लक्षण:-
- भूमि के पास स्तम्भ के आधार पर फफूंद उत्तक क्षय करके पौधे को सुखा देता है|
- अनुकूल परिस्थिति में कवक और उसके सरसों जैसे दानों के समान वृद्धि रोगग्रस्त भाग पर विकसित होते है|
रोकथाम:-
- रोगग्रस्त पौधे के अवशेषों को नष्ट करें|
- जल निकास की व्यवस्था करें व फसल चक्र अपनायें|
- नर्सरी का निर्माण ऊँची जगह पर करें|
- बीज उपचार कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/ किलो बीज की दर से करें|
- कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम या मेटालेक्ज़िल+ मेन्कोज़ेब 3 ग्राम प्रति ली. पानी की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें|
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