मिर्च की नर्सरी में आद्र गलन रोग की पहचान और नियंत्रण के उपाय

Damping Off Disease in Chilli Nursery

आद्र गलन रोग फफूंद के माध्यम से फैलता है और मिर्च की नर्सरी में इस रोग का प्रकोप बहुत ज्यादा देखने को मिलता है। वहीं इस रोग का प्रभाव 10 से 15 दिन के पौधों में ज्यादा देखने को मिलता है। इस रोग के लगने से पौधे की जड़ व तने में गलने की समस्या शुरू हो जाती है। इससे पौधों के तने पतले होने लगते हैं और पत्ते मुरझाने लगते हैं। इस रोग की समस्या बढ़ने पर, पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं और पौधे जमीन पर गिर जाते हैं। रोपाई के समय जब पौधे ज्यादा मात्रा में निकाले जाते हैं तो यह बीमारी अधिक तीव्रता से फैलती है।

नियंत्रण के उपाय:

  • इस रोग से बचाव के लिए फसल चक्र अपनाएं, आद्र गलन रोग से प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें। बुवाई से पूर्व बीजोपचार करना अति आवश्यक है। 

  • जैविक नियंत्रण के लिए कोमबेट (ट्राइकोडर्मा विर्डी) को 8 ग्राम/किलो बीज को उपचारित करें। या 

  • विटावेक्स (कार्बोक्सिन37.5%+ थिरम37.5%डब्ल्यू एस) 3 ग्राम/किलो या धनुस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी) को 3 ग्राम/किलो बीज को उपचारित करें।

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इन उपायों से मिर्च की नर्सरी को डंपिंग ऑफ रोग से बचाएं

damping off disease in chilli nursery,
  • डम्पिंग ऑफ मिर्च की नर्सरी में लगने वाला एक प्रमुख रोग है।

  • इस रोग के कारण मिर्च की फसल नर्सरी अवस्था में बहुत अधिक प्रभावित होती है।

  • डम्पिंग ऑफ रोग के कारण अंकुरण के तने पानी से लथपथ और पतले, लगभग धागे जैसे हो जाते। हैं।

  • संक्रमित पत्तियाँ भूरे से हरे रंग की हो जाती हैं और युवा पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

  • प्रबंधन हेतु थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल + मेंकोजेब @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

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