देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं? |
|||
मंडी |
फसल |
न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में) |
अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में) |
लखनऊ |
प्याज़ |
9 |
10 |
लखनऊ |
प्याज़ |
10 |
11 |
लखनऊ |
प्याज़ |
12 |
14 |
लखनऊ |
प्याज़ |
15 |
17 |
लखनऊ |
प्याज़ |
11 |
13 |
लखनऊ |
प्याज़ |
16 |
17 |
लखनऊ |
प्याज़ |
17 |
18 |
लखनऊ |
लहसुन |
10 |
– |
लखनऊ |
लहसुन |
20 |
24 |
लखनऊ |
लहसुन |
25 |
30 |
लखनऊ |
लहसुन |
35 |
40 |
लखनऊ |
आलू |
14 |
16 |
लखनऊ |
अदरक |
28 |
– |
लखनऊ |
आम |
28 |
35 |
लखनऊ |
अनन्नास |
25 |
30 |
लखनऊ |
मोसम्बी |
30 |
32 |
लखनऊ |
हरा नारियल |
36 |
40 |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
14 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
12 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
14 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
19 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
20 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
22 |
– |
गुवाहाटी |
लहसुन |
22 |
27 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
34 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
34 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
23 |
26 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
27 |
33 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
34 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
जयपुर |
अनन्नास |
52 |
55 |
जयपुर |
सेब |
105 |
– |
जयपुर |
नींबू |
28 |
29 |
जयपुर |
आम |
32 |
35 |
जयपुर |
नींबू |
40 |
– |
जयपुर |
नींबू |
40 |
– |
जयपुर |
अदरक |
30 |
– |
जयपुर |
हरा नारियल |
35 |
– |
जयपुर |
आलू |
13 |
15 |
वाराणसी |
आलू |
15 |
16 |
वाराणसी |
अदरक |
38 |
40 |
वाराणसी |
आम |
30 |
40 |
वाराणसी |
आम |
45 |
50 |
वाराणसी |
आम |
35 |
36 |
वाराणसी |
अनन्नास |
20 |
30 |
वाराणसी |
प्याज़ |
10 |
– |
वाराणसी |
प्याज़ |
12 |
14 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
15 |
वाराणसी |
प्याज़ |
15 |
16 |
वाराणसी |
प्याज़ |
11 |
– |
वाराणसी |
प्याज़ |
12 |
14 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
15 |
वाराणसी |
प्याज़ |
15 |
16 |
वाराणसी |
लहसुन |
12 |
18 |
वाराणसी |
लहसुन |
15 |
22 |
वाराणसी |
लहसुन |
20 |
30 |
वाराणसी |
लहसुन |
30 |
35 |
रतलाम |
प्याज़ |
3 |
6 |
रतलाम |
प्याज़ |
6 |
9 |
रतलाम |
प्याज़ |
9 |
12 |
रतलाम |
प्याज़ |
10 |
14 |
रतलाम |
लहसुन |
7 |
11 |
रतलाम |
लहसुन |
12 |
21 |
रतलाम |
लहसुन |
20 |
34 |
रतलाम |
लहसुन |
33 |
39 |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
12 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
14 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
10 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
12 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
18 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
18 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
20 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
21 |
– |
गुवाहाटी |
लहसुन |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
33 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
34 |
38 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
38 |
42 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
34 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
अदरक |
28 |
30 |
गुवाहाटी |
आलू |
17 |
19 |
गुवाहाटी |
आलू |
21 |
22 |
गुवाहाटी |
नींबू |
48 |
– |
गुवाहाटी |
आम |
35 |
– |
आगरा |
नींबू |
30 |
35 |
आगरा |
कटहल |
10 |
12 |
आगरा |
अनन्नास |
22 |
23 |
आगरा |
तरबूज |
4 |
5 |
आगरा |
आम |
25 |
40 |
आगरा |
नींबू |
45 |
48 |
आगरा |
