- थ्रिप्स कीट के शिशु एवं वयस्क रूप तरबूज के पौधों की पत्तियों को खुरचकर रस चूसते हैं। पौधे के कोमल डंठल, कलियों व फूलों पर इसका प्रकोप होने पर ये टेढी मेढी हो जाती हैं। इसके प्रभाव के कारण पौधे छोटे रह जाते हैं।
- इसके नियंत्रण हेतु लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% एस सी @ 400 मिली/एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।
- कीटनाशक को 15 दिनों के अंतराल में बदलकर उपयोग करें।
18 मार्च से मध्य प्रदेश के कई जिले में हो सकती है बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत के कई क्षेत्रों में काफी गर्मी बढ़ रही है। तापमान 37-38 डिग्री के आसपास चल रहा है। हालांकि इन क्षेत्रों का तापमान 40 डिग्री पार कर चुका था पर अब थोड़ी सी राहत मिली है।
उम्मीद है कि 18 मार्च से राजस्थान के पूर्वी जिलों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के दक्षिणी जिलों और विदर्भ जैसे इलाकों में बारिश की गतविधियां बढ़ने कि संभावना है। इसके साथ ही तेज हवाएं चलेगी और बिजली की चमक भी दिखाई देगी।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareहोली के पहले किसानों को मिलेगा तोहफा, आएगी पीएम किसान योजना की आठवीं क़िस्त
केंद्र सरकार द्वारा किसानों को समृद्ध बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक मुख्य योजना है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना। यह योजना के माध्यम से किसानों की आर्थिक मदद दी जाती है। इस योजना के तहत हर साल 3 किस्तों में 6000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है और किसानों के बैंक खाते में 2000-2000 रुपए की तीन किस्त भेजे जाते हैं।
बता दें कि, इस बार होली के त्यौहार से पहले किसानों के खाते में 2000 रूपए की आठवीं क़िस्त भेज दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत 12 मार्च 2021 तक कुल 11.71 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं। इस योजना के तहत सरकार उन किसानों के नाम लाभार्थियों की सूची से हटाने की भी तैयारी कर रही है जो फायदा लेने के लिए पात्र नहीं हैं।
इस योजना के अंतर्गत अपना नाम चेक करने के लिए पी.एम. किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.nic.in के फार्मर कार्नर पर क्लिक करना होगा। इसके बाद बेनेफिशरी स्टेटस पर क्लिक करें। इससे एक नया पेज खुलेगा, यहाँ आप अपना आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक नंबर डाल कर अपना स्टेटस चेक कर सकते हैं।
स्रोत: न्यूज़ 18
Shareमूंग की 15-20 दिनों की फसल अवस्था में जरूर अपनाएँ ये फसल प्रबंधन उपाय
- मूंग की 15 -20 दिनों की फसल अवस्था में कीट प्रकोप, कवक रोगों का प्रकोप एवं वृद्धि व विकास से संबंधित समस्या आ सकती है।
- इन सभी समस्या के निवारण के लिए मूंग की इस फसल अवस्था में फसल प्रबंधन के उपायों को अपनाना बहुत आवश्यक होता है।
- कीट प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से कवक रोगों के नियंत्रण के लिए छिड़काव करें।
- कवक रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- अच्छी फसल वृद्धि एवं विकास के लिए विगरमैक्स जेल @ 400 ग्राम/एकड़ + 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
इंदौर की मंडी में 15 मार्च को क्या रहे प्याज, लहसुन, आलू के भाव?
| फसल | किस्म | न्यूनतम | अधिकतम |
| प्याज | सुपर | 1400 | 1600 |
| प्याज | एवरेज रेड | 1100 | 1350 |
| प्याज | गोलटा | 900 | 1200 |
| प्याज | गोलटी | 600 | 900 |
| प्याज | छाटन | 400 | 800 |
| लहसुन | सुपर ऊटी | 4300 | 5500 |
| लहसुन | सुपर देसी | 3500 | 4300 |
| लहसुन | लड्डू देसी | 2300 | 3400 |
| लहसुन | मीडियम | 1500 | 2500 |
| आलू | चिप्सोना | 900 | 1200 |
| आलू | ज्योति | 1100 | 1350 |
| आलू | गुल्ला | 500 | 900 |
| आलू | छाटन | 500 | 850 |
मूंग की फसल में खरपतवार प्रबंधन कैसे करें?
