- प्याज की फसल में अंकुरण होने के बाद और जब तक पौधे में 3 पत्ती नहीं निकलती, तब तक फसल जमीन के ऊपर और जमीन के नीचे धीरे-धीरे बढ़ती है।
- एक बार 3 पत्ती निकलने के बाद, फसल का विकास तेज हो जाता है। यह विकास जमीन के अंदर होता है।
- इस दौरान पौधे प्रकाश संश्लेषण की गतिविधि को बढ़ाते है, बड़े पत्तों का उत्पादन करते हैं और बल्ब बनाने के लिए आवश्यक पदार्थों का भंडार करने लगते हैं।
- इस स्तर पर पौधों में पोषण प्रबंधन बल्ब के गठन, फसल के विकास और अंतिम पैदावार की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है।
- इस समय छिड़काव के रूप में पैक्लोब्यूट्राजोल 40% SC@ 30 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कैल्शियम नाइट्रेट@ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
गेहूँ की फसल में उर्वरकों के उपयोग में इन बातों का रखें ध्यान
सही समय एवं सही उर्वरकों के उपयोग के द्वारा गेहूँ की फसल में उत्पादन को बहुत अधिक मात्रा में बढ़ाया जा सकता है।
गेहूँ की फसल में तीन अवस्थाओं में उर्वरक प्रबंधन किया जाता है जो निम्नलिखित हैं।
1. बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन
2. बुआई के 20-30 दिनों में उर्वरक प्रबंधन
3. बुआई के 50-60 दिनों में उर्वरक प्रबंधन
- बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन करने से गेहूँ की फसल का अंकुरण अच्छा होता है साथ ही सभी पौधों की एक समान वृद्धि होती है।
- बुआई के 20-30 दिनों में उर्वरक प्रबंधन से जड़ों की अच्छी वृद्धि और कल्लों में सुधार होता है।
- बुआई के 50-60 दिनों में उर्वरक प्रबंधन करने से बालियां अच्छे से निकलती है एवं बालियों के दानों में दूध अच्छे से भरता है साथ ही दानों का निर्माण भी बहुत अच्छा होता है।
ककड़ी की फसल में होता है जिंक घुलनशील बैक्टीरिया का ख़ास महत्व
- ज़िंक घोलक जीवाणु मृदा में ऐसे जैविक अम्ल का निर्माण करता है जो अघुलनशील ज़िंक को घुलनशील अवस्था में बदलने में मदत करते हैं।
- ये घुलनशील ज़िंक बहुत ही आसानी से पौधों को उपलब्ध हो जाते हैं जिसकी वजह से पौधों को अनेक रोगों से बचाया जा सकता है। इनके उपयोग से उपज बढ़ती है साथ ही मृदा की स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
- जिंक पौधों में विभिन्न धात्विक एंजाइम में उत्प्रेरक के रूप में एवं उपापचय की क्रियाओं के लिए आवश्यक होता है।
- पौधे के वृद्धि एवं विकास में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्रामोफोन ताबा- जी एवं SKB ZnSB के नाम से यह उपलब्ध कराता है।
तरबूज की फसल में बुआई के समय रूट गाँठ निमेटोड का ऐसे करें नियंत्रण
- रूट गांठ निमेटोड की मादा जड़ के अंदर या जड़ के ऊपर अंडे देती है।
- इन अण्डों से निकले नवजात जड़ की ओर आ जाते हैं और जड़ की कोशिकाओं को खा कर जड़ों में गांठ का निर्माण करते हैं।
- सूत्रकृमि से ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है एवं पौधा छोटा ही रहता है।
- पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है।
- अधिक संक्रमण होने पर पौधा सूख कर मर जाता है।
- इसके नियंत्रण के लिए ग्रीष्म ऋतु में भूमि की गहरी जुताई करें।
- नीम की खली का 80-100 किलो प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
- पेसिलोमायसीस लिनेसियस 1% डब्लू पी की 2-4 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर खेत की तैयारी के समय उपयोग कर के भी रूट गाँठ निमेटोड का प्रभावी नियंत्रण किया जाता है।
फास्फोरस घोलक जीवाणु का तरबूज की फसल में होता है काफी महत्व
- ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ Mn, Mg, Fe, Mo, B, Zn और Cu जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे को उपलब्ध करवाने में सहायक होते हैं।
- ये तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होते हैं जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होता है।
- पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते हैं जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक और एसिटिक एसिड। ये अम्ल फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाते हैं।
- रोगों और सूखे के प्रति प्रतिरोध क्षमता को भी ये बढ़ने का काम करते हैं।
- इसका उपयोग करने से 25-30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती।
मध्यप्रदेश के 5 लाख किसानों के खातों में भेजी जायेगी 100 करोड़ रूपये
मध्य प्रदेश सरकार 5 लाख किसानों को नयी सौगात देने जा रही है। यह सौगात मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत 5 लाख किसानों के खातों में 100 करोड़ रुपये भेजी जायेगी।
