देश पर मंडरा रहे बड़े जल संकट को बेहतर जल प्रबंधन से कर सकते हैं दूर

Better water management can overcome big water crisis hovering over the country

हमारा देश आने वाले सालों में भीषण जल संकट का सामना कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है की भारत में लोग पानी का महत्व नहीं समझ रहे हैं और इसकी खूब बर्बादी कर रहे हैं। ऐसे में पानी की इसी बर्बादी के कारण आने वाले समय में देश के लगभग 60 करोड़ लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

वर्तमान की बात करें तो लगभग दो लाख लोगों की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण वे या तो अपनी जान गंवा रहे हैं या फिर गंभीर रोगों से ग्रसित हो रहे हैं।

क्या है इसका समाधान
ऐसा नहीं है की भारत में जल की कोई बड़ी समस्या है, पर भारत में जल प्रबंधन पर जोड़ नहीं दिया जाता है जिस कारण हर साल देश के कई राज्यों में बारिश के पानी को बह जाने दिया जाता है। यही कारण है की देश में कुछ जगहों पर बाढ़ तो कुछ जगहों पर सूखा देखने को मिलता है। सच तो यही है की भारत में जल का बेहतर प्रबंधन कर के ही आने वाली जल संकट की समस्या को रोका जा सकता है

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Irrigation Water quality

उपज और फसलों की मात्रा, मिट्टी की उत्पादकता के रखरखाव, और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिंचाई के लिए उपयोग की जाने वाली पानी की गुणवत्ता आवश्यक है। उदाहरण के लिए, मिट्टी, पूर्व के भौतिक और यांत्रिक गुणों, मिट्टी की संरचना (समुच्चय की स्थिरता) और पारगम्यता सिंचाई के पानी में विद्यमान विनिमय आयनों के प्रकार के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। रासायनिक प्रयोगशाला जांच द्वारा सिंचाई की गुणवत्ता का सबसे अच्छा निर्धारण किया जा सकता है। कृषि में पानी के उपयोग की उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं: ·

पी एच मान ·         लवणीयता स्तर·         सोडियम स्तर (सोडियम अवशोषण अनुपात)·         कार्बोनेट और बायकार्बोनेट कैल्शियम और मैग्नीशियम अवयव के संबंध में·         अन्य ट्रेस तत्व·         विषाक्त आयन·         पोषक तत्त्व·         मुक्त क्लोरीन

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