कपास की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in cotton crop
  • कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप भारी नुकसान पहुँचाते हैं।
  • इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती है।

इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है

  • इल्ली के प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या मोनोक्रोटोफॉस 36% SL @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
  • पोषण प्रबंधन के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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कपास की फसल में 60-70 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in cotton crop
  • कपास की फसल में 60-70 दिनों में सबसे ज्यादा प्रकोप गुलाबी इल्ली का होता है।
  • यह इल्ली शुरूआती दौर में कपास के फूल पर पायी जाती है।
  • ये फूल से कपास के परागकण खाने के साथ-साथ जैसे ही कपास का टिंडा तैयार होता है उसके अंदर चली जाती है और टिंडे के अंदर के कपास के बीज को खाना शुरू कर देती है।
  • इसी के साथ रस चूसक कीट एफिड, जेसिड, थ्रिप्स, सफेद मक्खी का भी प्रकोप कपास की फसल में होता है।
  • इनके नियंत्रण के लिए 60-70 दिनों में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC 250 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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बुआई के 25 से 30 दिनों बाद कपास की फसल में करें छिड़काव प्रबंधन

Spray Management in cotton crops during ball formation
  • कपास की फसल की बढ़वार, पुष्प और गूलर का विकास तथा अन्य अवस्थाओं में भिन्न-भिन्न किस्म के कीट एवं बीमारियाँ सक्रिय रहते हैं।  
  • इन कीटों एवं बीमारियों के नियंत्रण लिए 20 से 30 दिनों में छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है और इसे आप निम्न प्रकार से कर सकते हैं। 
  • एसिटामिप्रिड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या बेवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें। यह छिड़काव कपास की फसल में कीट के प्रकोप को खत्म करने के लिए आवश्यक है।
  • 12:32:16 @ 1 किलो/एकड़ या होमोब्रेसिनोलाइड 0.04 W/W @100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें। अच्छे फसल विकास के लिए यह छिड़काव करना बहुत आवश्यक है।
  • छिड़काव के 24 घण्टे के अंदर वर्षा हो जाये तो पुनः छिड़काव करें।
  • पत्तियों की निचली सतह पर पूरी तरह से छिड़काव किया जाना चाहिए क्योंकि कीट इसी सतह पर रहते हैं।
  • एक ही कीटनाशक रसायन का छिड़काव पुनः न दोहराया जाए।
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कपास की फसल में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in cotton crop
  • कपास की बुआई के 15-20 दिनों के बाद उसमे आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की  बहुत आवश्यकता होती है।    
  • बुआई के कुछ दिनों बाद कवक जनित एवं किट जनित बीमारियों का प्रकोप होने  लगता है। इसका निवारण बहुत आवश्यक होता है।  
  • एसीफेट @ 300 ग्राम/एकड़ + मोनोक्रोटोफ़ॉस 36% SL@ 400 मिली/एकड़ + सीविड @ 400 मिली/एकड़ + क्लोरोथायोनिल @ 400 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें। 
  • इस छिड़काव का महत्व रस चूसने वाले कीट जैसे थ्रिप्स/एफिड एवं कवक से होने वाली बीमारियों के प्रारंभिक संक्रमण को रोकना और पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध करवाना है।
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