जानिए, कपास की फसल में पत्तियों के लाल होने के कारण

मैग्नीशियम की कमी के लक्षण :- 

मैग्नीशियम की कमी के लक्षण सर्वप्रथम पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं, इसकी कमी से पत्तियों में हरिमाहीनता हो जाती है। पत्तियों की शिरा हरे रंग की रहती हैं, एवं शिराओं को छोड़कर बाकि पत्ती का रंग लाल भूरे रंग का दिखाई देता है। जिस कारण समय से पहले ही पत्ती गिर जाती हैं।

लाल पत्ती रोग के कारण :-

किसान भाइयों, कपास में पत्तियों के लाल होने को लाल पत्ती रोग के नाम से भी जाना जाता है। शुरुआत में पत्ती का किनारा पीला हो जाता है और बाद में लाल रंग का हो जाता है। यह विकार एक पर्यावरणीय कारक एवं नाइट्रोजन, मैग्नीशियम आपूर्ति एवं अत्यधिक जल भराव के कारण, होता है। यह किसी भी विकास के चरण में हो सकता है। रस चूसक कीट के लक्षण एवं लाल पत्ती  के लक्षण में कोई खास अंतर नहीं होता है। अक्सर लक्षण परिपक्व पत्तियों में देखा जाता है और धीरे-धीरे पूरे पत्तों  में फैल जाता है। अंत में पूरी पत्तियां सूख जाती है। 

बचाव के उपाय :-

प्राकृतिक कारक से बचने के लिए समय से बुवाई करनी चाहिए एवं खेतों में जलभराव से बचने के लिए पर्याप्त जल निकासी होना चाहिए एवं बुवाई के 40 से 45 दिन बाद, यूरिया 30 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 10 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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कपास समृद्धि किट अपनाएं, स्वस्थ फसल पाएं

👉🏻किसान भाइयों कपास की फसल सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा सकती है। जिससे स्वस्थ फसल के साथ जबरदस्त उत्पादन लेने के लिए कपास समृद्धि किट का इस्तेमाल जरूर करें। 

👉🏻ग्रामोफ़ोन विशेष ‘कपास समृद्धि किट’ जो आपकी कपास की फसल का सुरक्षा कवच बनेगा। इस किट के उपयोग के बाद आपकी फसल को वो सब कुछ मिलेगा, जिसकी जरूरत कपास की फसल को होती है।

👉🏻अन्तिम जुताई के समय ग्रामोफ़ोन विशेष ‘कपास समृद्धि किट’ को 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिलाकर अन्तिम जुताई के साथ मिला दें l उसके बाद हल्की सिंचाई कर दें l 

👉🏻इस किट में लाभकारी बैक्टीरिया, कवक एवं पोषक तत्वों का मिश्रण है, इसका उपयोग खेत में बुवाई के समय भुरकाव करने से फसल का विकास बहुत अच्छा होता है एवं पौधे को बहुत सी बीमारियों से बचाया जा सकता है, यह किट मिट्टी की उर्वरा  शक्ति को भी बढ़ाने में सहायता करता है।

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