मक्के में सिंचाई प्रबंधन

  • मक्के की खेती सामान्यतः वर्षा ऋतु (मध्य जून-जुलाई), शीत ऋतु (अक्टूबर-नवम्बर) एवं बसंत ऋतु (जनवरी-फरवरी) में की जाती है|
  • वर्षा ऋतु की फसल वर्षा आधारित एवं शीत और बसंत ऋतु की फसल सिंचाई पर आधारित होती है|
  • शीत और बसंत ऋतु की फसल में पहली सिंचाई बीज के अंकुरण के 3-4 सप्ताह बाद करना चाहिए|
  • बसंत ऋतु की फसल में मध्य -मार्च माह तक 4-5 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए|
  • और इसके बाद 1-2 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई के जाती है|
  • पानी के उपलब्धता के आधार पर फसल की निम्न अवस्थाओं पर सिंचाई करना चाहिए|
  • पाँच सिंचाई जल होने की स्थिति में – छः पत्ती वाली अवस्था, घुटने तक ऊँचाई के बाद वाली अवस्था, नरमंजरी निकले वाली अवस्था, 50 % रेशम (स्री केसर) वाली अवस्था और दाने पकने वाली अवस्था पर सिंचाई करते है|
  • तीन सिंचाई जल होने की अवस्था में – घुटने तक ऊँचाई के पहले वाली अवस्था, 50 % रेशा (स्री केसर) वाली अवस्था और दाने पकने वाली अवस्था पर सिंचाई करते है|

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