चने में पल्स बीटल का प्रबंधन

  • चने में पल्स बीटल का आक्रमण भंडारण के 60 दिनों के बाद तेजी से देखने को मिलता हैंं।
  • चने में दलहनी बीटल के संक्रमण के कारण, भंडारण के 120 दिनों के भीतर 87.23% बीज में क्षति तथा  37.15% वजन कम देखा गया है ।
  • ऐसा पाया गया है की यदि की नीम और अरंडी के तेल @ 6 मिली / कि.ग्रा. बीज से उपचार करके बीजो को भंडारण किया जाये तो चार महीनों तक इस कीट का प्रभावी नियंत्रण हो जाता हैंं ।
  • बीज को वनस्पति तेल या कोई भी खाने के तेल की एक परत चढ़ा कर भंडारित करे एवं नीम के पत्तों को मिलाऐं।
  • 10% मैलाथियान घोल में बैग डुबोएं।
  • बीजों को रखने के लिए वायु रहित कोठी का उपयोग करे  |
  • एल्यूमीनियम फास्फाइड फूमिगेशन का उपयोग करके भी बिना अंकुरण को प्रभावित किये बीजो को सुरक्षित रखा जा सकता हैंं।

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आलू का भण्डारण

  • उचित भण्डारण खेती की कुछ सस्यक्रियाओं पर निर्भर करता है|
  • आलू की खुदाई के एक सप्ताह पहले उसमे सिंचाई करना बंद कर दें| इससे आलू की त्वचा सख्त हो जाती है|
  • साथ ही ध्यान रखे की आलू के पौधा की पत्तियॉं  सूख जाये और गिरने लगे तभी खुदाई प्रारम्भ करें|
  • खुदाई के बाद आलू को अच्छी तरह साफ कर लें| तथा उन्हें 18°सेंटीग्रेट तापक्रम एवं 95% आद्रता पर संग्रहित करें|
  • हरी त्वचा वाले, सड़े एवं कटे आलू को अलग कर लें |
  • 2-4° सेंटीग्रेट तापक्रम पर, 6-8 महीने तक आलू को आसानी से संग्रहित कर सकते है|
  • इसी प्रकार 4° सेंटीग्रेट तापक्रम पर आलू को 3-4 महीने रखा जा सकता है|

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Storage technique in wheat

  • 10 % नमी बीज के भण्डारण के लिए उचित रहती है इसके लिए बीजो को धुप में सुखना चाहिए|
  • अनाज को साफ करने के बाद अनाज को  बोरो में भर कर भंडारण करें।
  • मिश्रण से बचने के लिए हमेशा नए बैग में बीज रखें।
  • बीज के लिए उपयोग होने वाले अनाज का उच्च गुणवत्ता वाला होना आवश्यक है ।
  • गर्मियों में भंडार गृह का तापमान ठंडा रखें।  
  • समय समय पर अनाज की जांच करें।

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Storage technique for gram

  • लगभग 13 से 15 प्रतिशत नमी होने पर फसल की कटाई करने से चने के दाने कम गिरते हैंं।
  • भण्डारण में उचित रखरखाव चने की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित करता हैंं जैसे उसके रंग बाहरी संरचना आदि|
  • फसल भण्डारण से पहले उसकी सफाई कर लेना चाहिये।
  • भंडारण  में रखे अनाज का  समय समय पर निरिक्षण करते रहना चाहिए |
  • भंडारण के समय अनाज में नमी का विशेष ध्यान रखें। कम नमी होने पर दाना, रख रखाव के समय टूट सकता हैंं।
  • वातावरण अनुकूल न रहने पर अनाज अधिक टूटता हैंं|
  • अगर दाना स्वस्थ हो तो उसका बाजार मूल्य अधिक होता हैंं।

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Lesser grain borer control in wheat

  • अनाजों को भंडारित करने के पहले उन्हें अच्छे से धुप में सूखा लेना चाहिए |
  • सीमेंट या कंक्रीट से बने हुए पक्के भंडारगृह का उपयोग करना चाहिए, जिसमे हवा का आगमन अच्छा हो|
  • भंडारगृह में अनाज के बोरो की थप्पी  के बीच कम से कम 2 फ़ीट का अंतर होना आवश्यक है |
  • भंडारगृह में बोरो की थप्पी इस प्रकार रखे की वह न तो छत को न ही दीवारों को छुए।
  • भंडारणगृह में हवा का आवागमन अगर अच्छा रहे तो यह अनाज में  नमी की मात्रा बढ़ने नहीं देता हैंं जिससे अनाज में विभिन्न तरह के रोग एवं कीट से बचाया जा सकता हैंं।
  • अनाज के भंडारण के लिए नम और गीले बैग का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • शुष्क मौसम के दौरान महीने में कम से कम एक बार और बारिश के मौसम में एक पखवाड़े में अनाज का  निरीक्षण किया जाना चाहिए। यदि अनाज में नमी की मात्रा अधिक दिखे तो उसे जल्द से जल्द भंडार गृह से अलग कर सूखाने का प्रबंध करना चाहिए।
  • मेलाथियाँन @ 100 मिलीग्राम प्रति वर्ग मीटर का छिडकाव करना चाहिए।
  • डाईक्लोरवास @ 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर का उपयोग भी अनाज को संक्रमित होने से बचता हैंं|
  • डेल्टामेथ्रिन की 10 ग्राम प्रति लीटर का घोल बना कर भंडारगृह में स्प्रे करे |
  • कीटनाशक जहर हैंं| इसलिए लेबल पर सभी सुरक्षित एहतियात का पालन करना आवश्यक हैंं।

