Girdle beetle in Soybean

सोयाबीन में गर्डल बीटल:- इसे रिंग कटर भी कहा जाता है | यहाँ कीट सोयाबीन की उपज को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है|

नुकसान के लक्षण:-

  • तना को अंदर से लार्वा द्वारा खाया जाता है और तने के अंदर एक सुरंग बनती है।
  • संक्रमित हिस्से के पौधे की पत्तियां पोषक तत्व पाने में असमर्थ होती हैं और सूख जाती हैं।
  • बाद में पौधे को जमीन से लगभग 15 से 25 सेमी पर काट देता है।

प्रबंधन :-

  • गर्मी में खेत की गहरी जुताई  करे |
  • मक्का या ज्वार साथ में लगाने से बचा |
  • फसल चक्र का पालन किया जाना चाहिए |
  • अतिरिक्त नाइट्रोजन उर्वरकों से बचें।
  • 10 दिनों में कम से कम एक बार ग्रसित पौधे के हिस्सों को हटा दें और उन्हें खाद के गड्ढे में गाड दें ताकि गर्डल बीटल की आबादी को नियंत्रित किया जा सके |

रोकथाम :-

  • बुवाई के समय फोरेट 10 G @ 10 किलो / हेक्टेयर या  कार्बोफूरोन 3 G @ 30 किलोग्राम / हेक्टेयर लागू करें।
  • क्विनालफास 25% EC या ट्रायजोफॉस 40% EC @ 3 मिली / लीटर पानी का छिड़काव 30-35 दिनों की फसल की उम्र में करे |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Today’s Crop Photo

नाम:- दिनेश जी

गाँव:- बिरगोदा

तहसील:- देपालपुर

जिला:- इंदौर

समस्या:- सोयाबीन फसल में जड़ सडन रोग

नियंत्रण:- जड़ सडन रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 63% या थायोफिनेट मिथाईल @ 50 ग्राम का स्प्रे करें|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Yellow Mosaic Virus in Legumes crops

पीला मौजेक वायरस :- पीला मौजेक वायरस मुख्य रूप से खरीफ मौसम में सोयाबीन, उड़द, मूग व कुछ अन्य फसलो में भी होता हैं |  सोयाबीन, उड़द आदि फसलो में रोग के प्रकोप से काफी नुकसान होता हैं | इससे पैदावार पर बुरा प्रभाव होता हैं, यह रोग 4-5 दिनों में पुरे खेत में फ़ैल जाता हैं और फसल पीली पड़ने लगती हैं रोग फैलाने मे मुख्य भूमिका सफ़ेद मक्खी की होती हैं |       

रोग फेलने  के मुख्य कारण :-

  • यह विषाणु जनित रोग रस चूसक कीट व सफ़ेद मक्खी से फैलता हैं |
  • बीजो का उचित उपचार नहीं किया जाना | साथ ही जानकारी का अभाव होना व लम्बे समय तक सुखा पड़ना भी वायरस को फैलाने में सहयोगी रहता हैं |
  • कीटनाशको का अन्धाधुंध प्रयोग करना बिना उचित जानकारी के दवाइयों का मिश्रण कर उनका छिडकाव करना |
  • किसानो द्वारा उचित फसल चक्र नहीं अपनाये जाना इसका मुख्य कारण होता हैं |
  • खेतो के चारो और मेड़ो की सफाई नहीं होने के कारण भी फैलता हैं |
  • सफ़ेद मक्खी पौधो के पत्ते पर बैठ कर रस चूसती है ओर लार वही छोड़ने से बीमारी का प्रकोप बढता हैं |

 रोग के  लक्षण :-

  • प्रारंभिक अवस्था में गहरे पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं|
  • रोग ग्रस्त पोधे की पत्तिया पीली पड़ जाती हैं |
  • रोगग्रस्त पोधे की पतियों की नसे साफ़ दिखाई देने लगती है |
  • पोधे की पत्तिया खुरदुरी हो जाती हैं |
  • ग्रसित पोधा छोटा रह जाता हैं|

