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प्याज में खरपतवार नियंत्रण:-पेंडिमेथालीन @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी या ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC @ 15 मिली. / 15 लीटर पानी का उपयोग रोपाई के 3 दिनों के बाद प्याज में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है, इसके साथ ही खरीफ की फसल में रोपाई के 25-30 दिनों के बाद और रबी फसल में रोपण के 40-45 दिन बाद एक हाथ से निदाई करे । रबी मौसम के दौरान चावल का भूरा घास या गेहूं पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाने के लिए सिफारिश की गई है। ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव रोपाई के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है|
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Shareचने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-
• छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
• मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
• गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
• रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
• रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
• कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
• जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
• सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |
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गोबर की खाद 15-20 टन / हेक्टयर की दर से भुमि की तैयारी के समय मिलाये | नाईट्रोजन 120 किलो/. हे. फास्फोरस 60 किलों प्रति हे. पोटाश 75 किलो /हे.
20 किलो सल्फर, 10 किलो बोरेक्स एवं 10-15 किलो जाईम देने से उपज एवं गुणवत्ता बढती है |
मटर की बीजदर तथा बुवाई:- बीज दर :- अगेती के लिए – 100 से 120 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| मध्य तथा देर के लिए 80-90 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| बीजोपचार: बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बोने से मटर की अधिक उपज मिलाती है| भूमि उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है| बुवाई से पहले बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर लेना चाहिएI बोने का समय:- इसकी बुआई अक्टूवर से नवम्बर महीने के बीच की जाती है|
Shareबुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे पाद गलन रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को थायरम या केप्टान @ 4-5 ग्राम/ मी वर्ग क्षेत्र से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | पाद्गलन के प्रबंध एवं स्वस्थ पौध उगने के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी @ 1250 ग्राम/ हेक्टेयर की दर से देने की अनुशंसा की जाती है |
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कमी के लक्षण दिखाई देने पर कैल्शियम EDTA @ 15 ग्राम / 15 लीटर पानी का छिड़काव दो बार करे |
Shareआलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम/ एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेंकोजेब 63% WP @ 200 ग्राम/एकड़ से करना चाहिए |
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Shareटमाटर की फसल में, पत्ति सुरंगक एक प्रमुख कीट है जो प्रारंभिक अवस्था में नुकसान पहुंचाता है | टमाटर में इसके लिए ट्रायजोफॉस 40% EC @ 40 मिली /15 लीटर पानी या करटोप हाइड्रो क्लोराइड 50% SP @ 25 ग्राम/ 15 लीटर पानी का स्प्रे |
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