फ़सलों में कीटों का प्रकोप भी हो सकता है जिसके लिए किसानों को पहले से बचाव के उपाय कर लेने चाहिए।

अगर बात करें अगले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के मौसम पूर्वानुमान की तो प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना जताई गई है। इससे पहले जबलपुर, भोपाल के इलाकों में पिछले दिनों मानसून की अच्छी बारिश देखने को मिली है।

स्रोत: नई दुनिया

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मध्यप्रदेश में जमकर हो रही है मानसून की बारिश, अगले 24 घंटे भी होती रहेगी बरसात

Monsoon rains are heavy in MP, it will continue to rain for the next 24 hours

शुक्रवार की सुबह से ही मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश हो रही है। मानसून के तय समय पर आने और जमकर बारिश करवाने से प्रदेश के किसान भी खुश हैं। राजधानी भोपाल में जून महीने में ही रिकाॅर्डतोड़ बारिश हो रही है। हालात ये हैं कि बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को जून के बारिश के कोटे 13.08 से करीब दोगुनी यानी 24.68 सेमी बारिश हो चुकी है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जून महीने में अब तक यानी शुक्रवार रात तक 32.25 सेमी बारिश हो चुकी है। यह अब तक की सामान्य बारिश से 27.65 सेमी अधिक है। मौसम केंद्र के अनुसार शनिवार को भी भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर, रीवा संभागों के कई शहरों में भारी बारिश होने की संभावना है। 20 से 22 जून तक पूर्वी मप्र, भोपाल एवं होशंगाबाद संभागों में बारिश के आसार बने रहेंगे।

स्रोत: भास्कर

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मध्य प्रदेश में मानसून प्रवेश के बाद मौसम विभाग ने दी 17 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी

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मध्यप्रदेश में मानसून ने अपने तय समय पर दस्तक दे दी है और इसके कारण ही प्रदेश के कई जिलों में बारिश और आंधी का दौर देखने को मिल रहा है। मानसून के आगमन के साथ ही सोमवार को राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के 22 जिलों में बारिश की शुरुआत हो गई।

मौसम विभाग के अनुसार मानसून होशंगाबाद, इंदौर, शहडोल और जबलपुर संभाग के अधिकतर जिलों में पहुँच चुका है। इसके अलावा उज्जैन संभाग के कुछ जिलों में भी मानसून ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। इसके साथ ही मौसम विभाग की तरफ से आने वाले 24 घंटे के दौरान 17 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की गई है। इन जिलों में अनूपपुर, बड़वानी, बैतूल, छिंदवाड़ा, धार, डिंडोरी, होशंगाबाद, हरदा, झाबुआ, खरगौन, नरसिंहपुर, रीवा, सिवनी, शहडोल, सीधी, सिंगरौली, उमरिया शामिल हैं।

आगामी 48 घंटे के दौरान मानूसन के पूर्वी मध्यप्रदेश की तरफ बढ़ने की पूरी संभावना है। मानसून की उत्तरी सीमा कांडला अहदाबाद, इंदौर, नरसिंहपुर, उमरिया एवं बलिया से होकर गुजर रही है।

स्रोत: नई दुनिया

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प्री-मानसून से अगले दो दिनों में हो सकती है बारिश, तय समय पर आएगा मानसून

There may be Rain in the next two days from Pre Monsoon, Monsoon will come on time

मानसून अपने तय समय 2 से 9 जून तक केरल में दस्तक देगा और फिर देश के अलग अलग हिस्सों में बारिश कराएगा। बहरहाल इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया है कि मानसून के आने से पहले ही प्री-मानसून के अंतर्गत अगले कुछ दिन भारत में व्यापक बारिश होने की संभावना है।

प्री-मानसून का असर 29 मई की रात से ही देखा जा रहा है और ऐसी संभावना है कि इसके चलते कुछ राज्‍यों में 31 मई तक तेज बारिश हो सकती है। प्री-मानसून के इस बारिश से मुख्यतः मध्‍य प्रदेश, पश्चिमी हिमालय, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में भी बारिश होने की संभावना है।

