Prevention of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-
• छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
• मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
• गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
• रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
• रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
• कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
• जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
• सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |

 

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Fertilizer and Manure in Onion

गोबर की खाद 15-20 टन / हेक्टयर की दर से भुमि की तैयारी के समय मिलाये | नाईट्रोजन 120 किलो/. हे. फास्फोरस 60 किलों प्रति हे. पोटाश 75 किलो /हे.
20 किलो सल्फर, 10 किलो बोरेक्स एवं 10-15 किलो जाईम देने से उपज एवं गुणवत्ता बढती है |

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Pea seed rate and sowing

मटर की बीजदर तथा बुवाई:- बीज दर :- अगेती के लिए – 100 से 120 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| मध्य तथा देर के लिए 80-90 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| बीजोपचार: बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बोने से मटर की अधिक उपज मिलाती है| भूमि उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है| बुवाई से पहले बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर लेना चाहिएI बोने का समय:- इसकी बुआई अक्टूवर से नवम्बर महीने के बीच की जाती है|

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Seed and Nursery Bed Treatment in Onion

बुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे पाद गलन रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को थायरम या केप्टान @ 4-5 ग्राम/ मी वर्ग क्षेत्र से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | पाद्गलन के प्रबंध एवं स्वस्थ पौध उगने के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी @ 1250 ग्राम/ हेक्टेयर की दर से देने की अनुशंसा की जाती है |

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Calcium deficiency in tomato

कमी के लक्षण दिखाई देने पर कैल्शियम EDTA @ 15 ग्राम / 15 लीटर पानी का छिड़काव दो बार करे |

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Seed treatment of Potato

आलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम/ एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेंकोजेब 63% WP @ 200 ग्राम/एकड़ से करना चाहिए |

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Control of leaf miner in Tomato

टमाटर की फसल में, पत्ति सुरंगक एक प्रमुख कीट है जो प्रारंभिक अवस्था में नुकसान पहुंचाता है | टमाटर में इसके लिए ट्रायजोफॉस 40% EC @ 40 मिली /15 लीटर पानी या करटोप हाइड्रो क्लोराइड 50% SP @ 25 ग्राम/ 15 लीटर पानी का स्प्रे |

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Control of Bacterial leaf spot disease in Tomato

  • इस बीमारी से पैदावार कम हो जाती है।
  • प्रभावी नियंत्रण के लिए, स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आई.पी. 90% w / w टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 2 ग्रा / 15 लीटर पानी या कासुगामाईसीन 3% एस.एल. @ 40 ml / 15 लीटर पानी + कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP @ 40 ग्रा / 15 लीटर पानी का छिड़काव करे, जैसे ही रोग के प्रारंभिक लक्षण प्रकट हो |

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Best source of sulphur application in soyabean

सोयाबीन तलहनी फसल है इसमें सल्फर एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में भूमिका निभाता है वैसे तो सल्फर कई रूप में दिया जाता है पर सल्फर 80% WDG छिड़काव के रूप में देने से यह फफूंदनाशी एवं मकड़ी नाशी का भी काम करता है इसलिए सल्फर 80% WDG @ 50 ग्राम/15 लीटर पानी का प्रयोग करे |

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For better flowering in soybean

सोयबीन में फूल वाली अवस्था पर जिब्रेलिक एसिड 50 पीपीएम का स्प्रे करने से फूलो की संख्या में बढ़वार होती है, फूल एवं फलिया अधिक लगती है साथ ही फूल गिरने की समस्या भी कम होती है |

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