- मूंग प्रमुख दलहनी फसलों में शामिल है एवं कम समय में अच्छा उत्पादन देने वाली फसल है।
- मध्य प्रदेश के कई जिले में मूंग की खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है।
- मूंग की बुआई के बाद लगभग 20 से 30 दिन तक किसान को खरपतवारों पर खास ध्यान देना चाहिए।
- ऐसा इसलिए क्योंकि शुरुआती दौर में खरपतवार फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
- मूंग की फसल में किसान पेन्डीमिथालीन 38.7 CS@ 700 मिली/एकड़ की दर से पूर्व उद्भव खरपतवारनाशी के रूप में उपयोग करें।
आने वाले 3-4 दिनों में इन राज्यों में हो सकती है बारिश, जानें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान
पिछले कुछ दिन चले बारिश के दौर के खत्म होने के बाद अब मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्र में गर्मी फिर से बढ़ने लगी है और आने वाले दिनों में भी इन क्षेत्रों में मौसम के शुष्क बने रहने की संभावना है।
इसके अलावा बात करें राजधानी दिल्ली की तो यहाँ के मौसम में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। यहाँ तापमान कभी कम तो कभी ज्यादा हो रही है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ साथ रुक-रुक कर बारिश हो रही है। इस बर्फबारी का असर देश के अन्य क्षेत्रों में भी दिख रहा है। इसी असर के कारण देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में आने वाले 3-4 दिनों में तेज बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareइस योजना से किसानों को हर महीने मिलेगा 3 हजार रुपए का पेंशन
भारत सरकार द्वारा किसानों के समृद्धि के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना जो सितंबर 2019 में शुरू हुई थी। इस योजना के माध्यम से वित्त वर्ष 2021-22 तक लगभग 5 करोड़ लाभार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत पात्र किसान भाइयों को हर महीने 3 हजार रुपए की पेंशन दी जाती है। अगर किसी किसान की उम्र 60 साल की है तो उन्हें पीएम किसान योजना के तहत हर साल 6 हजार रुपए तो मिलेंगे हीं और इसके अलावा हर महीना 3 हजार रुपए की पेंशन भी दी मिलेगी।
बता दें की किसान मानधन योजना के अंतर्गत छोटे और सीमांत किसान भाइयों को लाभ दिया जाएगा। वैसे किसान जो 18 से 40 साल की उम्र के बीच के हैं वे इस योजना में पंजीकरण करवाने के लिए पात्र होंगे। पीएम किसान मानधन योजना के तहत अब तक कुल 21,20,310 किसान भाइयों ने अपना पंजीकरण करवाया है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareतरबूज की फसल में 30-35 दिनों में ये छिड़काव जरूर करें
- तरबूज की फसल में 30-35 दिनों की अवस्था में फूल बनने की शुरुआत होती है।
- इस अवस्था में कीट प्रकोप के रूप में थ्रिप्स, एफिड, लीफ माइनर जैसे रस चूसक कीटों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
- कवक एवं जीवाणु जनित रोगों के रूप में पत्ती झुलसा रोग, जड़ गलन, तना गलन जैसे रोगों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
- लीफमाइनर के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC@ 150 मिली/एकड़ उपयोग करें।
- एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
- इन दोनों प्रकार के कीटों के जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 500 ग्राम/एकड़ सभी प्रकार के कवक रोगों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
- कवक जनित रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
फैट और कोलेस्ट्रॉल-फ्री कड़कनाथ मुर्गे मध्यप्रदेश के झाबुआ की हैं पहचान
- ज्ञात हो कि कड़कनाथ मुर्गा मध्यप्रदेश के झाबुआ की पहचान है।
- इन मुर्गों को कालीमासी के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत सरकार से कड़कनाथ को जीआई टैग भी मिल चुका है।
- यह मुर्गा काले रंग, काले खून, काले हड्डी और काले मांस के साथ लजीज स्वाद के लिए पहचाना जाता है।
- यह मुर्गा फैट और कोलेस्ट्रॉल-फ्री भी होता है।
- कड़कनाथ में आयरन एवं प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जबकि कॉलेस्ट्राल और फैट की मात्रा अन्य प्रजाति के मुर्गों से काफी कम पाई जाती है।
- बाजार में इसका रेट अन्य प्रजातियों के मुर्गों से काफी अधिक होता है।
