- धान की सीधी बुआई उचित नमी पर यथासंभव खेत की कम जुताई करके अथवा बिना जोते हुए खेतों में आवश्यकतानुसार नॉनसेलेक्टिव खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो टिल मशीन से की जाती है।
- धान की बुआई मानसून आने के पूर्व (15-20 जून) अवश्य कर लेना चाहिए, ताकि बाद में अधिक नमी या जल जमाव से पौधे प्रभावित न हो। इसके लिए सर्वप्रथम खेत में हल्का पानी देकर उचित नमी आने पर आवश्यकतानुसार हल्की जुताई या बिना जोते जीरो टिल मशीन से बुआई करनी चाहिए।
- धान की नर्सरी उगाने में होने वाला खर्च बच जाता है। इस विधि में जीरो टिल मशीन द्वारा 10-15 किग्रा. बीज प्रति⁄एकड़ बुआई के लिए पर्याप्त होता है।
- इस तरह से धान की बुआई करने के पूर्व खरपतवारनाशी का उपयोग कर लेना चाहिए
धान की फसल के लिए नर्सरी क्षेत्र का चुनाव और नर्सरी की तैयारी
- स्वस्थ एवं रोगमुक्त पौध तैयार करने के लिए उचित जल-निकास एवं उच्च पोषक तत्व युक्त दोमट मिट्टी उपयुक्त है तथा सिंचाई के स्रोत के पास पौधशाला का चयन करें।
- नर्सरी क्षेत्र को गर्मियों में अच्छी तरह 3-4 बार हल से जुताई करके खेत को खाली छोड़ने से मृदा संबंधित रोगों में काफी कमी आती है।
- बुआई के एक महीने पहले नर्सरी की तैयारी की जाती है। नर्सरी क्षेत्र में 15 दिनों के अंतराल पर पानी देकर खरपतवारों को उगने दिया जाए तथा हल चलाकर या
- नॉन सलेक्टिव खरपतवारनाशी जैसे कि पैराक्वाट डाइक्लोराइड 24% SL या ग्लाईफोसेट 41% SL @ 1000 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करके खरपतवारों को नष्ट कर दें। ऐसा करने से धान की मुख्य फसल में भी खरपतवारों की कमी आयेगी।
- 50 किलो सड़ी गोबर की खाद में 1 किलो कम्पोस्टिंग जीवाणुओं को मिलाएं। तब खेत की सिंचाई करें और दो दिनों तक खेत में पानी रखें।
- क्यारियों की उचित देखभाल के लिए 1.5-2.0 मीटर चौड़ाई तथा 8-10 मीटर लंबाई रखनी चाहिए। नर्सरी के लिए 400 वर्ग मीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
- नर्सरी में फसल को उचित वानस्पतिक वृद्धि के साथ-साथ जड़ के विकास की भी आवश्यकता होती है। यूरिया 20 किग्रा + ह्यूमिक एसिड 3 किग्रा प्रति एकड़ नर्सरी में बिखेर दें।
- वर्षा आरम्भ होते ही धान की बुआई का कार्य आरम्भ कर देना चाहिये। जून मध्य से जुलाई प्रथम सप्ताह तक बोनी का समय सबसे उपयुक्त होता है।
Control of Neck Blast in Paddy
- ट्रायसायक्लाज़ोल 75% डब्ल्यूपी 120ग्राम/एकड़ | या
- कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यू पी @ 300 ग्राम/एकड़ | या
- थियोफोनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ |
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ShareNeck Blast of Paddy
- बहुतायत से होने वाला यह रोग जो की ब्लास्ट नाम से जाना जाता हैं धान की उपज में अधिक कमी ला देता हैं |
- ग्रषित पौधे में संक्रमण नोड्स पर पट्टी नुमा गर्डल होता हैं जिसका रंग धूसर से काला होता हैं |
- क्योकी संक्रमण करधनी के ऊपर होता हैं इस कारण नोड्स के ऊपर का हिस्सा लटक जाता हैं या टूट जाता हैं |
- अगर संक्रमण दाने भरने के पहले हो जाये तो दाने नहीं बनते अगर यह संक्रमण देर से होता हैं तो दानो की गुणवत्ता खराब हो जाती हैं |
- कभी कभी इसके लक्षण स्टेम बोरर कीट की तरह होते हैं जिसमे बालिया सफ़ेद रंग की हो जाती हैं |
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ShareControl of brown plant hopper in paddy crop
- ऐसीफेट 75% एसपी @ 300 ग्राम / एकड़ (या)
- क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी @ 500 -1000 मिली / एकड़ (या)
- कार्बोफ्यूरान 3 जी @ 7.5 किग्रा / एकड़ (या)
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ShareBrown plant hopper in Paddy crop
- अर्ध चंद्र के आकर का अंडा, वयस्क द्वारा पत्तीयों की मुख्य शिरा के पास दिया जाता हैं |
- निम्फ का रंग सफ़ेद से हल्का भूरा रहता हैं |
- इस कीट का निम्फ और व्यस्क जो की भूरे से सफेद रंग का होता हैं वह पौधे के तने के आधार के पास रहता हैं तथा वही से पौधे को नुकसान पहुँचता हैं |
- प्लांटहॉपर द्वारा किया गया नुकसान पौधे में पीलेपन के रूप में दिखता हैं |
- अधिक जनसंख्या होने पर हॉपरबर्न के लक्षण नजर आते हैं इस स्थिति में फसल से शत प्रतिशत हानि हो जाती हैं |
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SharePaddy Blast Symptoms
- धान का यह रोग अधिक नुकसान पहुंचाने वाला रोग हैं |
- लीफ ब्लास्ट रोग धान की फसल को किसी भी अवस्था में संक्रमित कर सकता हैं |
- संक्रमण की गंभीर अवस्था में यह रोग पत्ती के सतही भाग को कम कर देता हैं जिससे दाने कम भरते हैं परिणामस्वरूप उपज कम होती हैं |
- शुरवाती लक्षण के रूप में सफेद से धूसर हरे रंग के धब्बे पत्तियों पर दीखते हैं जिसके किनारे गहरे हरे रंग के होते हैं |
- पुराने धब्बे अण्डाकार या धुरी के आकार के जिसका केंद्र सफ़ेद से धूसर रंग का तथा लाल से भूरे रंग की परिगलित किनारे होते हैं |
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