How to Control Downy Mildew in Cauliflower

  • उचित जल प्रबंधन करे ताकि मिट्टी की सतह पर अतिरिक्त नमी न रहे |
  • साफ़ (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% WP) @ 300-400 ग्राम/एकड़ या 
  • रीडोमिल गोल्ड (मेटलैक्सिल-एम 4% + मैनकोजेब 64% WP) @ 300-400 ग्राम/एकड़
  • अमीस्टार (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% एससी)@ 200 मिली/एकड़ | 
  • नेटिवो (टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्राइफ्लोक्सिरोबिन 25% WG) @ 120 ग्राम/एकड़ का छिड़काव किया जा सकता है।
  • फसल चक्र अपनाये एवं खेत में साफ़ सफाई रखे।

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Time of Sowing, Spacing and Seed rate of Carrot

गाजर की बुवाई का सही समय,फसल अंतरण एवं बीज दर

  • बुवाई का सही समय:- देशी किस्मो की बुबाई के लिए अगस्तसितम्बर माह और यूरोपियन किस्मो के लिए अक्टूबरनवंबर माह उपयुक्त होता है|
  • फसल अंतरण:- पंक्ति से पंक्ति की दूरी  45 से.मी.और पौधे से पौधे के मध्य की दूरी  7. 5 से.मी रखना चाहिए  बीज को 1.5 से.मी.गहराई पर बोना चाहिए |
  • बीज दर: 4-5 कि.ग्रा बीज प्रति एकड़ उपयुक्त होता है |

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Nutrient Management in Pea

बुआई के समय 12 किलो नाईट्रोजन प्रति एकड़ की आधारीय खुराक प्रारंभिक वृद्धि को उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त होती है। नाईट्रोजन की अधिक मात्रा ग्रंथियों के स्थिरीकरण पर बुरा प्रभाव डालती है |फसल फास्फोरस प्रयोग को अच्छी प्रतिक्रिया देती है क्योंकि यह जड़ में ग्रंथ गठन को बढ़ाकर नाइट्रोजन निर्धारण का समर्थन करता है। इससे मटर की उपज और गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।पौधे की उपज और नाइट्रोजन निर्धारण क्षमता बढ़ाने में पोटेशिक उर्वरकों का भी प्रभाव होता है।

सामान्य अनुशंसा :-

उर्वरको के प्रयोग की सामान्य अनुशंसा निम्न बातों पर निर्भर करता है-

  • मृदा उर्वरकता एवं दी जाने वाली कार्बनिकखाद/गोबर खाद की मात्रा |
  • सिंचाई की स्तिथि:- वर्षा आधरित या सिंचित
  • वर्षा आधारित फसल में उर्वरको की मात्रा आधी दी जाती है |

कितनी मात्रा में दे, कब देना हे-

  • मटर की भरपूर पैदावार के लिए 10 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम डी.ए.पी, 15 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ  पोटाश और 6 किलोग्राम सल्फर 90% डब्लू.जी. को प्रति एकड़ प्रयोग करते है|
  • खेत की तैयारी के समय यूरिया की आधी मात्रा एवं डी.ए.पी, म्यूरेट ऑफ पोटाश और सल्फर की पूरी मात्रा को प्रयोग करते है| एवं शेष बची हुई यूरिया की मात्रा को दो बार में सिंचाई के समय देना चाहिए|

 

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Management of Mealy Bug in Cotton

  • पुरे साल खेत खरपतवार मुक्त रखना चाहिए |
  • खेत की निगरानी रखनी चाहिए ताकि शुरुआत में ही कीट को देखा जा सके|
  • अधिकतम नियंत्रण के लिए शुरुआती अवस्था में ही प्रबंधन के उपाय करें |
  • आवश्यकता होने पर नीम आधारित वानस्पतिक कीटनाशक जैसे नीम तेल @ 75 मिली प्रति पंप या नीम निंबोली सत @ 75 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए डायमिथोएट @ 30 मिली प्रति पम्प या प्रोफेनोफॉस @ 40 मिली प्रति पम्प या ब्यूप्रोफेज़िन @ 50 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Mealy Bug in Cotton

  • मिली बग कपास के पत्तों के नीचे बड़ी संख्या में समूह बना कर एक मोम की परत बना लेते हैं |
  • मिली बग बड़ी मात्रा में मधुस्राव छोड़ता हैं जिस पर काली फफूंद जमती हैं|
  • ग्रसित पौधे कमज़ोर और काले दिखाई देते है जिससे फलन क्षमता कम हो जाती है|

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Critical stage of irrigation in Potato

  • आलू की फसल में सीजन के दौरान उच्चतम मृदा नमी को बांये रखने के लिए उच्च स्तरीय प्रबंधन की आवश्यकता होता है |
  • वृद्धि के कुछ चरण जब जल प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है-
  • 1). अंकुरण अवस्था
  • 2). कंद स्थापित अवस्था
  • 3). कंद बढ़वार अवस्था
  • 4). अंतिम फसल अवस्था
  • 5). खुदाई के पूर्व |

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Sowing time, Planting and Seed Rate of Garlic

  • कलियों की चोपाई मध्य भारत में सितम्बर- नवम्बर तक की जाती हैं|
  • लहसुन की कलियॉं को गाँठ से अलग कर लें यह काम बुआई के समय ही करें|
  • कलियों का छिलका निकल जाने पर वह बुआई के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं|
  • कड़क गर्दन वाली लहसुन, जिसके एक एक कली कड़क और अलग अलग हो उपयुक्त होता हैं |
  • बड़ी कलियों (1.5 ग्राम से बड़ी) का चयन करना चाहिए| छोटे, रोग ग्रस्त एवं क्षति ग्रस्त कलियों को हटा दो |
  • लहसुन की बीज दर 160-200 किलो प्रति एकड़.
  • चयनित कलियों को 2 सेमी. की गहराई पर 15 X 10 सेमी. की दूरी पर लगना चाहिए|

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Prevention of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग के नियंत्रण के उपाय:-चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है | 

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
  • गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
  • जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
  • सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/एकड़ का स्प्रे करें|

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Field preparation of Potato crop

उर्वरक खेत की तैयारी के समय 

  • एसएसपी @ 80 किग्रा/एकड़ | 
  • डीएपी @ 40 किग्रा/एकड़ | 
  • यूरिया @ 20 किलोग्राम/एकड़ | 
  • पोटाश @ 50 किग्रा/एकड़ | 

बुवाई के समय 

  • समुद्री घास (लाटू ) 5 किलो/एकड़
  • फिप्रोनिल जीआर (फैक्स जीआर / हरीना जीआर) @ 8 किग्रा/एकड़ | 
  • एनपीके बैक्टीरिया का कन्सोर्टिया (TB 3 ) @ 3-4 किग्रा/एकड़ | 
  • ZnSB (तांबा जी ) @ 4 किग्रा/एकड़

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Damping off disease in Onion

  • खरीफ के मौसम में विशेष रूप से भूमि मे अत्यधिक नमी एवं  मध्यम तापमान इस रोग के विकास के मुख्य कारक होते हैं।  
  • बीज में पहले से ही एवं पौधे मे आर्द्र विगलन हो जाता है।  
  • बाद की अवस्था में रोगजनक पौधा कालर भाग मे आक्रमण करता है।  
  • अतंतः काँलर भाग विगलित होकर पौध गल कर मर जाते हैं। 
  • बुवाई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये। 
  • कार्बेन्डाजिम12% + मेनेकोज़ेब 63% या थियोफीनेट मिथाइल 70% WP 50 ग्राम प्रति पम्प का छिडकाव करें |

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