पत्ता गोभी |
12 |
13 |
आगरा |
शिमला मिर्च |
20 |
25 |
जयपुर |
प्याज़ |
11 |
12 |
जयपुर |
प्याज़ |
13 |
14 |
जयपुर |
प्याज़ |
15 |
16 |
जयपुर |
प्याज़ |
4 |
5 |
जयपुर |
प्याज़ |
6 |
7 |
जयपुर |
प्याज़ |
8 |
9 |
जयपुर |
प्याज़ |
10 |
11 |
जयपुर |
लहसुन |
12 |
15 |
जयपुर |
लहसुन |
18 |
22 |
जयपुर |
लहसुन |
28 |
35 |
जयपुर |
लहसुन |
38 |
45 |
जयपुर |
लहसुन |
10 |
12 |
जयपुर |
लहसुन |
15 |
18 |
जयपुर |
लहसुन |
22 |
25 |
जयपुर |
लहसुन |
30 |
35 |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
10 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
12 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
16 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
18 |
19 |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
10 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
14 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
16 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
18 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
17 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
19 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
17 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
26 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
35 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
38 |
– |
सिलीगुड़ी |
अदरक |
20 |
– |
सिलीगुड़ी |
अनन्नास |
45 |
– |
सिलीगुड़ी |
आम |
40 |
45 |
सिलीगुड़ी |
आम |
40 |
50 |
सिलीगुड़ी |
आलू |
18 |
– |
कानपुर |
प्याज़ |
9 |
– |
कानपुर |
प्याज़ |
12 |
– |
कानपुर |
प्याज़ |
14 |
15 |
कानपुर |
प्याज़ |
19 |
– |
कानपुर |
लहसुन |
10 |
11 |
कानपुर |
लहसुन |
20 |
– |
कानपुर |
लहसुन |
25 |
28 |
कानपुर |
लहसुन |
35 |
38 |
कोलकाता |
आलू |
22 |
– |
कोलकाता |
अदरक |
34 |
– |
कोलकाता |
प्याज़ |
9 |
– |
कोलकाता |
प्याज़ |
12 |
– |
कोलकाता |
प्याज़ |
14 |
– |
कोलकाता |
लहसुन |
16 |
– |
कोलकाता |
लहसुन |
34 |
– |
कोलकाता |
लहसुन |
48 |
– |
कोलकाता |
तरबूज |
16 |
– |
कोलकाता |
अनन्नास |
45 |
55 |
कोलकाता |
सेब |
135 |
145 |
कोलकाता |
आम |
65 |
75 |
कोलकाता |
लीची |
45 |
50 |
कोलकाता |
नींबू |
50 |
60 |
महोगनी की खेती से करें करोड़ों की कमाई, जानें इसके फायदे
कम समय में लाखों की कमाई करने के लिए महोगनी की खेती एक बढ़िया विकल्प है। यह एक ऐसा पेड़ है जिसकी लकड़ी के अलावा पत्ती, फूल, बीज और छाल सभी बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकते हैं। महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक टिकने वाली मानी जाती है, जिस कारण बाजार में इसकी काफी मांग है।
महोगनी पेड़ की उपयोगिता
महोगनी की लकड़ी का इस्तेमाल प्लाईवुड, फर्नीचर, सजावट की चीजें बनाने से लेकर जहाज़ बनाने में किया जाता है। इसके साथ ही इसकी पत्ती और छाल का प्रयोग औषधी के रूप में भी किया जाता है। ये ब्लड प्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह जैसी घातक बीमारियों के खिलाफ काफी असरदार है। इसके अलावा इसकी पत्तियों व छाल से बने तेल का इस्तेमाल मच्छर और कीट भगाने के लिए भी किया जाता है। इस कारण व्यापारिक दृष्टिकोण से भी महोगनी की खेती सबसे बेहतर विकल्प है।
महोगनी की खेती से आमदनी
एक बार में महोगनी के 1200 से 1500 पेड़ लगाकर किसान भाई करोड़ों की कमाई कर सकते हैं। महोगनी का पेड़ 12 से 15 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। जिसकी लकड़ियों को 2000 से 2200 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से थोक में आसानी से बेचा जा सकता है। इसके साथ ही महोगनी के बीज और फूल को बाजार में बेचकर बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है।
स्रोत : आज तक
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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे चने के भाव?
मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे छिंदवाड़ा, देवास, खंडवा, खातेगांव, धार और मनावर आदि में क्या चल रहे हैं चने के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में चना के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
खंडवा |
3600 |
4201 |
भीकनगांव |
4000 |
4200 |
सनावद |
4060 |
4740 |
धार |
3500 |
4575 |
मनावर |
4100 |
4100 |
खाचरौद |
4061 |
4061 |
खातेगांव |
3120 |
4349 |
अशोकनगर |
4030 |
4503 |
कटनी |
4340 |
4539 |
छिंदवाड़ा |
4000 |
4390 |
गैरतगंज |
4200 |
4450 |
बेगमगंज |
3700 |
4390 |
लटेरी |
4155 |
4375 |
खिरकिया |
3700 |
4316 |
टिमरनी |
3870 |
4241 |
स्रोत: मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपने चना जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
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विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
आष्टा |
150 |
1202 |
बदनावर |
500 |
1600 |
बड़वाह |
850 |
1250 |
देवास |
200 |
500 |
हरदा |
600 |
800 |
कालापीपल |
110 |
1250 |
खंडवा |
300 |
1000 |
मनावर |
900 |
1100 |
मन्दसौर |
200 |
1315 |
पिपरिया |
400 |
1400 |
रतलाम |
370 |
1521 |
सैलान |
199 |
1303 |
सांवेर |
900 |
1200 |
शुजालपुर |
500 |
1401 |
सिंगरोली |
1000 |
1000 |
स्रोत: एगमार्कनेट
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विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अजयगढ़ |
1900 |
1915 |
आलमपुर |
1950 |
1980 |
अमरपाटन |
1900 |
2100 |
आष्टा |
2042 |
2391 |
आष्टा |
2040 |
2525 |
आष्टा |
2561 |
2702 |
आष्टा |
1801 |
1878 |
आष्टा |
1925 |
1991 |
बड़नगर |
1850 |
2300 |
बड़नगर |
1856 |
2250 |
बदनावर |
1800 |
2445 |
बड़वाह |
1987 |
2100 |
बकतरा |
2000 |
2019 |
बेरछा |
2050 |
2050 |
भानपुरा |
2015 |
2015 |
भीगनगांव |
1885 |
2148 |
बीना |
1800 |
2105 |
बुरहानपुर |
1965 |
2098 |
छिंदवाड़ा |
1870 |
2160 |
गदरवाड़ा |
1600 |
1898 |
गोरखपुर |
1800 |
1850 |
हरपालपुर |
1890 |
2000 |
कालापीपल |
1850 |
1950 |
कालापीपल |
1800 |
1920 |
कालापीपल |
1850 |
2110 |
करेरा |
1980 |
2115 |
करही |
1980 |
2030 |
खनियाधाना |
1805 |
1920 |
खरगोन |
1900 |
2188 |
खातेगांव |
1820 |
2130 |
खुजनेर |
1750 |
1915 |
कोलारस |
1868 |
1951 |
लटेरी |
1700 |
1975 |
लटेरी |
2380 |
2380 |
लटेरी |
2000 |
2115 |
मन्दसौर |
1850 |
2191 |
पचौर |
1800 |
2200 |
पन्ना |
1840 |
1880 |
पथरिया |
1810 |
1914 |
पवई |
1900 |
1900 |
रतलाम |
2020 |
2401 |
रतलाम |
2570 |
2570 |
सनावद |
1814 |
2075 |
सांवेर |
1805 |
2022 |
सेमरी हरचंद |
1625 |
1965 |
शाहगढ़ |
1870 |
1912 |
श्योपुरबडोद |
1860 |
1960 |
सिमरिया |
1750 |
1850 |
सिंगरोली |
1850 |
1850 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। जानकारी पसंद आये तो लाइक और शेयर जरूर करें।
अब गोबर से भी होगी बढ़िया आमदनी, पशुपालकों के लिए हुई खास योजना लागू
राजस्थान सरकार ने प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ‘देवनारायण पशुपालक योजना’ की शुरूआत कर दी है। इस अनूठी योजना के तहत 501 आवासों का आंवटन किया गया है। इस योजना के लिए करीब 300 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं, जिसमें 15 हजार मवेशियों के रहने की व्यवस्था की गई है।
पशुपालकों के लिए क्या है खास ?
इस योजना की खास बात यह है कि यहां रहने वाले पशुपालक दूध के अलावा अब गोबर भी बेच सकेंगे। इसके लिए पशुपालकों को एक रूपए प्रति किलो गोबर के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। इसके साथ ही डेयरी व्यवसाय के लिए भी यहां विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट, बायोगैस प्लांट, पशु चिकित्सा और पशु मेला मैदान की व्यवस्था की गई है, ताकि पशुपालकों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
इसके साथ ही पशुपालकों और उनके परिवार के सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास के लिए यहां पर सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके अंतर्गत अंग्रेजी माध्यम स्कूल, चिकित्सालय, दुग्ध मंडी, हाट बाजार, आवागमन के लिए बस, सोसाइटी कार्यालय और पुलिस चौकी का निर्माण किया गया है।
स्रोत: टीवी9भारतवर्ष
Shareकृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
जानिए, टमाटर की फसल में स्टेकिंग (सहारा देने की विधि) आवश्यकता क्यों?
