- खेतों को साफ रखे, और संक्रमित पौधों को इकट्ठा करके नष्ट कर दे।
- फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों, मूली जैसी फसल को फसल चक्र में अपनाने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
- पंत सम्राट किस्म इस रोग के प्रति सहनशील है।
- इसके बचाव के लिए खेत की अंतिम जुताई या बुवाई के समय 6-8 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 1 किलो ट्राइकोडरमा विरिडी मिला कर एक एकड़ खेत में बिखेर दे। खेत में नमी जरूर रखें।
- इससे रोग रोकथाम के लिए कासुगामायसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 20 ग्राम या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों के पास ड्रेंचिंग करें।या
- जैविक माध्यम से स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 1 किलो को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ पौधों की जड़ों के पास ड्रेंचिंग करें।
Control of bacterial wilt in tomato
- रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीले रंग की होकर सूखने लगती हैं एवं कुछ समय बाद पौधा सूख जाता हैं।
- नीचे की पत्तियां पौधे के सूखने से पहले गिर जाती हैं।
- पौधे के तने के नीचे के भाग को काटने पर उसमें से जीवाणु द्रव दिखाई देता हैं।
- पौधों के तने के बाहरी भाग पर पतली एवं छोटी जड़े निकलने लगती हैं।
- कद्दू वर्गीय सब्जिया, गेंदा या धान की फसल को उगाकर फसल चक्र अपनायें।
- खेत में पौधे लगाने से पहले ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव 6 कि.ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।
- स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट I.P. 90% w/w + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड I.P. 10% w/w 20 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग।
- कसुगामाइसिन 3% एस.एल. 300 मिली/एकड़ के प्रयोग करके भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
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