ग्रीष्म ऋतु में खाली खेतों में जरूर करें ये कृषि कार्य

Do these agricultural work in empty fields in summer
  • किसान भाइयों, रबी फसलों की कटाई के बाद ग्रीष्म ऋतु में खेत खाली रहने की स्थिति में गहरी जुताई, मृदा सौरीकरण, मृदा परीक्षण आदि करना अत्यंत लाभदायक होता है। 

  • गहरी जुताई- अगली फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए रबी की फसल की कटाई के तुरन्त बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना लाभदायक रहता है। अप्रैल से जून तक ग्रीष्मकालीन जुताई की जाती है। जहां तक हो सके किसान भाइयों को गर्मी की जुताई रबी की फसल कटने के तुरंत बाद मिट्टी पलटने वाले हल से कर देनी चाहिए। 

  • मृदा सौरीकरण- इसके लिए मृदा की सतह पर, पॉलीथीन की एक चादर बिछा दें। इससे मृदा की गर्मी से परत के नीचे का तापमान बहुत बढ़ जाता है। इससे रोगों के कीटाणु, अनावश्यक बीज, कीट-पतंगों के अंडे आदि, सब नष्ट हो जाते हैं। मृदा सौरीकरण के लिए 15 अप्रैल से 15 मई तक का समय उत्तम रहता है l 

  • मृदा परीक्षण-  फसल कटने के बाद मिट्टी की जांच जरूर कराएं। मिट्टी परीक्षण से मिट्टी का पीएच, विद्युत चालकता, जैविक कार्बन के साथ साथ मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता लगाया जाता है जिसे समयानुसार सुधारा जा सकता है। 

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क्या है मिट्टी सौर्यीकरण (सोलेराइजेशन) की प्रक्रिया, जानें इसका महत्व

Soil Solarization Process and Importance
  • गर्मी में जब तेज धूप और तापमान अधिक हो (25 अप्रैल से 15 मई) तब मिट्टी सोलेराइजेशन का उत्तम समय होता है।
  • सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें।
  • इन क्यारियों को पारदर्शी 200 गेज (50 माइक्रोन) पॉलीथीन शीट से ढक कर गर्मियों में 5-6 सप्ताह के लिए फैला कर उसके चारों तरफ के किनारों को मिट्टी से अच्छी तरह से दबा दिया जाता है ताकि हवा अंदर प्रवेश ना कर सके।
  • इस प्रक्रिया में सूर्य की गर्मी से पॉलीथिन शीट के नीचे मिट्टी का तापमान सामान्य की अपेक्षा 8-10 डिग्री सेन्टीग्रेट बढ़ जाता है। जिससे क्यारी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगों के बीजाणु तथा कुछ खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं।
  • 5-6 सप्ताह बाद पॉलीथीन शीट को हटा देना चाहिए।
  • यह विधि नर्सरी के लिए बहुत ही लाभदायक एवं कम खर्चीली होती है और इससे विभिन्न प्रकार के खरपतवार के बीज/प्रकन्द (कुछ को छोड़कर जैसे मोथा एवं हिरनखुरी इत्यादि) नष्ट हो जाते हैं।
  • परजीवी खरपतवार ओरोबंकी, सूत्रकृमि एवं मिट्टी से होने वाली बीमारियों के जीवाणु इत्यादि भी नष्ट हो जाते हैं। यह विधि काफी व्यवहारिक एवं सफल है।
  • इस तरह से मिट्टी में बिना कुछ डाले मिट्टी का उपचार किया जा सकता है।
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बिना रसायन उपयोग किये मिट्टी उपचार कैसे करें?

बिना रसायन उपयोग किये मुख्यतः दो प्रकार की विधियों से मिट्टी उपचार या मिट्टी शोधन किया जा सकता है जो इस प्रकार है-

मिट्टी सोर्यीकरण अथवा मिट्टी सोलेराइजेशन- गर्मी में जब तेज धूप और तापमान अधिक हो तब मिट्टी सोलेराइजेशन का उत्तम समय होता है। इसके लिए क्यारियों को प्लास्टिक के पारदर्शी शीट से ढक कर एक से दो माह तक रखा जाता है, प्लास्टिक शीट के किनारों को मिट्टी से ढंक देना चाहिए ताकि हवा अंदर प्रवेश ना कर सके। इस प्रक्रिया से प्लास्टिक फिल्म के अंदर का तापमान बढ़ जाता है जिससे क्यारी के मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगों के बीजाणु तथा कुछ खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं। प्लास्टिक फिल्म के उपयोग करने से क्यारियों में मिट्टीजनित रोग एवं कीट कम हो जाते हैं। इस तरह से मिट्टी में बगैर रसायन रोग एवं कीट कम हो जाते हैं। इस तरह से मिट्टी में बिना कुछ डाले मिट्टी का उपचार किया जा सकता है।

जैविक विधि- जैविक विधि से मिट्टी शोधन करने के लिए ट्राईकोडर्मा विरिडी (संजीवनी/ कॉम्बेट) जो कि कवकनाशी है और ब्यूवेरिया बेसियाना (बेव कर्ब) जो कि कीटनाशी है,  से उपचार किया जाता है। इसके उपयोग के लिए 8 -10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद लेते हैं तथा इसमें 2 किलो संजीवनी/ कॉम्बेट और बेव कर्ब को मिला देते हैं एवं मिश्रण में नमी बनाये रखते है। यह क्रिया में सीधी धूप नहीं लगनी चाहिए अतः  इसे छाव या पेड़ के नीचे करते है। नियमित हल्का पानी देकर नमी बनाये रखना होता है। 4-5 दिन पश्चात फफूंद का अंकुरण होने से खाद का रंग हल्का हरा हो जाता है तब खाद को पलट देते है ताकि फफूंद नीचे वाली परत में भी समा जाये। 7 से 10 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से खेत में इसे बिखेर देना चाहिए। ऐसा करने से भी भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणुओं को नष्ट किया जा सकता है। ग्रामोफ़ोन द्वारा उपलब्ध मिट्टी समृद्धि किट में वे सभी जैविक उत्पाद है जो मिट्टी की संरचना सुधारने, लाभकारी जीवों की संख्या और पौधों के पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने, हानिकारक कवकों को नष्ट करने, जड़ों के विकास करने, जड़ों में राइजोबियम बढाकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते है।

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Soil solarization in chilli nursery

  • फफूंद जनित रोग तथा कीट आदि से बचाव के लिए मिर्च फसल की नर्सरी तैयार करने से पहले ग्रीष्म कालीन सौरीकरण किया जाना चाहिए|
  • सौरीकरण के लिए उपयुक्त समय अप्रैल-मई होता हैं क्योकि इस समय वातावरण का तापमान 40ºC तक बढ़ जाता हैं।
  • सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें।
  • इसके बाद लगभग 5-6 सप्ताह के लिए पूरे नर्सरी क्षेत्र पर 200 गेज (50 माइक्रोन) की पारदर्शी पॉलीथीन फैलाएं।
  • पॉलिथीन के किनारो को गीली मिट्टी की सहायता से ढंकना चाहिए जिससे हवा का प्रवेश पॉलीथीन के अंदर न होने पाए।
  • 5-6 सप्ताह के बाद पॉलीथिन शीट को हटा दें|

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