नाम:- सचिन ठाकुर
ग्राम:- दिलावरा
जिला:-धार
समस्या:- पत्ता गोभी में ईल्ली
सुझाव:- एमामेक्टीन बेंजोएट 15 ग्राम + प्रोफेनोफास 30 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करे |
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नाम:- सचिन ठाकुर
ग्राम:- दिलावरा
जिला:-धार
समस्या:- पत्ता गोभी में ईल्ली
सुझाव:- एमामेक्टीन बेंजोएट 15 ग्राम + प्रोफेनोफास 30 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करे |
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कद्दु की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु:-
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Shareमिर्च की रोपाई का समय:-
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Shareसोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण
1.यांत्रिक विधिया ( श्रमिकों से निंदाई एवं डोरा ):-सोयाबीन में 20-25 दिन तथा 40 -45 दिनों में दो बार निंदाई करना आवश्यक हें | सुविधानुसार फसल में डोरा कुलपा बोवनी से 30 दिन, पहले तक करना चाहिए उपयोग के समय यह सावधानी रखनी चाहिए की पौधो की जड़ो को नुकसान नही हो |
2.खरपतवार नाशक रसायनो का उपयोग :- खरपतवार नाशक दवा की अनुशंसित मात्रा को 700 -800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें| यन्त्र में फ्लेट पेन या फ्लड जेट नोजल लगाकर प्रयोग करें | नमीयुक्त भूमि पर ही छिडकाव करना चाहिए सोयाबीन की फसल हेतु अनुशंसित खरपताबर नाशक रसायनो में से किसी एक का ही प्रयोग करे एवं प्रत्येक वर्ष रसायन बदल कर प्रयोग करें |
सोयाबीन की फसल में अनुशंसित खरपतवार
प्रयोग का समय | रासायनिक नाम | मात्रा/ हे |
बोवनी के पूर्व | 1 फ्लुक्लोरालीन | 2.2 लीटर |
2 ट्राईफ्लुरालीन | 2.0 लीटर | |
बोवनी के तुरन्त बाद | 1 मेटालोक्लोर | 2 लीटर |
2 क्लोमाझोन | 2 लीटर | |
3 पेंडीमेथालीन | 3.25 लीटर | |
4 डाक्लोरोसुलन | 26 ग्राम | |
बोवनी के 10-15 दिन बाद | 1 क्लोरोम्युरान इथाइल | 36 ग्राम |
बोवनी के 15-20 दिन बाद | 1 इमेझेथापर | 1 लीटर |
2 क्बिज़ेलोफाप इथाइल | 1 लीटर | |
3 फेनाक्सीफ्रोप इथाइल | 0.75 लीटर | |
4 प्रोपाक्विजाफोप | 0.75 लीटर |
source:- https://iisrindore.icar.gov.in/
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Shareसोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बोवनी के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |
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Shareसोयाबीन की बीजदर, बोने का समय एवं बोनी की विधि :-
बीजदर:- विभिन्न जातियों के बीज के आकार के अनुसार सामान्य अंकुरण क्षमता वाले बीज दर निम्नानुसार उपयोग करना चाहिए:- (1) छोटे दाने वाली किस्में 28 किलो प्रति एकड़ (2) मध्यम दाने वाली किस्में 30 से 32 किलो प्रति एकड़ (3) बड़े दाने वाली किस्में – 36 किलो प्रति एकड़ |
बोने का समय:- बुवाई का उचित समय 20 जून से जुलाई का प्रथम सप्ताह होता है, जब लगभग 3-4 इंच वर्षा हो चुकी हो तो बुवाई प्रारम्भ कर देना चाहिये | यदि देर से बुआई करनी पड़ें तो बीज की मात्रा सवाई एवं कतार से कतार की दूरी 30 सेमी. कर देना चाहिए| देर से बुआई की स्थिती में शीघ्र पकने वाली जातियों का प्रयोग करना चाहिए |
बोनी की विधि :- सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए | बीज को 45 से.मी. कतार से कतार की दूरी पर एवं 3-5 सेमी. गहराई पर बोवें| बोवनी के लिए सीडड्रिल कम फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करें जिससे खाद एवं बीज अलग अलग दी जा सकें और खाद नीचे और बीज ऊपर गिरे | बीज एवं उर्वरक कभी भी बोवनी में एक साथ उपयोग नहीं करना चाहिए |
source:- https://iisrindore.icar.gov.in/
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Shareसोयाबीन की उन्नत किस्में:- किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |
मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-
क्र. | किस्म का नाम | अवधि दिन में | उपज प्रति हेक्टेयर |
1. | JS-9560 | 82-88 | 18-20 |
2. | JS-9305 | 90-95 | 20-25 |
3. | NRC-7 | 90-99 | 25-35 |
4. | NRC-37 | 99-105 | 30-40 |
5. | JS-335 | 98-102 | 25-30 |
6. | JS-9752 | 95-100 | 20-25 |
7. | JS-2029 | 93-96 | 22-24 |
8. | RVS-2001-4 | 92-95 | 20-25 |
9. | JS-2069 | 93-98 | 22-27 |
10. | JS-2034 | 86-88 | 20-25 |
Source:-https://iisrindore.icar.gov.in/
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Shareमक्का के लिए खाद एवं उर्वरकों की बेसल मात्रा:-
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Shareमिर्च के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा:-
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Shareसोयाबीन के लिए खाद एवं उर्वरक:-
सोयाबीन एक दलहनी एवं तिलहन फसल है | इसमें नाईट्रोजन की आवश्यकता कम होती है | अधिक नाईट्रोजन देने से अफलन की समस्या आ सकती है इसलिए इसमें पौषक तत्व प्रबंधन में विशेष ध्यान देना होता है|
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