आपकी मक्का फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 1 से 2 दिन बाद – फसल को प्राथमिक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए

रोपाई के ठीक बाद पहली सिंचाई दें और उपरोक्त उर्वरक की बेसल खुराक लागू करें। यूरिया -25 किग्रा, डी ए पी – 50 किलो, एमओपी- 40 किग्रा, एनपीके बैक्टीरिया (एसकेबी फोस्टर प्लस बीसी 15) -100 किग्रा, जिंक सोलूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (एसकेबी जेड़एनएसबी) – 100 किग्रा + समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा (मैक्समायको)- 2 किग्रा प्रति एकड़ इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैलाएं| अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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आपकी मक्का फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई से 0 से 3 दिन पहले – बीज को फफूंद जनित रोगों से बचाने के लिए

बीज को मिट्टी में फफूंद से बचाने के लिए कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% (विटावक्स पावर) 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी (साफ) 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज और इमिडाक्लोप्रिड 48% एफएस (गाउचो) 5 मिली प्रति किलो बीज से उपचारित करें। अधिक जानने के लिए हमारे टोल-फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल दें।

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आपकी मक्का फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई से 8 से 10 दिन पहले – मिट्टी की संरचना में सुधार के लिए खेत की तैयारी

4 टन सड़ी गोबर की खाद में 1 किलो ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (कॉम्बॅट) ठीक से मिलाएं और एक एकड़ क्षेत्र की मिट्टी में फैलाएं। यदि आपके खेत में दीमक की समस्या है तो 5 किलो प्रति एकड़ फिप्रोनिल ग्रेनुवल को खेत में छिटक दे| अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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मक्का की खेती में बुआई के समय ऐसे करें उर्वरक प्रबंधन

Fertilizer Management at the time of Sowing in Maize Crop
  • दुनिया में मुख्य खाद्यान्न फ़सलों में गेहूँ एवं धान के बाद तीसरी मुख्य फसल के रूप में मक्का आता है। 
  • इसका मुख्य कारण है इसकी उत्पादकता – क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता गेहूँ एवं धान से 25-100 प्रतिशत तक अधिक है। बुआई हेतु यह खरीफ मौसम में 15 से 30 जून का समय सबसे उपयुक्त होता है। 
  • अधिकतम लाभ के लिए बुआई से पहले मिट्टी की जांच करवाना आवश्यक होता है। बुआई से पूर्व खेत में 4-6 टन प्रति एकड़ की दर से भली भाँती सड़ी हुई गोबर या FYM को मिला देना चाहिए।
  • मक्का की संकर एवं संकुल किस्मों द्वारा अधिकतम उपज लेने के लिए खाद एवं उर्वरक की पर्याप्त मात्रा उपयुक्त समय पर ही देनी चाहिए।
  • बुआई से पहले यूरिया @ 25 किलो/एकड़, DAP @ 50 किलो/एकड़ एवं MOP@ 40 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें। 
  • इसी  के साथ किसान मक्का समृद्धि किट का उपयोग भी कर सकते हैं। इस  किट की कुल मात्रा 2.7 किलो है जो प्रति एकड़ खेत के लिए उपयुक्त है।  
  • इस किट में आपको वो सबकुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरुरत मक्का की फसल को होती है। 
  • इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं जिनमें चार प्रकार के बैक्टीरिया ‘नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, पीएसबी और केएमबी से मिलकर बना है। एवं जिंक जो अघुलनशील जिंक को घुलनशील बनाता है और पौधों को यह उपलब्ध करवाता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • मक्का समृद्धि किट मिट्टी और बीज में होने वाले रोगजनकों को मारता है और फूल, फल, पत्ती आदि की वृद्धि में मदद करता है। साथ ही साथ यह सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है।
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मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले ऐसे करें बीज उपचार

  • मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले बीज उपचार कर लेना चाहिए। ऐसा करने से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण होता है।
  • इससे बीजों के अंकुरण के समय या अंकुरण के बाद मिट्टी जनित एवं बीज जनित कवक रोगों एवं कीटों से रक्षा होती है। 
  • सम्पूर्ण फसल का सामान विकास एवं परिपक्वता होती है।  
  • बीज उपचार दो प्रकार से किया जाता है जैविक और रासायनिक तरीके से।
  • जैविक उपचार के लिए PSB बैक्टीरिया + ट्राइकोडर्मा विरिडी @2 ग्राम/किलो बीज + 5 ग्राम/किलो बीज का उपयोग करना चाहिए। 
  • वहीं रासायनिक उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज। 
  • इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 5 मिली/किलो बीज या  
  • कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% WP@ 2.5 ग्राम/किग्रा बीज या 
  • साइंट्रानिलिप्रोएल 19.8% + थियामेथोक्साम 19.8% FS @ 6 मिली/किलो बीज का उपयोग करें। 
  • मक्का में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण के लिए भी बीज़ उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। 
  • बीज उपचार करने के लिए सबसे पहले बुआई के लिए बीजों का चयन करें एवं बीज को बताई गयी मात्रा में उपचारित करें। इसके अलावा उपचार के तुरंत बाद बीज की बुआई करें। बीज को संग्रहीत करके ना रखें।
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मक्के में सिंचाई प्रबंधन

