सब्जी वर्गीय फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व क्यों है जरूरी ?

भूमि में  मुख्य पोषक तत्वों के लगातार इस्तेमाल से सूक्ष्‍म पोषक तत्वों की कमी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। किसान मुख्य पोषक तत्वों का उपयोग फसलों में ज्यादा करते है एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे – तांबा, जिंक, लोहा, मोलिब्डेनम, बोरॉन, मैंगनीज आदि का लगभग नगण्य उपयोग करते हैं। पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर उसके लक्षण पौधों में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगता है। फसल में इन पोषक तत्वों की कमी  इन्हीं तत्वों की पूर्ति के माध्यम से की जा सकती है।  

  • मॉलिब्डेनम कार्य:- पौधों में नाइट्रेट के अवशोषण के बाद मोलिब्डेनम नाइट्रेट को तोड़ने का काम करता है, जिससे नाइट्रेट पौधों के विभिन्न भागो में चला जाता है। इस कारण पौधे में नाइट्रोजन की कमी नहीं होती है और पौधे का विकास अच्छी तरह से होता है। मोलिब्डेनम जड़ ग्रंथि जीवाणुओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन के निर्धारण में मदद करता है। इसकी कमी से फूलगोभी में व्हिपटेल रोग होता है।

  • आयरन / लोहा:- आयरन क्लोरोफिल निर्माण में सहायक होता है। पौधों में श्वसन तथा प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक है, इसकी कमी से पौधों में  हरिमाहीनता हो जाता है।

  • जिंक / जस्ता:- ज़िंक पौधों में एंजाइम क्रिया को उत्तेजित करता है। यह हार्मोन्स बनाने में सहायक होता है। साथ ही यह पौधे में रोग रोधक क्षमता को बढ़ाता है एवं नाइट्रोजन और फास्फोरस के उपयोग में सहायक होता है। 

  • तांबा/कॉपर:- तांबा एंजाइम में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण का काम करता है। ये एंजाइम पौधों में ऑक्सीडेशन और रिडेक्शन क्रिया में सहयोग करता है। इसी क्रिया के द्वारा पौधों का विकास एवं प्रजनन होता है। 

  • बोरॉन:- फूलों में परागण, परागनली का निर्माण, फल व दाना बनाना, पादप हार्मोन के उपापचय एवं पौधे के सभी अंगों तक पहुंचाने का कार्य बोरान तत्व का है।

  • मैंगनीज:- यह क्लोरोफिल निर्माण में सहायक होता है। विभिन्न क्रियाओं में यह उत्प्रेरक का कार्य करता है। पौधों में मैंगनीज की कमी से पत्तियों में छोटे-छोटे भूरे धब्बे बन जाते हैं। इनकी कमी के लक्षण दिखाई देने पर, सूक्ष्म पोशाक तत्व, मिक्सॉल (लौह, मैंगनीज, जस्ता, तांबा, बोरॉन, मोलिब्डेनम) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

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ग्रीष्मकालीन सब्जियों की खेती के लिए आवश्यक सुझाव

👉🏻किसान भाइयों, ग्रीष्मकाल में जिस प्रकार तापमान में बढ़ोतरी होती है, इस कारण सब्जी वर्गीय फसलों को बहुत नुकसान पहुँचता है। 

👉🏻गर्मियों में सब्जियां उगाने के लिए पहले से तैयार किये गये पौधों का उपयोग करना चाहिये। 

सब्जी वर्गीय फसलों को गर्मियों में नेट या पॉली हाउस में लगाने से फसलों में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। 

👉🏻सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चहिये, ताकि तापमान बढ़ने के बाद भी फसल में पानी की कमी के कारण तनाव की स्थिति ना हो। 

👉🏻फसल में फूल व फल वृद्धि के लिए समय समय पर उपाय करते रहना चाहिए l 

👉🏻गर्मियों में कद्दू वर्गीय फसलें, मिर्च, टमाटर, बैंगन,आदि सब्जियों की बुवाई कर सकते है।

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सब्जियों की पौध तैयारी में रखें इन बातों का ख्याल

👉🏻किसान भाइयों अधिकतर सब्जी वाली फसलों की बुवाई से पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है, जैसे कि टमाटर, गोभी व प्याज, मिर्च आदि।  

👉🏻इन फसलों के बीज छोटे व पतले होते है, उनकी स्वस्थ व उन्नत पौध तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर होता है। 

👉🏻स्थान ऊंचाई पर होना चाहिए जहां से पानी का निकास उचित व खुले में होना चाहिए, जहां सूर्य की किरणें पहुंच सकें। 

👉🏻मिट्टी बलुई दोमट होनी चाहिए जिसका पीएच मान लगभग 6.5 हो।  

👉🏻क्यारियाँ 15 -20 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए। इनकी चौडाई लगभग 1 मीटर व लंबाई 3 मीटर होनी चाहिए जो कि सुविधा के अनुसार घटाई- बढ़ाई जा सकती है। 

👉🏻बीज की बुवाई के बाद समय समय पर क्यारियों की हल्की सिंचाई करते रहना चाहिये।

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यह उपाय अपनाकर कम पानी में कर सकते हैं सब्जियों की उचित खेती

👉🏻किसान भाइयों गर्मियों के मौसम में सब्जी वर्गीय फसलों की बहुत मांग होती है, परन्तु किसानों के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता है इस कारण किसान सब्जी वर्गीय फसलों से अधिक मुनाफा प्राप्त नहीं कर पाते है। 

👉🏻किसान सिंचाई के पानी की कमी होने पर भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है, इसके लिए सब्जियों वाली फसलों की, सीधे धूप वाली जगह पर बुवाई नहीं करनी चाहिए। 

👉🏻फसल की सिंचाई की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए की कम पानी में भी फसल का उत्पादन अच्छे से हो पाए।  

👉🏻ड्रिप सिंचाई, फव्वारा सिंचाई, या बागवानी पानी के बर्तन से भी सीधे पौधे की जड़ों के पास पानी दिया जा सकता है। 

👉🏻इस प्रकार कम पानी में भी अच्छी फसल उगाई जा सकती है।

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