लक्षण:-
- फरासबीन की पत्तियों, तने व फल्लियों इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती है|
- छोटे-छोटे लाल भूरे रंग के धब्बे फल्लियों पर बनते है व शीघ्रता से बढतें है|
- आद्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवाणु पनपते है|
- पत्तियों एवं तनों पर भी काले जलसिक्त घाव बनते है|
- पर्ण वृन्तों एवं पत्तियों की शिराओं पर भी संक्रमण होता है|
प्रबंधन:-
- रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें|
- रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक फरासबीन न आये|
- रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें|
- कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/ किलो बीज से बीजोपचार करें|
- मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति ली. पानी का स्प्रे करें या क्लोरोथायोनील 2 ग्राम प्रति ली पानी में घोल बनाकर पत्तियों निकलने से फल्लियों पकने तक प्रति सप्ताह छिडकाव करें|
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