रोकथाम के उपाय :-

यांत्रिक विधि :-

  • प्रारंभिक अवस्था मे रोग ग्रसित पौधो को खेत से उखाड़ कर जला दे |
  • खेत मे सफ़ेद मक्खी को आकर्षित करने के लिए  प्रति हक्टेयर 5-6 पीले प्रपंच लगाये |
  • फसल के चारो और जाल के रूप मे गेंदे की फसल लगाये |

जैविक विधि :-

  • प्रारंभिक अवस्था मे पौधो मे नीम तेल छिडकाव 1-1.5 ली. प्रति एकड़ चिपकने वाले पदार्थ मे मिलाकर 200-250 ली. पानी का घोल बना कर करे
  • 2 किलो सहजन की पत्तियों को बारीक़ पीसकर 5 ली. गोमूत्र और 5 ली. पानी मिलकर गला दे| 5 दिन बाद पानी छान ले| 500 मिलीलीटर घोल को 15 लीटर पानी मे मिलाकर फसल पर छिडकाव करे | यह फसल मे टॉनिक का काम करेगा |

रासायनिक विधि :-

  • डाइमिथिएट  250-300 मिलीलीटर  या थायोमेथाक्सोम 25WP 40 ग्राम  या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL 40 मिलीलीटर  या एसिटामाप्रीड 40 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200-250 लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करे |  

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

 

Share

Weed Management in Soybean

सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण

1.यांत्रिक विधिया ( श्रमिकों से निंदाई एवं डोरा ):-सोयाबीन में 20-25 दिन तथा 40 -45 दिनों में दो बार निंदाई करना आवश्यक हें | सुविधानुसार फसल में डोरा कुलपा बोवनी से 30 दिन, पहले तक करना चाहिए उपयोग के समय यह सावधानी रखनी चाहिए की पौधो की जड़ो को नुकसान नही हो |

2.खरपतवार नाशक रसायनो का उपयोग :- खरपतवार नाशक दवा की अनुशंसित मात्रा को 700 -800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें| यन्त्र में फ्लेट पेन या फ्लड जेट नोजल लगाकर प्रयोग करें | नमीयुक्त भूमि पर ही छिडकाव करना चाहिए सोयाबीन की फसल हेतु अनुशंसित खरपताबर नाशक रसायनो में से किसी एक का ही प्रयोग करे एवं प्रत्येक वर्ष रसायन बदल कर प्रयोग करें |

सोयाबीन की फसल में अनुशंसित खरपतवार

प्रयोग का समय रासायनिक नाम मात्रा/ हे
बोवनी के पूर्व 1 फ्लुक्लोरालीन 2.2 लीटर
2 ट्राईफ्लुरालीन 2.0 लीटर
बोवनी के तुरन्त बाद 1 मेटालोक्लोर 2 लीटर
2 क्लोमाझोन 2 लीटर
3 पेंडीमेथालीन 3.25 लीटर
4 डाक्लोरोसुलन 26 ग्राम
बोवनी के 10-15 दिन बाद 1 क्लोरोम्युरान इथाइल 36 ग्राम
बोवनी के 15-20 दिन बाद 1 इमेझेथापर 1 लीटर
2 क्बिज़ेलोफाप इथाइल 1 लीटर
3 फेनाक्सीफ्रोप इथाइल 0.75 लीटर
4 प्रोपाक्विजाफोप 0.75 लीटर

source:- https://iisrindore.icar.gov.in/

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Soybean Seed Treatment

सोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बोवनी के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Seed rate, sowing time and sowing method of Soybean

