Sowing method of Snake gourd

  • मध्य भारत में ककड़ी के बीजों को मेढों में या समतल क्यारियों या गढ्ढे में बोया जाता है।
  • सामान्यतः बीजों की बुवाई मेढों के किनारे वाले ऊपरी भाग पर की जाती है। गर्मी के मौसम में लताओ को भूमि की सतह पर फैलने दिया जाता है।
  • एक गढ्ढे में 5-6 बीजों की बुवाई की जाती है। उसमे से केवल दो ही लताओ को बढने के लिये छोड़ा जाता है।
  • बीजों के बुवाई  करने के पूर्व 12 घंटे पानी में डूबाकर रखा जाता है, तत्पश्चात फूले हुये बीजों की बुवाई की जाती है।
  • जब पौधों को रोपाई विधि के द्वारा लगाया जाता है, तब बीजों की बुवाई 10-15 से.मी. वाले पाँलीथीन बैग में पूर्ण रूप से पका हुआ कार्बोनिक खाद भरकर की जाती है।
  • इस विधि से तैयार किये गये पौधों को दो-पत्ती अवस्था में अथवा तीन सप्ताह के बाद ही खेत में लगाया जाता है।

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Soil preparation for Bottle gourd cultivation

  • प्रारंभिक तैयारी में खेत को डिस्क हेरो के द्वारा जोतने के बाद क्रास जुताई करनी चाहिये।
  • जुताई के समय 20 से 25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टयर की दर से भूमि में मिलाना चाहिये ।  
  • अंतिम जुताई करने के समय खेत को पाटा चलाकर भूरभूरी एवं समतल कर लेना चाहिए।  
  • यदि खेत में नेमाटोड एवं सफेद चिंटी का प्रकोप हो तो 10 किलो प्रति एकड़ की दर से कार्बोफ्यूरान कीटनाशक पावडर का छिड़काव करें।  
  • खेत को समतल करने के बाद 40 से 50 से.मी. चौड़ी नालियाँ लगभग 2 से 2.5 से.मी. की दूरी पर बनाये।  

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