करेला में सिंचाई

  • करेले की फसल सूखे एवं अत्यधिक पानी वाले क्षेत्रों के प्रति सहनशील नही होती है।
  • रोपण या बुवाई के तुरन्त बाद सिचाई करनी चाहिये फिर तीसरे दिन एवं उसके बाद सप्ताह में एक बार भूमि में नमी के अनुसार सिचाई करनी चाहिये।
  • भूमि की ऊपरी सतह (50 से.मी. तक) नमी बनाये रखना चाहिये। इस क्षेत्र में जडे अधिक संख्या में होती है।

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Irrigation management on garlic

  •  रोपण के उपरांत पहली सिचाई देनी चाहिये । 
  •   अंकुरण के तीन दिन पश्चात फिर से सिचाई करनी चाहिये।
  •   वनस्पति वृद्धि के एक सप्ताह बाद सिचाई क रना चाहिये। 
  •   आवश्यकता  अनुसार सिचाई  करते रहे। 
  •   जब कंद परिपक्त हो रहे हो तब सिचाई नही देना चाहिये।
  •   फसल को निकालने के 2-3 दिन पहले सिचाई करनी चाहिये जिससे की फसल को निकालने में आसानी होती है। 
  •   फसल के पकने के दौरान भूमि में नमी कम नही होना चाहिये अन्तः कंद के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ता है|
  •  10-15 दिनों में कंद का विकास होता है

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Irrigation in Tomato

  • फसल की प्रायः 8-12 दिनों के अंतराल से सिंचाई की जाती है।
  • ग्रीष्म ऋतु में फसल को 5-6 दिनों के अंतराल से सिंचाई की आवश्यक होती है।
  • प्रायः सिंचाई हेतु खुली नाली (ओपन फरो) विधि का प्रयोग किया जाता है।
  • फूल की अवस्था में पानी की कमी होने पर उत्पादन एवं फलन पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं|

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Drip irrigation a Boon

ड्रिप (बूँद-बूँद) सिंचाई एक वरदान –

अच्छी फसल के सफल उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारक है| लगातार बढ़ती हुई आबादी और जलवायु परिवर्तन के कारण ज़मीन में उपलब्ध जल की मात्रा कम होती जा रही है, जिस कारण लगातार फसलों के उत्पादन में कमी होते जा रही है| इसी समस्या के समाधान के लिए ड्रिप सिंचाई का आविष्कार किया गया जो कि, किसानों के लिए एक वरदान साबित हुई है| इस विधि में पानी को स्रोतों से प्लास्टिक की नलियों  द्वारा सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है और साथ ही यदि उर्वरकों को भी इनके माध्यम से पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो यह प्रक्रिया फर्टिगेशन कहलाती है|

लाभ –

  • अन्य सिंचाई प्रणाली की तुलना में 60-70% पानी की बचत होती है|  
  • ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पौधों को अधिक दक्षता के साथ पोषक तत्त्व उपलब्ध करने में मदद मिलती है|
  • ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पानी का अप-व्यय (वाष्पीकरण एवं रिसाव के कारण)  को रोक सकते हैं |
  • ड्रिप सिंचाई में पानी सीधे फसल की जड़ों में दिया जाता है। जिस कारण आस-पास की जमीन सूखी रहने से खरपतवार विकसित नहीं हो पाते हैं|

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