कद्दूवर्गीय फसल का उत्पादन बढ़ाने में मददगार होती है मधुमक्खी

Know how a bee works as a good pollinator in pumpkin crops
  • ग्रीष्मकालीन फसलों के रूप में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत अधिक मात्रा में लगाई जाती हैं।
  • बदलते मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल के विकास के समय बहुत समस्या आती है।
  • मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • कद्दूवर्गीय फसल में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।
  • मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है, जो पराग कणों को उठा लेते हैं। इसके बाद वे पराग कण को एकत्रित कर मादा फूलों तक पहुँचाते हैं।
  • मधुमक्खी इन फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है।
  • उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।
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कद्दुवर्गीय फसलों में लाल मकड़ी का ऐसे करें नियंत्रण

How to control red spider in cucurbits crops
  • लाल मकड़ी का सबसे ज्यादा प्रकोप मानसून के पूर्व होता है पर कई बार ये बाकी समय में भी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है। आने वाले दिनों में भी इसके प्रकोप की संभावना है।
  • इस का प्रकोप पत्तियों की निचली सतह पर सबसे अधिक दिखाई देता है।
  • यह कीट पत्तियों की शिराओ के पास अंडे देती है।
  • इस कीट के अधिक प्रकोप की अवस्था में पत्तियां चमकीली पीली हो जाती हैं।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए प्रॉपरजाइट 57% EC@ 400 ग्राम/एकड़ या स्पैरोमेसीफेंन 22.9% SC@ 200 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC@ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसी के साथ जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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कद्दू की फसल में फल मक्खी की पहचान 

pumpkin crop
  • मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं। 
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है। 
  • मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।  
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है। 
  • इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं। 
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
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कद्दू की फसल में फल मक्खी की पहचान

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं। 
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है। 
  • मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।  
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है। 
  • इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
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कद्दुवर्गीय फसलों में लाल मकड़ी की पहचान

  • लाल मकड़ी 1 मिमी लंबी होती है जिन्हे नग्न आँखों से आसानी से नहीं देखा जा सकता है।
  • लाल मकड़ी पत्तियों की निचली सतह में समूह बनाकर रहती है।
  • इसका लार्वा शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों की निचली सतह को फाड़कर खाते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों व लताओं के कोशिका रस को चूसते हैं, जिसके पत्तियों व लताओं पर सफ़ेद रंग के धब्बे विकसित हो जाते हैं।
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कद्दू व तुरई की फसल में लाल कीट का नियंत्रण

  • पुरानी फसल के अवशेष को नष्ट कर दें।
  • यदि फसल की प्रारंभिक अवस्था में, कीट दिखाई दे तो उसे हाथ से पकड़कर नष्ट कर दें।
  • साईपरमेथ्रिन 25% ईसी 150 मि.ली.प्रति एकड़ + डायमिथोएट 30% ईसी 300 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या
  • कार्बारिल 50% डब्लू पी 450 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें।
  • डाइक्लोरवास (डीडीवीपी) 76% ईसी का 250-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव कर के इस कीट का नियंत्रण किया जा सकता है |
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कद्दू व तुरई की फसल में लाल कीट की पहचान 

  • अंडे से निकले हुये ग्रब ‘जड़ों, भूमिगत भागों एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते हैं उनको खा जाते हैं।
  • इन प्रभावित पौधे के खाये हुए जड़ों एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएँ सुख जाती है।
  • बीटल पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देते है। 
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुँचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते हैं। 
  • संक्रमित फल मनुष्य के खाने योग्य नहीं रहते हैं।
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कद्दू, तरबूज एवं खरबूजे की फसल में गम्मी तना झुलसा रोग का प्रबंधन

  • रोपाई का निरीक्षण करें एवं संक्रमित पौधों को उखाड़ कर खेत से बाहर फेंक दें।
  • क्लोरोथालोनि
  • स्वस्थ बीजों का चयन करें।
  • ल 75% WP @ 350 ग्राम/एकड़ का घोल बना कर छिड़काव करें। या
  •  टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/एकड़ का घोल बना कर छिड़काव करें।
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कद्दू, तरबूज और खरबूज में बदलते मौसम के प्रभाव से होने वाली गम्मी तना झुलसा रोग की पहचान कैसे करें?

  • इस बीमारी के कारण पौधे की जड़ को छोड़कर अन्य सभी भाग संक्रमित हो जाते हैं।
  • पौधे की पत्ती के किनारों पर पीलापन और सतह पर जल भरे हुए धब्बे दिखाई देते हैं।
  • इस रोग से ग्रसित पौधे के तने पर घाव बन जाते हैं जिससे लाल-भूरे, काले रंग का चिपचिपा पदार्थ (गम) निकलता है।
  • तने पर भूरे-काले रंग के धब्बे बन जाते जो बाद में आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं।
  • प्रभावित पौधे के बीजों पर मध्यम-भूरे, काले धब्बे पड़ जाते हैं।
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कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग का नियंत्रण कैसे करें?

pumpkin crop
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों की बीज को लगाएं।
  • फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैं।
  • मेटालैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% WP @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
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