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- मिश्रित खेती की प्रक्रिया को कृषि की तकनीकी भाषा में अंतरसस्य (इंटरक्रॉपिंग) कहते हैं।
- इस प्रकार की खेती खेतों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार होती है।
- इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करने पर रासायनिक/उर्वरक के अनुप्रयोग में कमी आती है ।
- मिश्रित फसल में खरपतवार, कीड़े और बीमारी की समस्या कम होती है।
- अंतरसस्य (इंटरक्रोपिंग) में सब्जियों की फसलें कम अवधि में उच्च उत्पादन देती है।
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- मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं।
- इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
- मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है।
- इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।
- अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
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- मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं।
- इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
- मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है।
- इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।
- अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
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- खीरा एक उथली जड़ वाली फसल है इस कारण इसमें अधिक गहरी अन्तर शस्य क्रियाएँ आवश्यक नही होती है।
- छँटाई करने हेतु सभी द्वितीयक शाखाओं को पाँच गाँठों के साथ काट देने से इसकी फलों की गुणवत्ता में सुधार होता हैं एवं उपज बढ़ती है।
- पौधे को सहारा देकर उगाया जाता है, जिससे फलों में सड़न की समस्या कम हो जाती है।
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- सुरक्षित भंडारण हेतु गेहूं के दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
- अनाज को बोरियों, कोठियों या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।
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- इस वायरस के संपर्क में आने से पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे निकलते हैं।
- इसके कारण हलके गड्ढे और फफोले भी दिखाई पड़ते हैं।
- कभी-कभी पत्ती का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाता है।
- यह सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है।
- इस वायरस से ग्रषित पौधों में फूल और फल कम लगते हैं।
- इसके कारण फल भी विकृत और खुरदुरे हो जाते हैं।
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- खेत की तैयारी के समय 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें।
- 30 किलोग्राम यूरिया 70 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को अंतिम जुताई के समय डालें।
- अन्य बचे हुये 30 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा को 8-10 पत्ती वाली अवस्था में तथा आधी मात्रा को फूल आने के समय डालें।
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- एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।
- धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते हैं।
- इसकी रोकथाम के लिए एक किलो 00:00: 50 प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
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- प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है।
- खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते हैं।
- कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है।
- प्रथम लक्षण कंद के फटने के बाद आधार पर दिखाई देते हैं।
- प्रभावित कंद फटे उभार के रूप में आधार वाले भाग में दिखाई देते हैं।
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- इसके आवेदन के लिए एक पेज का आसान फॉर्म बनाया गया है, जिसमे बेसिक जानकारियों के लिए बैंक रिकॉर्ड और साथ ही फसल की बुआई संबंधित जानकारी के साथ भूमि संबंधित विवरण के एक प्रति की आवश्यकता होगी।
- यह आवेदन फॉर्म पूरे भारत के सभी प्रमुख अखबारों में प्रकाशित होगा और पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी इसे काट कर भर सकते हैं।
- आप चाहें तो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की वेबसाइट, कृषि विभाग, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट और PM- KISAN से भी यह आवेदन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं।
- कॉमन सर्विस सेंटरों को आवेदन फॉर्म भरने और संबंधित बैंक को भेजने की अनुमति दी गई है।
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