  • मक्के की खेती सामान्यतः वर्षा ऋतु (मध्य जून-जुलाई), शीत ऋतु (अक्टूबर-नवम्बर) एवं बसंत ऋतु (जनवरी-फरवरी) में की जाती है|
  • वर्षा ऋतु की फसल वर्षा आधारित एवं शीत और बसंत ऋतु की फसल सिंचाई पर आधारित होती है|
  • शीत और बसंत ऋतु की फसल में पहली सिंचाई बीज के अंकुरण के 3-4 सप्ताह बाद करना चाहिए|
  • बसंत ऋतु की फसल में मध्य -मार्च माह तक 4-5 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए|
  • और इसके बाद 1-2 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई के जाती है|
  • पानी के उपलब्धता के आधार पर फसल की निम्न अवस्थाओं पर सिंचाई करना चाहिए|
  • पाँच सिंचाई जल होने की स्थिति में – छः पत्ती वाली अवस्था, घुटने तक ऊँचाई के बाद वाली अवस्था, नरमंजरी निकले वाली अवस्था, 50 % रेशम (स्री केसर) वाली अवस्था और दाने पकने वाली अवस्था पर सिंचाई करते है|
  • तीन सिंचाई जल होने की अवस्था में – घुटने तक ऊँचाई के पहले वाली अवस्था, 50 % रेशा (स्री केसर) वाली अवस्था और दाने पकने वाली अवस्था पर सिंचाई करते है|

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Fall army worm :- Nature of Damage and Control measures

पहली बार भारत में इस कीट का प्रकोप जुलाई 2018 में कर्णाटक राज्य में देखा गया इसके बाद यह अन्य राज्यों में भी आ गया | मक्के की फसल को नुकसान पहुंचने वाला यह कीट अन्य कीटो की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहता हैं | इस कीट के पतंगे हवा के बहाव के साथ एक ही रात में लगभग 100 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं इसकी एक मादा अपने जीवन काल में 1 से 2 हजार तक अण्डे देती हैं | नुकसान करने की वजह सिर्फ इनकी आबादी ही नहीं बल्कि नुकसान पहुंचाने या फसलों को खाने का तरीका भी हैं, ये कीट फसलों पर झुण्ड में आक्रमण करते हैं| जिसकी वजह से ये कुछ ही समय में पूरी फसल को नष्ट कर देते हैं यह बहु भक्षी कीट लगभग 80 प्रकार की फसलों को खाता हैं परन्तु इसका प्रिय भोजन मक्का हैं 

  • ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
  • क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
  • यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं

नियंत्रण :-

  • प्रकाश प्रपंज लगाए।
  • 5 प्रति एकड़ की दर से खेत में फेरोमोन ट्रेप लगाइये।
  • बिवेरिया बेसियाना @ 1 किलो/एकड़ स्प्रै करवाइये |
  • फ्लूबेंडामीड 480 एससी @ 60 मिली/एकड़। 
  • स्पिनोसेड 45% एससी @ 80 मिली/एकड़ | 
  • थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम/एकड़ | 
  • क्लोरैट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ | 

इनमे से किसी एक कीट नाशक का प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बना कर छिड़काव करे।

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How much and when apply fertilizer in corn:

  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ अंतिम जुताई के समय मिलाये |
  • मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर यूरिया 20 किलो, डीएपी 70 किलो और पोटाश 35 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुवाई के समय देना चाहिए |
  • फसल में बेसल डोज मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।
  • मक्का की फसल में यूरिया की कुल आवश्यकता 60-72 किग्रा/एकड़ होती है। यूरिया की पूरी मात्रा को निम्न अनुसार देना चाहिए | 
न.        फसल अवस्था       नाइट्रोजन  (%)
1 बेसल (बुवाई के समय )         20
2 V4 (चार पत्ती की अवस्था ) 25
3 V8 (आठ पत्ती की अवस्था) 30
4 VT (फूल आने के बाद ) 20
5 GF (दाने भरने की अवस्था ) 5

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Fall army worm :- Nature of Damage and Control measures

हानि:-

  • ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
  • क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
  • यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं

नियंत्रण :-

  • लाईट ट्रेप लगाए |
  • 5 प्रति एकड़ मादा की खुशबु वाले फेरोमोन ट्रेप सेट लगाए |
  • ईल्ली दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें|
  • फ्लूबेंडामीड 480 एससी @ 60 मिली/एकड़।
  • स्पिनोसेड 45% एससी @ 80 मिली/एकड़
  • थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम/एकड़
  • क्लोरैट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ |

इनमे से किसी एक कीट नाशक का प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बना कर छिड़काव करे।

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Maize:- Basis for Selection of Variety

 

6240 + सिनजेंटा 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी पीला उत्कृष्ट नोक, बोल्ड कर्नेल के साथ समान और आकर्षक पौधे, बहुत सारी जगहों के लिए अनुकूलित हाइब्रिड किस्म, प्रबंधन के लिए अच्छा। 6240 से अधिक उपज देता है क्योंकि यह बीज कीटनाशक तथा फफूंदनाशक आदि से उपचारित किया हुआ आता हैं |    
सिनजेंटा एस 6668 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी उच्च प्रबंधन के साथ सिंचित क्षेत्रो के लिए उपयुक्त, आकर्षक नारंगी कर्नेल और दाने टिप तक भरे रहते हैं, बड़े भुट्टे उच्च उपज
पायनियर 3401 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी पीला शेलिंग प्रतिशत 80-85 % तक होता हैं एक भुट्टे में 16-20 लाइन होती हैं, नारंगी रेशे, भुट्टे में दाने शीर्ष तक भरे रहते हैं, लम्बी अवधि लगभग 110 दिन, उपज लगभग 30-35 क्विंटल

 

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