Grading of green peas

  • ताजे सब्जी के रुप में  उपयोग करते समय, ज्यादा पकी पीली फल्लियों, चपटे फल्लियों रोग ग्रस्त व कीट ग्रस्त  फल्लियों को अलग कर देना चाहिये । 
  • मटर को आकार के आधार पर चार  वर्गों में विभाजित किया गया है ।  
  • छोटे मटर की गुणवत्ता अधिक  होती है ।

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Harvest and Post Harvest Management of Onion

प्याज की तुड़ाई एवं तुड़ाई उपरान्त तकनीक

तुड़ाई:-

  • किस्मों के आधार पर प्याज, रोपण के 3 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • गर्मी के दिनों में भूमि कडी हो जाती है तब कंदों को भूमि से बाहर निकालने के लिए खुरपी का इस्तेमाल किया जाता है।
  • रबी मौसम की तुलना में खरीफ मौसम की फसल मे कम उपज होती है।

पैकिंग:-

  • लम्बी दूरी के बाजारों में ट्रक, रेल या वायुयान के द्वारा परिवहन के लिए जूट एवं नेट के बोरो का उपयोग पैकिग के लिए किया जाता है।
  • सामान्यतः 40 कि.ग्राम क्षमता के जूट एवं नेट बैग का उपयोग देश में एवं निर्यात के लिए 6-25 कि.ग्राम क्षमता वाले बोरो का उपयोग किया जाता है।
  • निर्यात के उद्देश्य से प्याज को 14-15 कि.ग्राम क्षमता की टोकरियों में भी पैक किया जाता है।

छटाई:-

  • कंदों को उपचारित करने के बाद हाथों एवं मशीनों के द्वारा आकार के आधार पर विभिऩ्न श्रेणी में श्रेणीकरण किया जाता है।
  • श्रेणीकृत प्याज को भंडारण के पूर्व उसमे से सड़े, कटे एवं अवाँछित लक्षण वाले कंदों को अलग कर देना चाहिये।
  • श्रेणी गत करने से पहले कंदों के ऊपर के सूखे छिलको को अलग कर देना चाहिये जिससे कंद आकर्षक दिखायी देते है।
  • उपचारित प्याजों को उनके आकार एवं घरेलू बाजार की उपलब्धता एवं निर्यात आधार पर श्रेणीकृत किया जाता है।

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