एरोपोनिक पद्धति से केसर की खेती करके किसान कमा रहे लाखों रूपए

केसर का पौधा दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। इसकी खेती करके किसान भाई प्रतिवर्ष लाखों की कमाई कर सकते हैं। हालांकि भारत में इसकी खेती खासतौर पर जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में की जाती है, लेकिन हरियाणा के इन दो किसानों ने अपने दस गज के कमरें में केसर की खेती करके एक नई मिसाल कायम कर दी है।

दरअसल हिसार के दो किसान प्रवीण और नवीन सिंधु मिलकर एरोपोनिक पद्धति के जरिए केसर की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं। बता दें कि ईरान में इस पद्धति की मदद से घरों में केसर की खेती की जाती है। दोनों किसान भाईयों ने इंटरनेट की मदद से जानकारियां जुटाकर केसर की खेती शुरू की। अब वे दोनों मिलकर प्रतिवर्ष 8 से 9 लाख रूपए की कमाई कर रहे हैं। 

एरोपोनिक पद्धति से केसर की खेती

इसके लिए उन्होंने शीशे की रैक में ऊपर-नीचे दोनों ओर केसर के बीज लगाए। केसर के पौधों को ठंडक की जरूरत होती है, इसलिए खेती वाले कमरे में एसी लगवाया गया। इसके लिए दिन का तापमान 17 डिग्री और रात में तापमान 10 डिग्री होना चाहिए। इसके साथ ही केसर की खेती के लिए 80 से 90 डिग्री ह्यूमिडिटी होनी चाहिए। इसके अलावा सूरज की तिरछी रोशनी कमरे में आनी भी जरूरी है। दोनों किसान भाई एरोपोनिक पद्धति की मदद से लाखों रूपए का मुनाफा कमा रहे हैं, साथ ही दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रहे हैं।

स्रोत: आज तक

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केसर की खेती कर देगी मालामाल, इन बातों का रखें ख्याल

केसर का पौधा दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। केसर की कीमत की वजह से इसे ‘लाल सोना’ भी कहा जाता है। जिसके चलते केसर की खेती मालामाल कर देने वाली फसल मानी जाती है। इसकी खेती करके किसान भाई प्रतिवर्ष लाखों की कमाई कर सकते हैं।

भारत में इसकी खेती खासतौर पर जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में की जाती है। वैसे तो केसर की खेती समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर हो सकती है। हालांकि अब किसान उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भी केसर की खेती कर रहे हैं।

केसर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

इसका फसल चक्र 3 से 4 महीने का होता है। खेती के लिए जून से सितंबर का महीना बढ़िया माना जाता है। इसके लिए रेतीली, बलुई या दोमट मिट्टी होना जरूरी है। भारी चिकनी मिट्टी में यह फसल नहीं होती है। 

इसके साथ ही केसर की फसल के लिए अच्छी धूप की जरूरत पड़ती है। अधिक ठंड और बरसात के मौसम में केसर की फसल खराब हो जाती है। यानि केसर की खेती के लिए ऐसी जगह चुने जहां पानी का जमाव न होता हो। 

स्रोत: आज तक

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