चना किसानों को होगा लाखों का मुनाफा, सरकार ने जारी किए नये नियम

Madhya Pradesh Gram Procurement on MSP

मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के किसान भाईयों के लिए एक खास घोषण की है। इस घोषणा के तहत अब से चना किसान एक दिन में 40 क्विंटल तक चना बेच सकेंगे। बता दें कि इससे पहले तक राज्य में एक दिन में सिर्फ 25 क्विंटल ही चना बेचने का नियम था। जहां बाकी बची फसल को बेचने के लिए किसानों को अगले दिन का इंतजार करना पड़ता था। किसानों की इस मुश्किल को खत्म करने के लिए सरकार ने कृषि नियमों में बड़ा बदलाव किया है।

हालाकि इसके साथ ही किसानों के लिए एक शर्त भी रखी गई है। इसके तहत वही किसान हर दिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 40 क्विंटल चना बेच पाएंगे, जिनकी लैंड रिकॉर्ड की मैपिंग उत्पादकता के साथ की गई हो। वहीं इस बार चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रूपए क्विंटल तय किया गया है।

बता दें कि सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ो के तहत राज्य में इस साल 114.27 लाख हेक्टेयर चना की बुवाई की गई है। इसके अनुसार 13.12 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पाद की उम्मीद की जा रही है। अगर ऐसा होता है तो राज्य के किसान भाईयों को इस बार काफी बढ़िया मुनाफा होगा।

स्रोत: गांव कनेक्शन

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चने की फसल में जरूरी है खरपतवार प्रबंधन, ऐसे करें बचाव

Weed management is necessary in gram crop
  • चने की फसल में अनेक प्रकार के खरपतवार जैसे बथुआ, खरतुआ, मोरवा, प्याजी, मोथा, दूब इत्यादि उगते हैं।

  • ये खरपतवार फसल के पौधों के साथ पोषक तत्वों, नमी, स्थान एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करके उपज को प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवारों के द्वारा फसल में अनेक प्रकार की बीमारियों एवं कीटों का भी प्रकोप होता है जो बीज की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।

  • खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि को रोकने के लिए समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। चने की फसल में दो बार गुड़ाई करना पर्याप्त होता है। प्रथम गुड़ाई फसल बुवाई के 20-25 दिन पश्चात व दूसरी 50-55 दिनों बाद करनी चाहिए।

  • यदि मजदूरों की उपलब्धता न हो तो फसल बुवाई के के 1-3 दिन में पेंडीमेथलीन 38.7% EC 700 मिली प्रति एकड़ की दर से खेत में समान रूप से छिड़काव करें। फिर बुवाई के 20-25 दिनों बाद एक गुड़ाई कर दें।

  • इस प्रकार चने की फसल में खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि की रोकथाम की जा सकती है।

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मप्र में इस तारीख तक होगी समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और सरसों की खरीदी

Know the last date of purchase of wheat on support price in Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और सरसों की खरीदी वर्तमान में जारी है और इस प्रक्रिया की आखिरी तारीख को अब बढ़ा कर 29 जुलाई कर दिया गया है। पहले कृषि विभाग की तरफ से ख़रीद की अंतिम तारीख 15 जून रखी गई थी जिसे अब बढ़ा दिया गया है।

इसके साथ ही यह भी बताया गया है की अब ख़रीद सिर्फ एसएमएस देकर बुलाए जाने वाले किसानों से की जाएगी। ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य भंडारण का इंतज़ाम साथ-साथ कर लेना है। इस मसले पर प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसल को घर में ही रखें। साथ ही उन्होंने कहा की पंजीकृत किसानों से उनकी उपज का दाना-दाना ख़रीदा जाएगा।

ग़ौरतलब है की मध्यप्रदेश में अब तक छह लाख 58 हजार टन चना समर्थन मूल्य पर ख़रीदा जा चुका है और किसानों को इसके मूल्य के तौर पर तीन हजार 700 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है। बता दें की 29 मई से यह खरीदी की प्रक्रिया शुरू की गई थी और इसे 90 दिन तक चलाया जाएगा।

