Management of fruit fly in bottle gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे  हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में  मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों  को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • जिन क्षेत्रों में फल मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखा गया है, वहाँ पर कार्बारिल 10 प्रतिशत पाउडर खेत में मिलाये।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की  मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
  • डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली. / एकड़ की दर से छिड़काव करे |

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Control of aphid in bitter gourd

  • ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि यह कीट फैलने न पाये।
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75 % एसपी @ 300- 400 ग्राम / एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एस एल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20 % एसपी @ 150 ग्राम  प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है |

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Management of mosaic virus in bottle gourd

  • पौधे पूर्ण रूप से सुख जाते हैं| पत्तियों पर पीले धब्बे मोज़ेक जैसे बन जाते हैं|
  • पौधे की पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ी हुई रहती हैं और पत्ती का आकार सामान्य से छोटा होता हैं।
  • फल का आकार बदल जाता हैं और आकार में छोटे होते हैं। यह रोग एफिड द्वारा फेलता हैं।

 प्रबंधन –

  • खरपतवार और रोगी पौधों को खेतों से हटाने से संक्रमण की संभावना कम हो सकती हैं|
  • रोग प्रतिरोध किस्मो का उपयोग करके कुछ किसान वायरस फैलने पर नियंत्रण करते हैं।
  • इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करे।

 

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Control of Aphids on Bitter Gourd

  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुड़कर मुड जाते है अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सुख जाती है व धीरे-धीरे पौधा सुख जाता है|
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर डायमिथोएट 30 मिली. प्रति पम्प या इमीड़ाक्लोरप्रीड 17.8% SL 10 मिली. प्रति पम्प का स्प्रे पंद्रह दिन के अंतराल से करें|

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Control of Leaf Hopper and Jassid in Snake gourd

  • शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों एवं लताओं का रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियों एवं लतायों पर भूरे रंग के जले हुये धब्बे बन जाते है ।
  • प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों के किनारे पीले रंग के हो जाते है बाद में पत्तियाँ सूख जाती है। फलों का आकार एवं गुणवत्ता दोनो में कमी हो जाती है।
  • बुआई के समय कार्बोफुरोन 3 जी @ 10 किलो प्रति एकड़ जमीन में मिलाये|
  • जेसिड की रोकथाम हेतु जेसिड दिखाई देने पर हर 15 दिन में प्रोफेनोफॉस 50 % ईसी @ 400 मिली प्रति एकड़ या एसीटामाप्रीड 20% @ 80 ग्राम प्रति एकड़ का स्प्रे करें |
  • जैसिड से बचाव के लिए नीम- लहसुन का सत जैसिड आने से पहले हर 15 दिन में करें|

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Control of Aphid in Mustard

  • माहू फसल की सभी अवस्थाओं मे हानि पहुँचाता है|
  • माहू का वयस्क एवं निम्फ दोनों ही अवस्था पौधों को नुकसान पहुँचती है|
  • यह फली, पत्ती एवं फूलों से रस को चूसता है जिस कारण पत्तियाँ मुड़ने लगती है|
  • अंत में पत्तियाँ एवं फूल इत्यादि सूख कर गिरने लगती है जिस कारण उपज कम हो जाती है|

नियंत्रण के उपाय:-

  • फसल चक्र अपनाएँ|
  • अनुशंसित मात्रा में ही उर्वरकों का प्रयोग करें|
  • जो पौधे ज्यादा प्रभावित हो उन्हें उखाड़ के नष्ट कर दे|
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 100 मिली/एकड़ या थायोमिथोक्सोम 25 डब्लूजी @ 75 ग्राम/ एकड़ या डाईमिथोएट 30% ई.सी.
  • छिड़काव शाम के समय ही करें|

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Control of White fly in Garlic

  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों की सतह से रस चूसते हैं|
  • ग्रसित पत्तियाँ मुड़ने एवं सूखने लगती हैं|
  • ग्रसित पौधे की बढ़वार रुक जाती हैं|

नियंत्रण

  • 5 किलो प्रति एकड़ के अनुसार कार्बोफुरोन 10 G जमीन से चोपाई के समय दें |
  • कीट दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक कीटनाशक स्प्रे करें |
  • एसीफेट 75% एसपी @ 80-100 ग्राम प्रति एकड़
  • एसीटामाप्रीड 20% एसपी @ 100 ग्राम/ एकड़
  • बाइफेंथ्रीन 10% ईसी @ 200 मिली/ एकड़

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Control strategies of Maize Stem Borer

  • यह मक्के का प्रमुख और अधिक हानि पहुँचाने वाला कीट है|
  • तना छेदक कीट की इल्ली मक्के के तने के बीच घुसकर सुरंग बना देती है|
  • यह इल्ली तने में घुसकर ऊतकों को खाती रहती है| इस कारण पौधो में जल और भोजन का संचरण नहीं हो पाता है| पौधा धीरे-धीरे पीला पड़कर सूखने लग जाता है| अंत में पौधा सूखकर मर जाता है|
  • प्रबंधन-

  • फसल की बोआई के 15 -20 दिन बाद फ़ोरेट 10%जी 4 किलो/एकड़ या फिप्रोनिल 0.3% जी 5 किलो/एकड़ को 50 किलो रेत में मिलाकर जमीन में दे एवं साथ ही सिंचाई करें|
  • यदि दानेदार कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया हैं तो नीचे दिए गए किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करें|
  • बोआई के 20 दिनों बाद बाइफेंथ्रीन 10% EC 200 मिली प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें|
  • या बोआई के 20 दिनों बाद फिप्रोनिल 5% SC 500 मिली प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें |
  • करटाप हाईड्रो क्लोराईड 50% SP 400 ग्राम /एकड़ का स्प्रे करें|
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Seed Treatment in Bitter gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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Seed Treatment in Bottle gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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