- रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
- रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक मटर न उगाये।
- रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
- बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम 37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
- कासुगामाईसिन 5% +कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या
- कीटाजिन 48.0 w/w 400 मिली /एकड़ का छिड़काव करें|
मटर की फसल में श्याम-वर्ण रोग की रोकथाम
- मटर की पत्तियाँ, तने व फलियाँ इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती हैं।
- छोटे-छोटे लाल-भूरे रंग के धब्बे फलियों पर बनते है व शीघ्रता से बढ़ते हैं |
- आर्द्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवणु पनपते हैं।
- गंभीर संक्रमण के दौरान पत्ती की निचली सतह पर शिरा के मध्य का भाग काले रंग का दिखाई देता है|
Control of Anthracnose in Cucumber
- खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये ।
- बीजों को कार्बोंन्डाजिम 50% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
- 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
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ShareAnthracnose disease in Cucumber
- इस बीमारी के लक्षण पत्तियों, पर्णवृंत, तना एवं फलों पर दिखाई देते है।
- नये फलों के ऊपर अण्डाकार जल रहित धब्बे निर्मित होते है जो आपस में मिलकर बहुत बडा क्षेत्र ढँक लेते है।
- अत्यधिक नमी युक्त वातावरण में निर्मित धब्बों के बीच में गुलाबी रंग के समूह वाले जीवाणु दिखाई देते है।
- निर्मित धब्बों से गुलाबी चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है, जिन पर रोग के बीजाणु उत्पन्न होते है।
- लताओं पर भूरे रंग की धारियाँ निर्मित होती है जिन पर कोणीय एवं गोलाकार धब्बो का निर्माण होता है।
- इस बीमारी में प्रभावित भागों पर अंगमारी रोग नुमा लक्षण निर्मित हो जाते है।
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ShareHow to control Anthracnose or Pod Blight in Soybean crop
- रोग सहनशील किस्में जैसे एनआरसी 7 व 12 का उपयोग करें।
- बीज को थायरम + कार्बोक्सीन @ 2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज के मान से उपचारित कर बुवाई करें।
- रोग का लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% @ 400 ग्राम. प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
- अधिक प्रकोप होने पर टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली प्रति एकड़ की दर स्प्रे करें|
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ShareSymptoms of Anthracnose or Pod Blight in Soybean crop
- यह एक बीज एवं मृदा जनित रोग है।
- यदि संक्रमित बीज लगाया जाता है, तो प्रारंभिक रोग के विकास के परिणामस्वरूप डंपिंगऑफ (बीज या अंकुर सड़ने से पौधे की मृत्यु ) हो सकती है।
- सोयाबीन में फूल आने की अवस्था में तने, पर्णवृन्त व फली पर लाल से गहरे भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते है।
- बाद में यह धब्बे फफूंद की काली सरंचनाओं (एसरवुलाई) व छोटे कांटे जैसी संरचनाओं से भर जाते है।
- पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।
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ShareControl of anthracnose in cowpea
- बरबटी की पत्तियाँ, तने व फलियाँ इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती हैं।
- छोटे-छोटे लाल-भूरे रंग के धब्बे फलियों पर बनते है व शीघ्रता से बढ़ते हैं |
- आर्द्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवणु पनपते हैं।
- रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
- रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक बरबटी न उगाये।
- रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
- बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम 37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
- मैनकोजेब 75% डब्ल्यू पी @ 400-600/एकड़ की दर पानी में घोल बनाकर प्रति सप्ताह छिड़काव करें।
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ShareAnthracnose control in watermelon
- खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये।
- बीजों को कार्बोंन्डाजिम 50% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
- 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
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ShareControl of anthracnose in bottle gourd
- खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये।
- बीजों को कार्बेन्डाजिम 50% WP फफूदनाशक के द्वारा 2.5 ग्राम की दर से उपचारित करें।
- 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75%डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
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सोयाबीन में ऐन्थ्रेक्नोज व फली झुलसन रोग का नियंत्रण:
- यह एक बीज एवं मृदा जनित रोग है।
- सोयाबीन में फूल आने की अवस्था में तने, पर्णवृन्त व फली पर लाल से गहरे भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते है।
- बाद में यह धब्बे फफूंद की काली सरंचनाओं (एसरवुलाई) व छोटे कांटे जैसी संरचनाओं से भर जाते है।
- पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।
नियंत्रण:-
- रोग सहनशील किस्में जैसे एनआरसी 7 व 12 का उपयोग करें।
- बीज को थायरम + कार्बोक्सीन 2 ग्राम /कि.ग्रा. बीज के मान से उपचारित कर बुवाई करें।
- रोग का लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% 400 ग्रा. प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
- अधिक प्रकोप होने पर टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC 200 मिली प्रति एकड़ के अनुसार स्प्रे करें|
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