हर किसान के खाते में इस योजना के अंतर्गत 2-2 हज़ार रुपये की राशि भेजी जायेगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद इस योजना की जानकारी देते हुए ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा की “मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रुपये आज प्रदेश के 5 लाख किसानों के खाते में डाले जा रहे हैं। यह जारी रहेगा और इससे लगभग 80 लाख किसान लाभान्वित होंगे। किसानों के कल्याण के लिए जो कदम उठाने चाहिए, वो हमारी सरकार लगातार उठा रही है। हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
स्रोत: प्रभात खबर
Shareआलू की फसल में पछेती झुलसा रोग का नियंत्रण
- इस रोग के कारण आलू के पौधों की पत्तियों पर अनियमित आकार के धब्बे बन जाते हैं।
- यह पत्तियों के शीघ्र गिरने का कारण बनते है और इन धब्बों के कारण पत्तियों पर भूरे रंग की परत बन जाती है जो कि पौधे के भोजन निर्माण की प्रक्रिया को बाधित कर देती है।
- प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होने के कारण पौधे भोजन का निर्माण नहीं कर पाते हैं जिसके कारण पौधे का विकास भी सही से नहीं हो पाता है एवं पौधा समय से पूर्व सूख जाता है।
रासायनिक उपचार:
एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC@ 300 मिली/एकड़ या मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP@ 600 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार:
स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से हर महीने कर सकते हैं अच्छी कमाई, जानें डिटेल्स
पोस्ट ऑफिस की इस योजना का नाम मासिक आय योजना है। इस योजना के अंतर्गत खाता खोल कर निवेश करने पर हर महीने भुगतान लिया जा सकता है। यह योजना उन लोगों के लिए बहुत अच्छी है, जिनके पास नियमित आमदनी का जरिया नहीं है।
इस योजना के अंतर्गत न्यूनतम 1000 रुपए से अकाउंट खोला जा सकता है। इसमें सिंगल अकाउंट के साथ ही जॉइंट अकाउंट खोलने की भी सुविधा है। सिंगल अकाउंट के लिए अधिकतम निवेश सीमा 4.5 लाख रुपए और जॉइंट अकाउंट के लिए 9 लाख रुपए है। यह अकाउंट 10 साल से ज्यादा उम्र के किसी भी व्यक्ति द्वारा खुलवाया जा सकता है।
स्रोत: एशिया न्यूज़ डॉट कौम
Shareगेहूँ की फसल में खरपतवार का प्रबंधन कर नुकसान से बचें
- गेहूँ की फसल को खरपतवार भारी नुकसान पहुंचाते हैं। वे सीधे मिट्टी और पौधे से पोषक तत्वों और नमी की आवश्यकता को पूरा करते हैं।
- इस प्रकार प्रकाश और स्थान के लिए फसल के साथ खरपतवार प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे फसल की पैदावार कम हो जाती है।
- बथुआ (चेनोपोडियम एल्बम), गेहूँ का मामा (फलारिस माइनर), जंगली जई (एवेना फटुआ), प्याज़ी पियाजी (एस्फोडेल टेन्यूफोलियस) आदि गेहूँ के खेतों में गंभीर समस्या पैदा करते हैं। इनके अतिरिक्त दुब (सिनोडोन डाइक्टाइलोन) एक प्रमुख बारहमासी खरपतवार है।
इन खरपतवारों के नियंत्रण के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग बहुत आवश्यक होता है।
- 2,4-D अमाइन साल्ट 58% @ 400 मिली/एकड़ का छिड़काव बुआई के 25-30 दिनों में करें।
- मेटसल्फयूरॉन मिथाइल 20% WP @ 8 ग्राम/एकड़ की दर से बुआई के 30 दिनों के अंदर छिड़काव करें। इसके उपयोग के बाद 3 सिंचाई अवश्य करें।
- क्लोडिनाफॉप प्रोपार्गिल 15% + मेटसल्फयूरॉन मिथाइल 1% WP @ 160 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- क्लोडिनाफॉप प्रोपार्गिल 15% WP @ 160 ग्राम/एकड़ की दर से 30-35 दिनों में छिड़काव करें।
किसानों के खातों में पहुँचने लगी है पीएम किसान की सातवीं क़िस्त, चेक करें अपना स्टेटस
1 दिसंबर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में 7वीं किस्त के 2000 रुपये आने शुरू हो गए हैं। गौरतलब है कि पीएम किसान योजना के तहत केंद्र सरकार देश के किसानों को आर्थिक मदद करने के लिए हर साल 6,000 रुपये प्रदान करती है। ये पैसे किसानों के खाते में तीन किस्तों में भेजे जाते हैं। सरकार अभी तक किसानों के खातों में छह किस्तों का पैसा भेज चुकी है। इसकी सातवीं किस्त अब किसानों के खातों में जा रही है।
अगर किसी किसान ने इस योजना से रजिस्ट्रेशन करवाया है पर उसके खाते में रकम नहीं पहुंची है तो वो अपना स्टेटस ऑनलाइन माध्यम से चेक कर सकता है।
अपना स्टेटस चेक करने के लिए :
- योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थति दिखाई देगा। अब आप उस पर क्लिक कर दें।
- लाभार्थी की स्थति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।
- इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।
- अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।