Why & how to apply FYM in soil?

  • देश भर में अधिकांश कृषि योग्य भूमि में 11% से 76% तक कार्बनिक कार्बन की कमी हैं | 
  • गोबर की खाद कार्बनिक कार्बन का एक अच्छा स्रोत है
  • मृदा जैविक कार्बन मिट्टी की उर्वरता का प्रमुख कारक है, जो पौधों की उचित बढ़वार के लिए, मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं। 
  • गोबर की खाद एक कार्बनिक खाद हैं, जो कृषि में उर्वरक की तरह उपयोग की जाती हैं यह खेत की उर्वरता को बढ़ाता हैं | औसत रूप से अच्छी खाद में 0.5% नाइट्रोजन, 0.2% फास्फोरस 0.5% पोटाश होता हैं।
  • यह सूक्ष्म पोषक तत्व एवं पादप पोषक तत्वों की मिट्टी में पूर्ति करते हैं तथा इन तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाते हैं | 
  • यह मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं।
  • विघटन के दौरान निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड COएवं गर्मी मृदा में उपस्थित हानिकारक फफूंद तथा कीट आदि को नष्ट करती हैं |  
  • वर्षा के पानी के कारण लीचिंग की वजह से मिट्टी में मौजुद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं | इसलिए अच्छी तरह से तैयार या पकी हुई खाद 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में जुताई से पहले ठीक तरह से मिला देना चाहिए।

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Fertilizer management in Onion

  • प्याज की अच्छी उपज के लिये उर्वरक की आवश्यकता अधिक होती हैं | 
  • रोपण के एक माह पहले गोबर की खाद को 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाया जाता हैं।
  • नाईट्रोजन 50 किलो/एकड़, फास्फोरस 25 किलों प्रति एकड़ एवं पोटाश 30 किलो/एकड़ की दर से दी जाती हैं | 
  • पौध रोपण के पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ण मात्रा खेत में मिलाया जाता है।
  • पौध रोपण के 20-25 दिनों के उपरांत नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा एवं तीसरी मात्रा 45-60 दिनों में दिया जाता हैं।
  • जिंक सल्फेट 10 किलो/एकड़ एवं बोरॉन 4 किलो/एकड़ की मात्रा उपज में वृद्धि के साथ कंद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

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How to improve production by improving soil health

मिट्टी की सेहत कैसे सुधारे-

  फसलों के उत्पादन को 50 % तक बढ़ाने के लिए हमें मिट्टी में तीन महत्वपूर्ण उपाय करने चाहिए |

 

  • मिट्टी में पोषक तत्वो की मात्रा को बढ़ाना |
  • मिट्टी की भौतिक अवस्था में सुधार करना |
  • मिट्टी में pH  के संतुलन को बनाये रखना |

 

  1.  मिट्टी में पोषक तत्व की  मात्रा को बढ़ाने हेतु –                        
  • पिछली फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष को आग लगा कर नष्ट नहीं करना चाहिये |
  • कटाई के उपरान्त खेत की दो बार जुताई करे, जिससे फसल के अवशेष  विघटित होकर पौधों को पोषक तत्व प्रदान करेंगे |
  • खेत की जुताई के समय FYM 10 टन/एकड़ या वर्मीकम्पोस्ट 2.5 टन/एकड़ + एस.एस.पी. 100 किलो/एकड़ की दर से मिला कर दे |  
  • 1 kg माइक्रोन्यूट्रिएंट  + PSB 2 kg+ KMB 2 kg + NFB 2 kg + ZnSB 4 kg + ट्राइकोडर्मा 3 kg/एकड़ बुवाई के समय देने से पोषक तत्व की मात्रा में वृद्धि होती हैं |
  1. मिट्टी की भौतिक अवस्था में सुधार हेतु –
  • यदि किसान के पास पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो तो फसल की कटाई के बाद खेत की जुताई करे और स्पीड कम्पोस्ट की 4kg/एकड़ की दर से मिट्टी में बिखेर कर सिचाई कर दे |
  • 15 – 20 दिन में  स्पीड कम्पोस्ट की सहायता से फसल अवशेष अच्छी तरह से विघटित होकर मिट्टी की संरचना को सुधारते हैं|
  1. मिट्टी के pH संतुलन हेतु –
  • मिट्टी के pH को नियंत्रित करने लिए धीमी गति से रिलीज होने वाले पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए |  
  • अधिक क्षार तथा अम्ल स्वभाव के उर्वरको का उपयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए |
  • फसलों के अच्छे उत्पादन हेतु मिट्टी का pH 6.0 से 7.0  तक होना चाहिए |
  • अम्लीय मिट्टी के सुधार हेतु चूने (कैल्शियम कार्बोनेट) की मात्रा मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार डालना चाहिए |
  • क्षारीय मिट्टी के सुधार हेतु जिप्सम की मात्रा मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार डालना चाहिए |

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