कपास की फसल में इंटर क्रॉपिंग अपनाएं अधिक मुनाफा पाएं

👉🏻एक ही क्षेत्र में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ अलग-अलग कतारों में एक ही समय में लेना इंटर क्रॉपिंग या अंतर-फसल पद्धति कहलाती है l

👉🏻कपास की पंक्तियों के बीच जो खाली जगह रहती है, उनके बीच उथली जड़ वाली और कम समय में तैयार होने वाली मूंग या उड़द जैसी फसल उगाई जा सकती है l

👉🏻इंटर क्रॉपिंग करने से अतिरिक्त मुनाफा भी बढ़ेगा और खाली जगह पर खरपतवार भी नहीं निकलेंगे l 

👉🏻इंटरक्रॉपिंग से बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव रोकने में मदद मिलती है।

👉🏻इस पद्धति द्वारा फसलों में विविधता से रोग व कीट प्रकोप से फसल सुरक्षित रहती है।

👉🏻यह पद्धति अधिक या कम बारिश में फसलों की विफलता के खिलाफ एक बीमा के रूप में कार्य करती है।

👉🏻क्योंकि एक फसल के नष्ट हो जाने के बाद भी सहायक फसल से उपज मिल जाती है, जिससे किसान जोखिम से बच जाते हैं।

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मिश्रित खेती करने से किसानों को मिलते हैं कई फायदे

How is inter-cropping beneficial o farmers?
  • मिश्रित खेती की प्रक्रिया को कृषि की तकनीकी भाषा में अंतरसस्य (इंटरक्रॉपिंग) कहते हैं।
  • इस प्रकार की खेती खेतों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार होती है।
  • इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करने पर रासायनिक/उर्वरक के अनुप्रयोग में कमी आती है ।
  • मिश्रित फसल में खरपतवार, कीड़े और बीमारी की समस्या कम होती है।
  • अंतरसस्य (इंटरक्रोपिंग) में सब्जियों की फसलें कम अवधि में उच्च उत्पादन देती है।
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कपास की फसल के साथ अंतर फसलों की खेती होगी फायदेमंद

Cotton intercropping

कपास की फसल अन्तरसस्य फसलों के लिए अच्छी मानी जाती हैं क्योंकि कपास की फ़सल शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ती हैं एवं खेत में लम्बे समय तक रहती हैं जो अन्य अन्तरसस्य फसलों के लिए अच्छा माना जाता हैं।  अन्तरसस्य का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त फसल के साथ कपास की फसल की अधिकतम उपज प्राप्त करना होता है।

सिंचित क्षेत्रों के लिए अन्तरसस्य फसलें:

  • कपास + मिर्च (1: 1 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + प्याज़ (1: 5 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + सोयाबीन (1: 2 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + सनई (हरी खाद के रूप में) (1: 2 पंक्ति के अनुपात में)

अन्तरसस्य फसलें को वर्षा आधारित क्षेत्रों में लगाने के लिए:

  • कपास + प्याज़ (1: 5 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + मिर्च (1: 1 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + मूंगफली (1: 3 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + मूंग (1: 3 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + सोयाबीन (1: 3 पंक्ति के अनुपात में)
  • कपास + अरहर (1:1 पंक्ति के अनुपात में)
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मिश्रित खेती के अंतर्गत लगायी जाने वाली फसलें

 

क्र. मुख्य फसल         अंतरसस्य फसले 
1. सोयाबीन  मक्का, अरहर
  • इंटरकल्चरल या मिश्रित फसलों के लिए, सब्जियों की वृद्धि दर, जड़ों का वितरण, पौष्टिक प्रकृति, कीटों के प्रकोप और बीमारी, बाजार की मांग आदि पर विचार किया जाना चाहिए।
  • फसल प्रणाली स्थायी नहीं होनी चाहिए और यह मौसम, कीट और बीमारियों के प्रकोप, बाजार मूल्य और मांग तथा उत्पादक के अनुसार बदलना चाहिए।
2. भिड़ी    धनियाँ, पालक 
3. कपास  मूँगफली, उड़द, हरी मूंग, मक्का
4. मिर्ची  मूली, गाजर 
5. आम  हल्दी, प्याज 

 

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How to get more profit from cotton crop

कपास की फसल अन्तरसस्य फसलों के लिए अच्छी मानी जाती हैं क्योंकि कपास की फ़सल शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ती हैं एवं खेत में लम्बे समय तक रहती हैं जो अन्य अंतर सस्य फसलों के लिए अच्छा माना जाता हैं। अन्तरसस्य का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त फसल के साथ कपास की फसल की अधिकतम उपज प्राप्त करना होता है | सामान्यतः कपास के साथ दलहनी फसलें लगाई जाती है।

सिंचित क्षेत्रों के लिए अन्तरसस्य फसलें:-

  • कपास + मिर्च (1: 1)
  • कपास + प्याज़ (1: 5)
  • कपास + सोयाबीन (1: 2)
  • कपास + सनहीम (हरी खाद के रूप में) (1: 2)

अन्तरसस्य फसलें वर्षा क्षेत्रों आधारित में लगाने के लिए :-

  • कपास + प्याज़ (1: 5)
  • कपास + मिर्च (1: 1)
  • कपास + मूंगफली (1: 3)
  • कपास + मूंग  (1: 3)
  • कपास + सोयाबीन (1: 3)
  • कपास + मटर (1: 2)

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Intercropping in vegetables

सब्जियो में अंतरसस्य फसले:-सब्जियो की फसले कम अवधि एवं अधिक उत्पादन देती है जिसके कारण इन्हें मिश्रित अंतरवर्ती व चक्रीय क्रम में अन्य फसले के साथ भी उगाया जाता है |अंतरवर्ती या मिश्रित फसल लेने के लिए, सब्जियों की विकास दर, जड़ो का वितरण, पोषक प्रकृति, कीट व रोगों के आक्रमण, बाज़ार में मांग इत्यादि पर विचार करना चाहियें| फसल पद्धति स्थायी नहीं होना चाहियें  एवं मोसम, कीट व रोगों के आक्रमण, बाजार- भाव व मांग तथा उत्पादक के आवश्यकतानुसार बदलना चाहिये|

क्र.    सब्जी का नाम       अंतरसस्य फसले

1.)    टमाटर       -केला, नीम्बू, कपास, भिन्डी, गेंदा, तुराई, गिलकी, मक्का

2.)    बैगन        -गाजर, फूलगोभी, मेथी, पत्तागोभी, हल्दी, मक्का

3.)    मिर्च         -आलू, शलजम, बरबटी

4.)    पत्तागोभी     -नीम्बू, गाजर, मुली, बैगन

5.)    फूलगोभी      -पालक, बैगन, मक्का, गांठगोभी

6.)    प्याज        -गाजर, मुली, धनियाँ, शलजम

7.)    लहसुन       -चुकंदर, मुली, गाजर

8.)    मटर         -बाजरा, मक्का, सूरजमुखी, अमरुद

9.)    फरासबीन     -बैगन, मिर्च, गेंदा, मक्का

10.)   बरबटी       -फरासबीन, धनियाँ, मक्का, बाजरा, केला

11.)   भिन्डी        -धनियाँ, ग्वारफली

12.)   लौकी        -बरबटी, कुंदरू, चौलाई, लम्बी ककड़ी

13.)   तुरई         -पालक, टमाटर

14.)   ककड़ी        -बरबटी, पालक

15.)   करेला        -लोबिया, बरबटी, पर्सनीप, सलाद

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