सोयाबीन की बीजदर, बोने का समय एवं बोनी की विधि :-

बीजदर:- विभिन्न जातियों के बीज के आकार के अनुसार सामान्य अंकुरण क्षमता वाले बीज दर निम्नानुसार उपयोग करना चाहिए:- (1) छोटे दाने वाली किस्में 28 किलो प्रति एकड़ (2) मध्यम दाने वाली किस्में 30 से 32 किलो प्रति एकड़ (3) बड़े दाने वाली किस्में – 36 किलो प्रति एकड़ |

बोने का समय:- बुवाई का उचित समय 20 जून से जुलाई का प्रथम सप्ताह होता है, जब लगभग 3-4 इंच वर्षा हो चुकी हो तो बुवाई प्रारम्भ कर देना चाहिये | यदि देर से बुआई करनी पड़ें तो बीज की मात्रा सवाई एवं कतार से कतार की दूरी 30 सेमी. कर देना चाहिए| देर से बुआई की स्थिती में शीघ्र पकने वाली जातियों का प्रयोग करना चाहिए |

बोनी की विधि :- सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए | बीज को 45 से.मी. कतार से कतार की दूरी पर एवं 3-5 सेमी. गहराई पर बोवें| बोवनी के लिए सीडड्रिल कम फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करें जिससे खाद एवं बीज अलग अलग दी जा सकें और खाद नीचे और बीज ऊपर गिरे | बीज एवं उर्वरक कभी भी बोवनी में एक साथ उपयोग नहीं करना चाहिए |

source:- https://iisrindore.icar.gov.in/

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Improved Varieties of Soybean and their selection

सोयाबीन की उन्नत किस्में:- किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ  लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |

मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-

क्र. किस्म का नाम अवधि दिन में उपज प्रति हेक्टेयर
1. JS-9560 82-88 18-20
2. JS-9305 90-95 20-25
3. NRC-7 90-99 25-35
4. NRC-37 99-105 30-40
5. JS-335 98-102 25-30
6. JS-9752 95-100 20-25
7. JS-2029 93-96 22-24
8. RVS-2001-4 92-95 20-25
9. JS-2069 93-98 22-27
10. JS-2034 86-88 20-25

Source:-https://iisrindore.icar.gov.in/

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें|

Share

Manure and fertilizer dose for Soybean

सोयाबीन के लिए खाद एवं उर्वरक:-

सोयाबीन एक दलहनी एवं तिलहन फसल है | इसमें नाईट्रोजन की आवश्यकता कम होती है | अधिक नाईट्रोजन देने से अफलन की समस्या आ सकती है इसलिए इसमें पौषक तत्व प्रबंधन में विशेष ध्यान देना होता है|

  • खाद एवं उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट, स्थान एवं किस्म के अनुसार भिन्न हो सकती है |
  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ आखरी जुताई के समय मिलाये |
  • सोयाबीन अनुसंधान क्रेंद्र द्वारा अनुशंसित मात्रा 20:60:20:20 किलो प्रति हे.क्रमशः नाईट्रोजन :फास्फोरस :पोटाश : सल्फर है इसके अनुसार लगभग 50 किलो डीएपी प्रति एकड़,10 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं 30 किलो पोटाश बेसल डोज़ में दे तथा बुआई के 15 दिन बाद 8 किलो प्रति एकड़ सल्फर 90% WDG एवं 4 किलो प्रति एकड़ माईकोराईज़ा (जैव-उर्वरक) देना चाहिए |
  • बुआई के समय राईज़ोबियम कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना बहुत लाभदायक होता है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Field preparation for Soybean

सोयाबीन के लिए भूमि की तैयारी:-

  • खेत में 3-4 बार हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर पाटा चलाकर समतल करना चाहिए|
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

For better flowering in soybean

सोयबीन में फूल वाली अवस्था पर जिब्रेलिक एसिड 50 पीपीएम का स्प्रे करने से फूलो की संख्या में बढ़वार होती है, फूल एवं फलिया अधिक लगती है साथ ही फूल गिरने की समस्या भी कम होती है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share