Gram harvesting

  • जब अधिकांश फली पीली हो जाएं तो चने की कटाई करनी चाहिये।
  • चने में लगभग 15 प्रतिशत तक नमी रहनी चाहिये|
  • जब पौधा सूख जाता हैंं, और पत्तियां लाल भूरे रंग की हो जाती हैंं,और पत्तियां गिरना शुरू हो जाती हैंं, तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती हैंं।

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How to flower promotion in chickpea

  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा चने की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 एम.एल./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत 180-200 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 200 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें ख़ास तोर पर बोरोन |
  • 2 ग्राम/एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Healthy and Excellent Crop of Chickpea

किसान का नाम:- कल्याण पटेल

गाँव+ तहसील:- देपालपुर

जिला:- इंदौर

राज्य:- मध्यप्रदेश

कल्याण जी ने 10 एकड़ का चना लगाया है जिसमे इन्होने प्रोपिकोनाजोल 25% EC का स्प्रे साथ में एक विश्वसनीय कम्पनी का ज़ाईम का स्प्रे ग्रामोफ़ोन के अनुसार किया अभी चना बहुत बढ़िया है कोई बीमारी नहीं आई है फुल अच्छे लगे है |

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Application and Dose of Sulphur in Chickpea

सल्फर चना के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। 20 किलो सल्फर / हेक्टर का उपयोग इष्टतम पाया गया है। सल्फर के विभिन्न स्रोत जैसे 90% डब्लूडीजी, जिप्सम, पाइराइट, सिंगल सुपर फॉस्फेट के समान रूप से प्रभाव मिले है।

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What to do for more yield in Gram?

फूलों के समय 2% यूरिया का पत्ती पर छिडकाव और उसके बाद 10 दिनों में फिर से, बीज प्रीमिंग (4-5 घंटों के लिए बीज का भिगोना) और 10 सेमी गहराई पर बुवाई करने से वर्षा आधरित स्थिति में उत्पादकता बढ़ाने में लाभकारी पाया गया है।

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Weed Management of Gram (chickpea)

खरपतवार प्रबंधन सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य पाया गया है| सबसे असरदार अंकुरण पूर्व खरपतवारनाशियों में से पेंडामेथलीन सबसे असरदार साबित हुआ है| अंकुरण के बाद क्यूजेलोफ़ोप ईथाइल अच्छा खरपतवार नियंत्रण करते है|

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Sowing and sowing time of Chickpea (Gram)

  • असिचिंत क्षेत्रों में चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में कर देनी चाहिये। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा हो वहाँ पर बुवाई 30 अक्टूबर तक अवश्य कर देनी चाहिये।
  • फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में प्रति इकाई पौधों की उचित संख्या होना बहुत आवश्यक है। पौधों की उचित संख्या के लिए आवश्यक बीज दर व पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की उचित दूरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है|
  • बारानी खेती के लिए 80 कि.ग्रा. तथा सिंचित क्षेत्र के लिए 60 कि.ग्रा. बीज की मात्रा प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होती है।
  • बारानी फसल के लिए बीज की गहराई 7 से 10 से.मी. तथा सिंचित क्षेत्र के लिए बीज की बुवाई 5 से 7 से.मी. गहराई पर करनी चाहिये। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 50 से.मी. पर रखनी चाहिये।

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Irrigation in Gram

चने में सिंचाई:-

  • चना में भारी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कुछ क्षेत्रो में दो सिंचाई शाखाएं निकलते समय ( फुल आने से पहले ) एवं फली बनते समय देने से अधिक उपज प्राप्त हुई है लेकिन एक सिंचाई शाखाएं निकलते समय (फुल आने से पहले ) देने से इष्टतम उपज में वृद्धि होती है |

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Suitable soil for Gram

चना भारत में विस्तृत तरह की मिट्टी पर उगाया जाता है। हालांकि रेतीले चिकनी मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में इस तरह की मिटटी में चना लगता है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में, काली कपास की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। बेहतर विकास के लिए मिटटी को अच्छी तरह से सूखा और बहुत भारी नहीं होना चाहिए। भारी मिट्टी में पानी को सोखने की क्षमता होती है जिससे पौधों में भारी वनस्पति विकास हो जाता है और सूर्य की रौशनी कम मिलने के कारन फ्रूटिंग घट जाती है। ध्यान रखें मिटटी में नमक की मात्रा काम हो और pH 6.5 – 7.5 के बीच हो।

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Prevention of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-
• छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
• मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
• गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
• रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
• रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
• कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
• जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
• सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |

 

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