आने वाले 24 घंटों में ख़ास कर उत्तरी पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कुछ इलाकों में धूल भरी आंधी चलने या बादलों की गर्जना के साथ हल्की वर्षा होने के आसार हैं। अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिम बंगाल में बिहार के कई हिस्सों और झारखंड के पूर्वी हिस्सों में बारिश की गतिविधियाँ संभव हैं। उत्तर प्रदेश और ओडिशा में भी कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के आसार हैं।

स्रोत: नई दुनिया

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11 से 13 मई के बीच इन राज्यों में हो सकती है बारिश एवं अल्पकालिक ओलावृष्टि: मौसम विभाग

Take precautions related to agriculture during the weather changes

पिछले महीने देश के कई राज्यों में बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दो तीन दिनों के लिए फिर से बारिश एवं अल्पकालिक ओलावृष्टि की संभावना जताई है।

कल से ही देश के कई क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं और कहीं कहीं तूफ़ान के साथ बारिश भी हुई है जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिली है। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसी कड़ी में अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी जारी की है की आने वाले कुछ दिनों में भी मौसम ख़राब रह सकता है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्रता से हवाएं चल सकती है। इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय हो जाने तथा इसके उत्तर-पूर्व दिशा में आगे बढ़ने से मैदानी क्षेत्रों में चल रहे पूर्वी हवाओं के साथ मिलना मौसम में बदलाव का संकेत है। इसके कारण 11 से 13 मई तक मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश और अल्पकालिक ओलावृष्टि हो सकती है |

स्रोत: किसान समाधान

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मौसम विभाग का अलर्ट: इन राज्यों में भारी बारिश के साथ गिर सकते हैं ओले

Indian Meteorological Department alert hail may fall in these states with heavy rains

पिछले दिनों देश के कई राज्यों में बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दिनों के लिए भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है।

ग़ौरतलब है की पिछले कुछ दिनों से देश के कई क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं और कहीं कहीं बारिश भी हुई है जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिली है। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसी कड़ी में अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी जारी की है की आने वाले कुछ दिनों में भी मौसम ख़राब रह सकता है।

मौसम विज्ञान विभाग ने इस बाबत पांच दिनों का एक मौसम संबंधित बुलेटिन जारी किया है और कहा है की पश्चिम बंगाल का गंगा नदी के आस पास वाला क्षेत्र, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम-त्रिपुरा, असम-मेघालय, केरल-माहे और कर्नाटक के अलग-अलग क्षेत्रों में भारी वर्षा हो सकती है।

इसके साथ ही मौसम विज्ञान विभाग ने बिहार, असम मेघालय, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, मराठावाड़ा में 40-50 किमी प्रति घंटे की तीव्रता से हवाएं चलने, बिजली गिरने व ओलावृष्टि होने की संभावना जताई है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, मध्य प्रदेश, विदर्भ, कोंकण और गोवा भी मौसम खराब रहने का अलर्ट मौसम विभाग ने जारी किया है।

स्रोत: जागरण

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बेहद जरूरी है बदलते मौसम के साथ तालमेल

बंगाल की खाड़ी में बने प्रति चक्रवात की वजह से मध्य भारत में बारिश और हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार देश के कई इलाकों में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना है। आज भी बारिश की संभावना बनी हुई है और अगले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों सहित उत्तरी छत्तीसगढ़ में गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।  इसके साथ ही सिक्किम, पश्चिम बंगाल और दक्षिणी तटीय तमिलनाडु में एक-दो स्थानों में छिटपुट बारिश होने की आशंका है।  

