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- गन्ने के खेत में 5 X 5 फीट का एवं 4 इंच गहरा गड्ढा बना लें एवं उसमें पॉलीथिन बिछा दें।
- इस गड्ढे में पानी भर कर आधा लीटर केरोसिन या 10-15 मिली मेलाथियान डालें।
- गड्ढे के ठीक ऊपर प्रकाश प्रपंच (ब्लब) लटका दें। पायरिल्ला व अन्य कीट प्रकाश प्रपंच से आकर्षित होंगे और गड्ढे में गिरकर मर जायेंगे।
- प्रकाश प्रपंच (ब्लब) रात्रि 8 से 10 बजे तक ही चालू रखे उसके बाद इन कीटों की क्रियाशीलता कम हो जाती है।
- 80 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या 80 मिली थायोमेथोक्सोम 25 WG प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
- पायरिला कीट के परजीवी एपीरिकेनिया मेलोनोल्यूका के 4-5 लाख अंडे प्रकोपित फसल पर छोड़े। इस परजीवी कीट की पर्याप्त उपस्थित में पायरिला कीट की स्वतः रोकथाम हो जाती है।
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- जिस क्षेत्र में दीमक की अधिक समस्या है वहां यह कीट गन्ने में भारी हानि पहुंचाता है |
- दीमक होने की पुष्टि ग्रसित पौधे की जड़ों एवं निचले तने में जीवित दीमक और उनकी बनाई हुई सुरंग देख कर की जा सकती है|
- गर्मियों में मिट्टी में दीमक को नष्ट करने के लिए गहरी जुताई करें और हमेशा अच्छी सड़ी खाद का हीं प्रयोग करें।
- 1 किग्रा बिवेरिया बेसियाना को 50 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर बुवाई से पहले खेत में डाले|
- क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 2.47 लीटर प्रति एकड़ की दर से सिंचाई के साथ उपयोग करे|
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- इसकी खेती बलुई दोमट, दोमट और भारी मिट्टी में की जा सकती है.
- खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए |
- खेत से पिछली फसल के अवशेष हटा लें, इसके बाद जुताई करके जैविक खाद मिट्टी में मिलाएं.
- पहली गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से होनी चाहिए.
- इसके बाद 2 से 3 बार देसी हल और कल्टीवेटर से जुताई करें.
- अब पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और खेत समतल बनाएं.
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- अतिरिक्त पानी को खेत से बाहर निकाले |
- प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें: CO 439, CO 443, CO 720, CO 730 और CO 7704
- थायमेथोक्साम 25 % WP @ 100 ग्राम एकड़ का छिड़काव करें।
- थायमेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC @ + बेवेरिया बेसियाना 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
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- यह हल्का गुलाबी रंग का कीट जो मोम जैसे सफ़ेद पदार्थ से ढका रहता है |
- प्रभावित पौधे के तने तथा पत्तियो की आतंरिक सतह पर सैकड़ो की संख्या में पाए जाते है |
- प्रभावित पौधे के ऊपर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ दिखाई देता है जिसकी वजह से तना काले रंग का दिखाई देता है|
- गंभीर प्रकोप के समय पौधे की पत्ती पीले रंग की दिखाई देती है इसके साथ ही तना पतला हो जाता है तथा रस की गुणवत्ता में कमी आ जाती है |
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