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Storage of Wheat

गेहू का भंडारण:-

  • सुरक्षित भंडारण हेतु दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होना चाहिए।
  • भंडारण के पूर्व कोठियों तथा कमरो को साफ कर लें और दीवालों व फर्श पर मैलाथियान 50%  के घोल  को 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से छिड़कें।
  • अनाज को बुखारी, कोठियों  या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।

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Factors Affecting storage of Onion and Garlic

प्याज लहसून के भण्डारण को प्रभावित करने वाले कारक:- किस्म का चुनाव :- सभी किस्मो की भण्डारण क्षमता एक सी नहीं होती है। खरीफ में तैयार होने वाली किस्मों के प्याज टिकाउ नहीं हेाते हैं। रबी मौसम में तैयारी होने वाली किस्मों के प्याज साधारणत: 4-5 माह तक भण्डारित किये जाते हैं। यह किस्म के अनुसार कम या अधिक हो सकता है। पिछले 10-15 वर्षों के अनुभव बताते हैं कि एन-2-4-2, एग्रीफाउंड लार्इट रेड, अर्का निकेतन आदि किस्में 4-5 माह तक अच्छी तरह भण्डारित की जा सकती है। लहसुन की जी-1. जी- 2 ,जी 50 तथा जी 323 आदि जातियों को  6 से 8 महिने तक भण्डारण किया जा सकता हें

उर्वरक एवं  जल प्रबन्ध :- उर्वरकों की मात्रा, उसका प्रकार तथा जल प्रबन्ध का प्याज लहसुन  के भण्डारण पर प्रभाव पड़ता है। गोबर की खाद से भण्डारण क्षमता बढ़ती है। इसलिए अधिक मात्रा में गोबर की खाद या हरी खाद का उपयोग करना आवश्यक है। प्याज लहसून में प्रति हेक्टर 150 किग्रा. नत्रजन, 50 किग्रा.फास्फोरस तथा 50 किग्रा. पौटाश देने की सिफारिश की गर्इ है। यदि हो सके तो सारा नेत्रजन कार्बनिक खाद के माध्यम से देना चाहिए तथा नत्रजन की पूरी मात्रा रोपार्इ के 60 दिन से पहले दे देनी चाहिए। देर से नत्रजन देने से पौधों के तने (गर्दन) मोटे हो जाते हैं तथा प्याज में टिकते नहीं एवं फफुंदीजनक रोगों का अधिक प्रकोप होता है साथ ही प्रस्फुटन भी अधिक होता है। पोटेशियम की मात्रा 50 किग्रा. से बढ़ाकर 80 किग्रा. प्रति हेक्टर तक देनी चाहिए। इसी प्रकार का 50 किग्रा. प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करने से प्याज लहसुन की भण्डारण क्षमता व गुणवत्ता बढ़ती है। गन्धक की पूर्ति के लिए अमोनियम सल्फेट, सिंगल सुपर फास्फेट या पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग करने से रोपार्इ के बाद पौधों को पर्याप्त मात्रा में गन्धक मिलता है

भण्डारण गृह का वातावरण :- प्याज लहसुन के अधिक समय तक भण्डारण के लिए भण्डारगृहों का तापमान तथा अपेक्षाकृत आद्रता महत्वपूर्ण कारक है। अधिक आर्द्रता (70% से अधिक) प्याज के भण्डारण का सबसे बडी शत्रु है। इससे फफुंदों का प्रकोप भी बढ़ता है व प्याज सड़ने लगता है।  इसके विपरीत आर्द्रता कम (65% से अधिक) होने पर प्याज के वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है तथा वजन में कमी अधिक होने लगती है। अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए। मर्इ-जून के महीनों में भण्डारगृहों का तापमान अधिक होने से तथा नमी कम होने से वजन में कमी अधिक होती है। जुलार्इ से सितम्बर तक नमी 70 प्रतिशत से अधिक होती है। इससे सड़न बढ़ जाती है। इसी समय कम तापमान से अक्टूबर-नवम्बर में ससुप्ताविस्था टूट जाती एवं प्रस्फुटन की समस्या बढ़ जाती है।

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