आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 1 से 2 दिनों में -फसल को प्राथमिक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- डीएपी 40 किग्रा, एमओपी 20 किग्रा + पीके बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स) 1 किग्रा + राइजोबियम (जैवटिका आर) 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड + समुद्री शैवाल + अमीनो + माइक्रोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा प्रति एकड़ की दर से इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में फैलाएं|

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 0 से 3 दिन पहले-बीज़ों को कवक जनित रोगो से बचने के लिए

बीज को फफूंद से बचाने के लिए बीजों को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% ( विटावैक्स पावर) 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% (साफ) 2.5 ग्राम /किलो बीज या थियामेथोक्सम 30% एफएस (रेनो) 4 मिली प्रति किलो बीज या राइजोबियम (जैवाटिका आर) 5 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 5 से 7 दिन पहले- पोधो के बिच योग्य दुरी रखने के लिए

1.5 फीट की दूरी कुंड और मेढ़ तैयार करें। दो बीजों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर बोयें। अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 8 से 10 दिन पहले-मिट्टी की संरचना सुधारने के लिए

6000 किग्रा गोबर की खाद में कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया (स्पीड कम्पोस्ट) 4 किग्रा + ट्राइकोडर्मा विरिडी (राइजोकेयर) 500 ग्राम मिलाएं। अच्छी तरह मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में मिट्टी में फैला दें।

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मूंग की फसल को पाउडरी मिल्ड्यू से होगा नुकसान, ऐसे करें बचाव

Management of powdery mildew in green gram crop
  • आमतौर पर यह रोग मूंग की पत्तियों को प्रभावित करता है और पत्तियों के निचले एवं ऊपरी भाग पर आक्रमण करता है।
  • इसके कारण मूंग की पत्तियों के ऊपरी एवं निचली सतह पर पीले से सफेद रंग का पाउडर दिखाई देता है।
  • इनके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मूंग की फसल का एफिड के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

How to control Aphid in Green gram
  • एफिड छोटे व नरम शरीर वाले कीट होते है जो पीले, भूरे, हरे या काले रंग के हो सकते हैं।
  • ये आमतौर पर मूंग के पौधे की छोटी पत्तियों और टहनियों के कोनों पर समूह बनाकर रहते हैं और रस चूसते है। इसके साथ ही ये एक चिपचिपा मधु रस (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे फफूंदजनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • इसके गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां और टहनियां कुम्हला सकती हैं या पीली पड़ सकती हैं।
  • एफिड कीट से बचाव हेतु थायोमेथोक्सोम 25% WG@100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@100 मिली/एकड या फ्लूनेकामाइड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक रूप से बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मूंग और उड़द की फसल में जीवाणु अंगमारी से बचाव कैसे करें?

How to protect bacterial blight from Green gram and black gram
  • पत्तियों की सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे इस रोग की पहचान है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर ये धब्बे लाल रंग जैसे पाये जाते हैं।
  • जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो धब्बे आपस में मिल जाते है और पत्तियां पीली पड़ जाती है अतः समय से पहले झड़ जाती है।
  • इससे नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 20 ग्राम प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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गर्मियों के मौसम में तरबूज का सेवन होगा लाभदायक

Watermelon is very beneficial in summer season
  • तरबूज में 92% मात्रा में पानी होता है जो शरीर को शीतलता और ताजगी देने के साथ साथ हाइड्रेट भी रखता है।
  • इसके सेवन करने से गर्मी में चलने वाली गर्म हवा (लू) से भी बचाव होता है।
  • तरबुज में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है। इसमें कैलोरी भी कम होती है जो मोटापे को नियंत्रित करता है।
  • तरबूज में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पायी जाती है जो शरीर की ऊपरी त्वचा का निर्माण विटामिन और देखभाल में मदद करती है और विटामिन सी शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है।
  • इसका सेवन रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करता है।
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गर्मियों में उच्च उपज देने वाली मूंग

  • विराट, सम्राट, खरगोन 1, कृष्णा 11, जवाहर 45, कोपरगाँव, मोहिनी (S-8), PS 16, पंत मूंग 3, पूसा 105, ML 337, पीडीएम 11 (बसंत) टाइप 1, टाइप 4, टाइप 51, K851, पूसा बैसाखी, 6, PS 10, PS 7, पंत मुंग 2, ML-267, पुसा 105, ML-337, पंत मुंग 1, RUM-1, RUM-12, बीएम -4, पीडीएम -54, जेएम -72, के -851, पीडीएम -11.

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Harvesting in moong

  • जब मूंग की फलिया 80-85 % तक परिपक़्व हो जाये तब फसल की कटाई करनी चाहिए |
  • कटाई के पूर्व पैराक्वाट की 800 मिली मात्रा का 150-200 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जाना चाहिए जिससे बाकी फसल भी सूख जाये |
  • मूंग की कटाई हसिये की सहायता से करे|
  • पौधे को उखाड़ना नहीं चाहिए |

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