- सोयाबीन की फसल में बीज उपचार करने से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है।
- रोग से बचाव के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% या 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम या थियोफेनेट मिथाइल + पायरोक्लोरेस्ट्रोबिन 2 मिली या फास्फेट सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया + ट्रायकोडर्मा विरिडी 2 ग्राम/किग्रा + राइजोबियम कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर सेबीज उपचार करके ही बुआई करनी चाहिए।
- इसके बाद बीज कों समतल छायादार स्थान पर फैला दें तथा भीगे जूट की बोरियों से ढक दें।
- बीज उपचार के तुरंत बाद बुआई करें, उपचार के बाद बीज को ज्यादा देर तक रखना उचित नहीं है।
- उपचारित बीज का समान रूप से बुआई कर दें। ध्यान रखें कि बीज की बुआई शाम को करें क्योंकि अधिक तापमान से अंकुरण नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।
seed treatment in soybean
सोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बुवाई के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |
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ShareSoybean Field preparation
- बेहतर बीज अंकुरण के लिए, मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई किया जाना चाहिए,
- 2-3 साल में एक बार गहरी जुताई करवाए |
- पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करे|
- यदि मिट्टी में नमी की मात्रा कम हो, तो बुवाई से पूर्व सिंचाई के साथ खेत में प्रति एकड़ 4 किलोग्राम स्पीड कम्पोस्ट डालें और इसकी बुआई के लिए तैयार करें, आखिरी में पाटा चलाकर खेत को समतल बना लें।
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ShareControl of Anthracnose or Pod Blight in Soybean
सोयाबीन में ऐन्थ्रेक्नोज व फली झुलसन रोग का नियंत्रण:
- यह एक बीज एवं मृदा जनित रोग है।
- सोयाबीन में फूल आने की अवस्था में तने, पर्णवृन्त व फली पर लाल से गहरे भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते है।
- बाद में यह धब्बे फफूंद की काली सरंचनाओं (एसरवुलाई) व छोटे कांटे जैसी संरचनाओं से भर जाते है।
- पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।
नियंत्रण:-
- रोग सहनशील किस्में जैसे एनआरसी 7 व 12 का उपयोग करें।
- बीज को थायरम + कार्बोक्सीन 2 ग्राम /कि.ग्रा. बीज के मान से उपचारित कर बुवाई करें।
- रोग का लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% 400 ग्रा. प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
- अधिक प्रकोप होने पर टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC 200 मिली प्रति एकड़ के अनुसार स्प्रे करें|
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ShareControl of Gram pod borer in Soybean
सोयाबीन में चने की ईल्ली का नियंत्रण:-
नुकसान के लक्षण: –
- लार्वा नयी पत्तियों से क्लोरोफिल को भोजन के रूप में खाते है|
- वे शुरुआती चरण में पतियों से भोजन प्राप्त करते हैं,और बाद में वे फूलों और फली से भोजन प्राप्त करते है|
प्रबंधन :-
- गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करे |
- फेरोमेंन ट्रैप 5 प्रति हेक्टेयर स्थापित करे |
- क्लोरोपायरीफोस 20% ईसी @750 मिली/एकड़ और क्विनालफॉस 25% ईसी @ 250 मिली/एकड़ का छिड़काव करें | या
- डेल्टामैथ्रिन 2.8% ईसी @ 250 मिली/एकड़ और फ्लुबेंडीयामाइड 20% डब्लू जी @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें |
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ShareControl of white grubs in Soybean and Groundnut
सोयाबीन एवं मूंगफली में सफ़ेद ग्रब का नियंत्रण
नुकसान के लक्षण:- ग्रब जड़ों को खाता है | ग्रब बारीक जड़ों को खाता हैं जिससे पौधे सूखने लगते हैं पौधों का सुखना पेचों में दिखाई देता हैं |
सफ़ेद ग्रब का प्रबंधन:-