स्रोत: नई दुनिया

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चने की कटाई का उपयुक्त समय

  • जब अधिकांश फली पीली हो जाएं तो चने की कटाई करनी चाहिये।
  • जब पौधा सूख जाता हैंं, और पत्तियां लाल भूरे रंग की हो जाती हैंं,और पत्तियां गिरना शुरू हो जाती हैंं, तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती हैंं।
  • अधिक समय तक फसल को सूखने एवं कटाई में देरी होने से फलियाँ गिरने लगती हैं, जिससे ऊपज में कमी आती हैं अतः चने में लगभग 15 प्रतिशत तक नमी होने पर कटाई कर लेनी चाहिए | 

 

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Weed Management in Gram

  • चने की फसल में अनेक प्रकार के खरपतवार जैसे बथुआ, खरतुआ, मोरवा, प्याजी, मोथा, दूब इत्यादि उगते हैं।

  • ये खरपतवार फसल के पौधों के साथ पोषक तत्वों, नमी, स्थान एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करके उपज को प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवारों के द्वारा फसल में अनेक प्रकार की बीमारियों एवं कीटों का भी प्रकोप होता है जो बीज की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।

  • खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि को रोकने के लिए समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। चने की फसल में दो बार गुड़ाई करना पर्याप्त होता है। प्रथम गुड़ाई फसल बुवाई के 20-25 दिन पश्चात्‌ व दूसरी 50-55 दिनों बाद करनी चाहिये।

  • यदि मजदूरों की उपलब्धता न हो तो फसल बुवाई के तुरन्त पश्चात्‌ पैन्ड़ीमैथालीन 30 ई.सी. की 2.50 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्ट खेत में समान रूप से छिड़काव करना चाहिये। फिर बुवाई के 20-25 दिनों बाद एक गुड़ाई कर देनी चाहिये। इस प्रकार चने की फसल में खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि की रोकथाम की जा सकती है।

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Seed Treatment of Chickpea (Gram)

  • चने को बुआई से पहले फफुद जनित बिमारियों जैसे जड़ सडन, कोलर सडन एवं पाद गलन से बचने के लिए कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% या कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए |

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Pod Borer in Gram(Chickpea)

फली छेदक चने की एक प्रमुख कीट हैंं  जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाता हैं। फली छेदक के कारण पैदावार में औसतन नुकसान 21% होता हैं। इस कीट के कारण कि चने की फली में लगभग 50 से 60% तक नुकसान हो सकता हैं| चना के अलावा यह कीट अरहर, मटर, सूरजमुखी, कपास, कुसुम, मिर्च, ज्वार, मूंगफली, टमाटर और अन्य कृषि और बागवानी फसलों पर भी आक्रमण  करता हैं। यह दालों और तिलहनों का एक विनाशकारी कीट हैं।

संक्रमण:- कीट की शुरूआत आमतौर पर अंकुरण के एक पखवाड़े के बाद होती हैं | और यह कली निकलने के शुरुआत के साथ बादल और उमस वाले मौसम में गंभीर हो जाती हैं। मादा कई छोटे सफेद अंडे देती  हैं 3-4 दिनों में अंडे से इल्लियाँ निकलती हैं, यह इल्लीया कोमल पत्तियों को थोड़े समय के लिए खाती हैंं और बाद में फली पर आक्रमण करती हैंं। एक पूर्ण विकसित इल्ली लगभग 34 मिमी लंबी, हरी से भूरे रंग की होती हैं व्यस्क इल्ली मिट्टी में चली जाती तथा प्यूपा  बन कर रहती हैं| इस कीट का जीवन चक्र लगभग 30-45 दिनों में पूरा हो जाता हैं। कीट एक साल में आठ पीढ़ियों को पूरा कर सकती हैं।

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Control of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग के नियंत्रण के उपाय:-चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
  • गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
  • जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
  • सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

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Prevention of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग के नियंत्रण के उपाय:-चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है | 

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
  • गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
  • जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
  • सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/एकड़ का स्प्रे करें|

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Symptoms of Fusarium wilt

  • इस रोग का  रोग कारक फ्यूसेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. हैं 
  • कपास में होने वाले सभी रोगो में यह एक मुख्य रोग के रूप में देखा जाता हैं ।
  • इस रोग में पत्तिया किनारो से मुरझाना शुरू करती हैं तथा मुख्य शिरा की ओर मुरझाती चली जाती हैं | 
  • पत्तियों की शिराये गहरी, संकरी और धब्बे वाली हो जाती हैं। तथा अंत में पौधा सुख कर मर जाता हैं
  • इस  रोग का मुख्य लक्षण जड़ो के पास वाले तने का अंदर से क्षतिग्रस्त होना हैं।

 

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