मौसम के बदलाव को देखते हुए किसान भाई बरतें निम्नलिखित सावधानियां 

  • खेत में जल निकास का प्रबंधन करें ताकि खेत में पानी ज्यादा देर तक न रुक सके।  
  • फसल कटाई के दौरान उसे खुले में न रखकर किसी छपरे, कमरे, गोदाम अथवा जहाँ बारिश का पानी न आये, ऐसी जगह रखें। 
  • आसमान के साफ़ होने पर चना मसूर गेहूं को तिरपाल या प्लास्टिक की चादरों पर खोलकर 2 से 3 दिन तक अच्छी तरह सूखा लें ताकि दानों में नमी की मात्रा 12% से कम हो जाए तभी भंडारण करें। 
  • बीज को कीट, फफूंद व खरपतवार से बचाने के लिए बीज भंडारण से पहले बीज में मिले हुए डंठल, मिट्टी, पत्तियां तथा खरपतवार को भलीभांति साफ कर लें एवं तेज धूप में दो-तीन दिन तक सुखा कर 8-10 % नमी होने पर ही भंडारण करें।
  • बीज भंडारण के पहले फफूंदनाशक दवा से बीज उपचार करना जरूरी होता है जिससे बीज जनित रोग का सस्ता एवं कारगर नियंत्रण हो सकता है। बीज उपचार हेतु थाइरम या केप्टान दवा 3 ग्राम अथवा कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित करना चाहिए। 
  • मौसम के बदलाव को देखते हुए कई तरह के रोग एवं कीट फसलों पर हमले कर सकते है क्यों कि यह वातावरण इनके लिए उपयुक्त है।.
  • ग्रीष्मकालीन कद्दू वर्गीय सब्जियों में लाल भृंग कीट के आक्रमण की संभावना रहती है। इस कीट की संख्या अधिक हो तो डाइक्लोरोवोस 76 ईसी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  • भिंडी में रस सूचक कीट जैसे सफेद मक्खी, एफिड,जैसिड आदि के नियंत्रण के लिए डायमेथोएट 30 ईसी 1-1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। 
  • प्याज में थ्रिप्स (तेला) की अधिक संभावना बनी हुई है अतः प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. @ 45 मिली या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% सी.एस. @ 20 मिली या स्पिनोसेड @ 10 मिली या फिप्रोनिल 5 एस.सी.  प्रति 15 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। 
  • रासायनिक दवा के साथ इस मौसम में 0.5 मिली चिपको प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें ताकि दवा पौधों द्वारा अवशोषित हो जाये। 
  • ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई जरूर करनी चाहिए गहरी जुताई करने से मिट्टी में हवा का आवागमन सुचारु रूप से होता है जिससे मिट्टी में जल धारण क्षमता बढ़ती है एवं हानिकारक कीट एवं कवक बीजाणु नष्ट होते हैं। 
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पाला, उससे होने वाली हानि एवं बचाव

डॉ. शंकर लाल गोलाडा

कैसै करें पाले और शीत लहर से फसलों का बचाव

पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलसे हुए दिखाई देते है। एवं बाद में झड़ जाते हैं। यहां तक कि अधपके फल सिकुड़ जाते है। उनमें झाुर्रियां पड़ जाती हैं एवं कलिया गिर जाते है। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं एवं बन रहे दाने सिकुड़ जाते है। दाने कम भार के एवं पतले हो जाते है रबी फसलों में फूल आने एवं बालियां/ फलियां आने व उनके विकसित होते समय पाला पडऩे की सर्वाधिक संभावनाएं रहती है। अत: इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये। पाला पडऩे के लक्षण सर्वप्रथम आक आदि वनस्पतियों पर दिखाई देते है। पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।

कब गिरेगा पाला : – जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रूक जाती है, तो रात्रि को पाला पडऩे की संभावना रहती है। वैसे साधारणत: पाला गिरने का अनुमान इनके वातावरण से लगाया जा सकता है। सर्दी के दिनों में जिस रोज दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाये। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे, या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये, तो पाला पडऩे की संभावना अधिक रहती है। रात को विशेषकर तीसरे एवं चौथे प्रहर में पाला पडऩे की संभावना रहती है। साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु यही इसी बीच हवा चलना रूक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

शीत लहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय : –

खेतों की सिंचाई जरूरी : – जब भी पाला पडऩे की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है सिंचाई करने से 0. 5 – 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान मे बढ़ोतरी हो जाती हैं ।

पौधे को ढकें : – पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। पॉलीथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

खेत के पास धुंआ करें : – अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।

रासायनिक उपचार : – जिस दिन पाला पडऩे की सम्भवना हों उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये। इस हेतु एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगें। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें।

>>>सल्फर 90 % WDG पाउडर को 3 किलोग्राम 1 एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें ।

>>> सल्फर 80% WDG पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) में मिलाकर स्प्रे करें ।

दीर्घकालिन उपाय : – फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी अरडू एवं जामुन आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता हैं ।

Source:- https://www.krishakjagat.org

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