मौसम में हो रहे बदलाव के दौरान बरतें कृषि संबंधित सावधानियां

Take precautions related to agriculture during the weather changes
  • खेत में जल निकास का प्रबंधन करें ताकि खेत में पानी ज्यादा देर तक न रुक सके।
  • फसल कटाई के दौरान उसे खुले खेत में न रखकर किसी छपरे, कमरे, गोदाम अथवा जहाँ बारिश का पानी न आये, ऐसी जगह पर रखें।
  • आसमान के साफ़ होने पर चना मसूर गेहूं को तिरपाल या प्लास्टिक की चादरों पर खोलकर 2 से 3 दिन तक अच्छी तरह सुखा लें। दानों में नमी की मात्रा 12% से कम हो जाए तभी इसका भंडारण करें।
  • बीज भंडारण के पहले फफूंदनाशक दवा से बीज उपचार करना जरूरी होता है जिससे बीज जनित रोग का सस्ता एवं कारगर नियंत्रण हो सकता है।
  • बीज उपचार हेतु थाइरम या केप्टान दवा 3 ग्राम अथवा कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित करना चाहिए।
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बेहद जरूरी है बदलते मौसम के साथ तालमेल

बंगाल की खाड़ी में बने प्रति चक्रवात की वजह से मध्य भारत में बारिश और हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार देश के कई इलाकों में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना है। आज भी बारिश की संभावना बनी हुई है और अगले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों सहित उत्तरी छत्तीसगढ़ में गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।  इसके साथ ही सिक्किम, पश्चिम बंगाल और दक्षिणी तटीय तमिलनाडु में एक-दो स्थानों में छिटपुट बारिश होने की आशंका है।  

मौसम के बदलाव को देखते हुए किसान भाई बरतें निम्नलिखित सावधानियां 

  • खेत में जल निकास का प्रबंधन करें ताकि खेत में पानी ज्यादा देर तक न रुक सके।  
  • फसल कटाई के दौरान उसे खुले में न रखकर किसी छपरे, कमरे, गोदाम अथवा जहाँ बारिश का पानी न आये, ऐसी जगह रखें। 
  • आसमान के साफ़ होने पर चना मसूर गेहूं को तिरपाल या प्लास्टिक की चादरों पर खोलकर 2 से 3 दिन तक अच्छी तरह सूखा लें ताकि दानों में नमी की मात्रा 12% से कम हो जाए तभी भंडारण करें। 
  • बीज को कीट, फफूंद व खरपतवार से बचाने के लिए बीज भंडारण से पहले बीज में मिले हुए डंठल, मिट्टी, पत्तियां तथा खरपतवार को भलीभांति साफ कर लें एवं तेज धूप में दो-तीन दिन तक सुखा कर 8-10 % नमी होने पर ही भंडारण करें।
  • बीज भंडारण के पहले फफूंदनाशक दवा से बीज उपचार करना जरूरी होता है जिससे बीज जनित रोग का सस्ता एवं कारगर नियंत्रण हो सकता है। बीज उपचार हेतु थाइरम या केप्टान दवा 3 ग्राम अथवा कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित करना चाहिए। 
  • मौसम के बदलाव को देखते हुए कई तरह के रोग एवं कीट फसलों पर हमले कर सकते है क्यों कि यह वातावरण इनके लिए उपयुक्त है।.
  • ग्रीष्मकालीन कद्दू वर्गीय सब्जियों में लाल भृंग कीट के आक्रमण की संभावना रहती है। इस कीट की संख्या अधिक हो तो डाइक्लोरोवोस 76 ईसी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  • भिंडी में रस सूचक कीट जैसे सफेद मक्खी, एफिड,जैसिड आदि के नियंत्रण के लिए डायमेथोएट 30 ईसी 1-1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। 
  • प्याज में थ्रिप्स (तेला) की अधिक संभावना बनी हुई है अतः प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. @ 45 मिली या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% सी.एस. @ 20 मिली या स्पिनोसेड @ 10 मिली या फिप्रोनिल 5 एस.सी.  प्रति 15 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। 
  • रासायनिक दवा के साथ इस मौसम में 0.5 मिली चिपको प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें ताकि दवा पौधों द्वारा अवशोषित हो जाये। 
  • ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई जरूर करनी चाहिए गहरी जुताई करने से मिट्टी में हवा का आवागमन सुचारु रूप से होता है जिससे मिट्टी में जल धारण क्षमता बढ़ती है एवं हानिकारक कीट एवं कवक बीजाणु नष्ट होते हैं। 
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