- जैव-नियंत्रण:- मेटाराहीजियम एनीसोप्ली जोकि एक फफूंद हैं यहाँ सफ़ेद ग्रब, दीमक एवं जैसिड में रोग पैदा कर के उन्हें मारता है | जमीन से:- 2-4 किलो मेटाराहीजियम एनीसोप्ली को 50 किलो गोबरखाद/कम्पोस्ट खाद/खेत की मिट्टी में मिला कर खेत की तैयारी के समय या खड़ी फसल में दे| छिड़काव:- 2 किलो मेटाराहीजियम एनीसोप्ली को 150- 200 लीटर पानी में घोल बना कर 1 एकड़ में छिड़काव करें |
- रासायनिक दवाई का छिड़काव मध्य जुलाई तक प्रत्येक बारिश के बाद करना चाहिए|
- पहली बारिश के 3-4 दिन के बाद खेत के आसपास एवं पेड़ों के पास शाम के समय क्लोरोपाइरीफॉस 20% EC @ 2 मिली/लीटर का छिड़काव करेने से ग्रब के व्यस्क मर जाते है और ग्रब की संख्या नियंत्रित रहती हैं|
- क्लोरोपाइरीफॉस 20% EC ( 6.5 to 12.5 Ml/kg बीज ) से बीज उपचार करना बहुत प्रभावी पाया गया हैं |
- बहुत अधिक प्रकोप होने पर निम्न मे से किसी एक का प्रयोग करें |
- कार्बोफुरान 3 % @ 10 किलो प्रति एकड़
- क्लोरोपाइरीफॉस 20 EC @ 500 मिली प्रति एकड़
- फोरेट 10% @ 10 किलो प्रति एकड़
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ShareManagement of Collar Rot in Soybean
सोयाबीन में कॉलर सड़न रोग
लक्षण: –
- संक्रमण आमतौर पर मिट्टी की सतह पर या नीचे से होता है।
- पोधे का पीला होकर अचानक मर जाना इसका पहला लक्षण है|
- पत्तियां भूरे रंग व शुष्क हो जाती है ओर अकसर मृत तने से चिपक जाती हैं।
प्रबंधन: –
-
- गर्मी के दिनों में खेत की गहरी जुताई करना चाहिये |
- मक्का व ज्वार को फसल चक्र मे शामिल करना चाहिये |
- कार्बेन्डाज़ीम या थायरम से बीज उपचार करना चाहिये
- कार्बेन्डाज़ीम या थायोफेनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी से ड्रेंचिंग करे |
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ShareControl of Semilooper In Soyabean:-
सोयाबीन में सेमीलुपर ईल्ली (कूबड़ वाली ईल्ली):-
- सोयाबीन में यह ईल्ली बहुत अधिक नुकसान पहुँचाती हैं|
- फसल की किसी भी अवस्था पर इसका प्रकोप हो सकता है पर फुल व फली बनने की अवस्था पर ज्यादा जोखिम होती है|
- यह पत्तियों पर छेद कर देते है | तथा पत्तियों को किनारों की तरफ से खाती हैं |
नियंत्रण :-
- गर्मी के समय में गहरी जुताई करना चाहिये |
- क्विनालफास 25% EC @ 400 मिली. या प्रोफेनोफॉस 50% EC @ 400 मिली या स्पीनोसेड 45% @ 60 मिली. प्रति एकड़ इनमें से किसी एक का छिड़काव करें |
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ShareControl of White fly in Soybean
सोयाबीन में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रण:-
- शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते है एवं मधु स्त्राव के उत्सर्जन से प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है|
- पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है सुटी मोल्ड से ढक जाती है | यह कीट पत्ति मोड़क विषाणु रोग व पीला शिरा विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है|
- नियंत्रण:- पीले रंग वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाए|
- प्रोफेनोफॉस @ 50 मिली./पम्प या थायमेथोक्जोम @ 5 ग्राम/पम्प या एसीटामीप्रिड @ 15 ग्राम/ पम्प का स्प्रे 3-4 बार 10 दिन के अंतराल पर करे|
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ShareManagement of Tobacco caterpillar in Soybean
नुकसान के लक्षण: इल्लियां पत्तियों का क्लोरोफिल खा में लेते है | खाए गए पत्ते पर सफेद पीले रंग की झिल्ली दिखाई देती हैं।
प्रबंधन
- गर्मियों में गहरी जुताई करना चाहिए |
- मानसून आने से पहले बुवाई से बचें।
- बीज दर (70-100 किलो / हेक्टेयर) रखना चाहिए|
- रोग ग्रस्त भागों को इकट्ठा और नष्ट करें|
- फेरोमोन ट्रेप 5 प्रति हेक्टेयर लगाए | ताकि इसके व्यस्क के आगमन का पता चल सके |
- प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या क़्वीनाल्फास 25% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ का स्प्रे करे |
- अधिक प्रकोप होने पर एमामेक्टीन बेंज़ोएट @ 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर |
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