- गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
- बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
- बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
- फसल में 2 किग्रा बिवेरिया बेसियाना + (साइपरमैथ्रिन 4% ईसी + प्रोफेनोफॉस 40% ईसी) @ 400 एमएल/एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें
- फसल को 2 किलोग्रामबिवेरिया बेसियाना + (लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस )@ 200 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करें।
करेला के लाल कीट की पहचान
- अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उनको खाता है|
- इन प्रभावित पौधे के खाये हुए जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएँ सुख जाती है|
- बीटल पत्तियों को खाकर उनमे छेद कर देते है |
- पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |
- संक्रमित फल मनुष्य के खाने योग्य नहीं रहते है |
Management of fruit fly in bitter gourd
- ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
- अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
- परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
- इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
- गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
- डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करे | या
- लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली/एकड़। या
- प्रोफेनोफॉस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ |
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Management of fruit fly in bitter gourd
- ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
- अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
- परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
- इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
- गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
- डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करे | या
- लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली/एकड़। या
- प्रोफेनोफॉस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ |
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ShareFruit Fly in bitter gourd
- मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
- इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
- मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है।
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।
- अंततः छेंद ग्रसित फल सड़ने लगते है।
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है।
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ShareControl of aphid in bitter gourd
- ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि यह कीट फैलने न पाये।
- माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75 % एसपी @ 300- 400 ग्राम / एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एस एल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20 % एसपी @ 150 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है |
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ShareFertilizer dose in bitter gourd
- उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और रोपण के मौसम पर निर्भर करती है।
- भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद / कम्पोस्ट @ 6-8 टन / एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएँ।
- यूरिया 30-40 किलो, डीएपी 35-50 किलो,और एमओपी 20-40 किलो/एकड़ प्रयोग करे।
- रोपण से पहले आधा यूरिया और डीएपी संपूर्ण और एमओपी प्रयोग किया जाना चाहिए। बाकी आधा यूरिया को बुआई के 15 दिन बाद और 30 दिन बाद दो बार में दें।
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ShareAdvantage of Phosphorus Solubilizing bacteria in bitter gourd
- ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
- तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
- पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
- रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
- इसका उपयोग करने से 25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती ।
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ShareControl of Aphids on Bitter Gourd
- ग्रसित भाग पीले होकर सिकुड़कर मुड जाते है अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सुख जाती है व धीरे-धीरे पौधा सुख जाता है|
- माहू का प्रकोप दिखाई देने पर डायमिथोएट 30 मिली. प्रति पम्प या इमीड़ाक्लोरप्रीड 17.8% SL 10 मिली. प्रति पम्प का स्प्रे पंद्रह दिन के अंतराल से करें|
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ShareSowing method and seed rate of Bitter gourd
- करेले के बीज का आवरण कड़ा होता है, इसलिए 2-3 माह पुराने बीजों को रात भर के लिए ठंडे पानी में भिगोया जाता है।
- बीजों को अच्छे अंकुरण के लिए एक से दो दिन तक नम कपडे में लपेट कर रखा जाता है।
- बीजों में अंकुरण के तुरन्त पश्चात ही गडढों में बो दिया जाता है।
- प्रत्येक गडढे में 4-5 बीजों की बुवाई की जाती है।
- 1.5 -2 किलों देशी बीज एक एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त होते है। संकर एवं प्रायवेट कम्पनी के उन्नत बीज 400-600 ग्राम प्रति एकड़ लगते है| बीजदर किस्मों एवं लगाने के तरीकों पर निर्भर करती हैं|
- बीज प्रायः सीधी बुवाई के द्वारा ही बोया जाता है।
- प्रत्येक गडढों में 4-5 बीजों को 2 से.मी. गहराई में बोना चाहिये।
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