मक्का की खेती में बुआई के समय ऐसे करें उर्वरक प्रबंधन

Fertilizer Management at the time of Sowing in Maize Crop
  • दुनिया में मुख्य खाद्यान्न फ़सलों में गेहूँ एवं धान के बाद तीसरी मुख्य फसल के रूप में मक्का आता है। 
  • इसका मुख्य कारण है इसकी उत्पादकता – क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता गेहूँ एवं धान से 25-100 प्रतिशत तक अधिक है। बुआई हेतु यह खरीफ मौसम में 15 से 30 जून का समय सबसे उपयुक्त होता है। 
  • अधिकतम लाभ के लिए बुआई से पहले मिट्टी की जांच करवाना आवश्यक होता है। बुआई से पूर्व खेत में 4-6 टन प्रति एकड़ की दर से भली भाँती सड़ी हुई गोबर या FYM को मिला देना चाहिए।
  • मक्का की संकर एवं संकुल किस्मों द्वारा अधिकतम उपज लेने के लिए खाद एवं उर्वरक की पर्याप्त मात्रा उपयुक्त समय पर ही देनी चाहिए।
  • बुआई से पहले यूरिया @ 25 किलो/एकड़, DAP @ 50 किलो/एकड़ एवं MOP@ 40 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें। 
  • इसी  के साथ किसान मक्का समृद्धि किट का उपयोग भी कर सकते हैं। इस  किट की कुल मात्रा 2.7 किलो है जो प्रति एकड़ खेत के लिए उपयुक्त है।  
  • इस किट में आपको वो सबकुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरुरत मक्का की फसल को होती है। 
  • इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं जिनमें चार प्रकार के बैक्टीरिया ‘नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, पीएसबी और केएमबी से मिलकर बना है। एवं जिंक जो अघुलनशील जिंक को घुलनशील बनाता है और पौधों को यह उपलब्ध करवाता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • मक्का समृद्धि किट मिट्टी और बीज में होने वाले रोगजनकों को मारता है और फूल, फल, पत्ती आदि की वृद्धि में मदद करता है। साथ ही साथ यह सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है।
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मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले ऐसे करें बीज उपचार

  • मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले बीज उपचार कर लेना चाहिए। ऐसा करने से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण होता है।
  • इससे बीजों के अंकुरण के समय या अंकुरण के बाद मिट्टी जनित एवं बीज जनित कवक रोगों एवं कीटों से रक्षा होती है। 
  • सम्पूर्ण फसल का सामान विकास एवं परिपक्वता होती है।  
  • बीज उपचार दो प्रकार से किया जाता है जैविक और रासायनिक तरीके से।
  • जैविक उपचार के लिए PSB बैक्टीरिया + ट्राइकोडर्मा विरिडी @2 ग्राम/किलो बीज + 5 ग्राम/किलो बीज का उपयोग करना चाहिए। 
  • वहीं रासायनिक उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज। 
  • इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 5 मिली/किलो बीज या  
  • कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% WP@ 2.5 ग्राम/किग्रा बीज या 
  • साइंट्रानिलिप्रोएल 19.8% + थियामेथोक्साम 19.8% FS @ 6 मिली/किलो बीज का उपयोग करें। 
  • मक्का में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण के लिए भी बीज़ उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। 
  • बीज उपचार करने के लिए सबसे पहले बुआई के लिए बीजों का चयन करें एवं बीज को बताई गयी मात्रा में उपचारित करें। इसके अलावा उपचार के तुरंत बाद बीज की बुआई करें। बीज को संग्रहीत करके ना रखें।
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मक्का समृद्धि किट में उपस्थित जैविक उत्पाद और इनके उपयोग का तरीका

Organic products and methods of use in Makka Samriddhi Kit
  • मक्का की उपज बढ़ाने में मक्का समृद्धि किट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • मक्का समृद्धि किट में पोटाश एवं फास्फोरस के जीवाणु, नाइट्रोज़न के बैक्टीरिया, ज़िंक सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया, ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा जैसे जैविक उत्पाद हैं।
  • इस किट का पहला उत्पाद तीन प्रकार के बैक्टीरिया ‘नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, PSB और KMB’ से बना है। यह मिट्टी और फसल में तीन प्रमुख तत्वों नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है। जिसके कारण पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं, विकास अच्छा होता है, फसल उत्पादन बढ़ता है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है।
  • इस किट का दूसरा उत्पाद ज़िंक सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया है जो मिट्टी में मौजूद अघुलनशील ज़िंक को घुलनशील रूप में पौधों को उपलब्ध कराता है। यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है। इसकी 100 ग्राम  की मात्रा प्रति एकड़ मिट्टी उपचार हेतु उपयोग की जाती है 
  • किट का अंतिम उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा तत्वों का खजाना होता है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है। 
  • मक्का समृद्धि किट की 4.1 किलो (जिसमें उपरोक्त सभी जैविक उत्पाद सम्मलित है) को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में अंतिम जुताई के समय या बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला देना चाहिए ताकि फसल को इसका पूरा लाभ मिल सके।
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