- एक ही खेत में दो या दो से अधिक फ़सलों की अलग-अलग कतारों में एक साथ एक ही समय में खेती करना इंटर क्रॉपिंग या अंतर-फसल पद्धति कहलाती है।
- कपास की पंक्तियों के बीच जो खाली जगह रहती है उनके बीच उथली जड़ वाली और कम समय में तैयार होने वाली मूंग या उड़द जैसी फसल उगाई जा सकती है।
- अंतर-फसल करने से अतिरिक्त मुनाफ़ा भी बढ़ेगा और खाली जगह पर खरपतवार भी नहीं लगेंगे।
इंटरक्रॉपिंग से बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव रोकने में मदद मिलती है। - इस पद्धति द्वारा फ़सलों में विविधता से रोग व कीट प्रकोप से फसल सुरक्षित रहती है।
- यह पद्धति अधिक या कम बारिश में फ़सलों की विफलता के खिलाफ एक बीमा के रूप में कार्य करती है। जिससे किसान जोखिम से बच जाते हैं, क्योंकि एक फसल के नष्ट हो जाने के बाद भी सहायक फसल से उपज मिल जाती है।
कपास की फसल के साथ अंतर फसलों की खेती होगी फायदेमंद
कपास की फसल अन्तरसस्य फसलों के लिए अच्छी मानी जाती हैं क्योंकि कपास की फ़सल शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ती हैं एवं खेत में लम्बे समय तक रहती हैं जो अन्य अन्तरसस्य फसलों के लिए अच्छा माना जाता हैं। अन्तरसस्य का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त फसल के साथ कपास की फसल की अधिकतम उपज प्राप्त करना होता है।
सिंचित क्षेत्रों के लिए अन्तरसस्य फसलें:
- कपास + मिर्च (1: 1 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + प्याज़ (1: 5 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + सोयाबीन (1: 2 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + सनई (हरी खाद के रूप में) (1: 2 पंक्ति के अनुपात में)
अन्तरसस्य फसलें को वर्षा आधारित क्षेत्रों में लगाने के लिए:
- कपास + प्याज़ (1: 5 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + मिर्च (1: 1 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + मूंगफली (1: 3 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + मूंग (1: 3 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + सोयाबीन (1: 3 पंक्ति के अनुपात में)
- कपास + अरहर (1:1 पंक्ति के अनुपात में)