टमाटर का पौधा एक तरह की लता होती है, जिसके कारण पौधे फलों का भार सहन नहीं कर पाते हैं और नमी की अवस्था में मिट्टी के संपर्क में रहने से सड़ जाते हैं। जिस कारण से फसल नष्ट हो जाती हैं। इससे किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही पौधे के नीचे गिरने से कीट और बीमारी भी अधिक लगती हैं। इसलिए टमाटर को नीचे गिरने से बचाने के लिए तार से बांध कर सुरक्षित रखते हैं।
मेड़ के किनारे-किनारे दस फीट की दूरी पर दस फीट ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते हैं। इन डंडों पर दो-दो फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांधा जाता है। उसके बाद पौधों को सुतली की सहायता से उन्हें तार से बांध दिया जाता है जिससे ये पौधे ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इन पौधों की ऊंचाई आठ फीट तक हो जाती है, इससे न सिर्फ पौधा मज़बूत होता है, फल भी बेहतर होता है। साथ ही फल सड़ने से भी बच जाता है।
स्टेकिंग लगाने का तरीका और फायदे:-
👉🏻 स्टेकिंग करने के लिए, मेड़ के किनारे-किनारे 10 फीट की दूरी पर 10 फीट ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते है।
👉🏻इन डंडे पर 2-2 फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांध दिया जाता है। उसके बाद पौधों को सुतली की सहायता से उन्हें तार से बांध दिया जाता है, जिससे ये पौधे ऊपर की और बढ़ते हैं।
👉🏻पौधों की ऊंचाई 5-8 फीट तक हो जाती हैं, इससे न सिर्फ पौधा मजबूत होता है, बल्कि फल भी बेहतर होता है। साथ ही फल सड़ने से भी बच जाता है। इस विधि से खेती करने पर पारम्परिक खेती की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है।
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आज कई क्षेत्रों में भारी बारिश का अनुमान, देखें मौसम पूर्वानुमान
मुंबई और उसके आसपास के भागों में 23 जून को भारी बारिश का अनुमान है जो 24 या 25 जून तक जारी रह सकता है। अगले 24 घंटों के बाद पूरे उत्तर भारत सहित मध्य भारत के अधिकांश भागों में मौसम शुष्क हो जाएगा तथा पश्चिम दिशा से हवाएं चलेंगी। मानसून अगले कुछ दिनों के दौरान आगे नहीं बढ़ेगा परंतु 27 या 28 जून से एक बार फिर प्रगति कर सकता है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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एरोपोनिक पद्धति से केसर की खेती करके किसान कमा रहे लाखों रूपए
केसर का पौधा दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। इसकी खेती करके किसान भाई प्रतिवर्ष लाखों की कमाई कर सकते हैं। हालांकि भारत में इसकी खेती खासतौर पर जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में की जाती है, लेकिन हरियाणा के इन दो किसानों ने अपने दस गज के कमरें में केसर की खेती करके एक नई मिसाल कायम कर दी है।
दरअसल हिसार के दो किसान प्रवीण और नवीन सिंधु मिलकर एरोपोनिक पद्धति के जरिए केसर की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं। बता दें कि ईरान में इस पद्धति की मदद से घरों में केसर की खेती की जाती है। दोनों किसान भाईयों ने इंटरनेट की मदद से जानकारियां जुटाकर केसर की खेती शुरू की। अब वे दोनों मिलकर प्रतिवर्ष 8 से 9 लाख रूपए की कमाई कर रहे हैं।
एरोपोनिक पद्धति से केसर की खेती
इसके लिए उन्होंने शीशे की रैक में ऊपर-नीचे दोनों ओर केसर के बीज लगाए। केसर के पौधों को ठंडक की जरूरत होती है, इसलिए खेती वाले कमरे में एसी लगवाया गया। इसके लिए दिन का तापमान 17 डिग्री और रात में तापमान 10 डिग्री होना चाहिए। इसके साथ ही केसर की खेती के लिए 80 से 90 डिग्री ह्यूमिडिटी होनी चाहिए। इसके अलावा सूरज की तिरछी रोशनी कमरे में आनी भी जरूरी है। दोनों किसान भाई एरोपोनिक पद्धति की मदद से लाखों रूपए का मुनाफा कमा रहे हैं, साथ ही दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रहे हैं।
स्रोत: आज तक
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खरीफ फसलों के MSP मूल्य जारी, जानें किस पर मिलेगा कितना भाव
देश में खरीफ फसल की तैयारियां शुरू होने वाली हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने बुवाई से पहले ही इन फसलों का समर्थन मूल्य जारी कर दिया है, ताकि किसान भाई फसलों के भाव के अनुसार खेती का चयन कर सकें। जारी किए गए आकड़ों के अनुसार 2022-23 की खरीफ फसलों पर समर्थन न्यूनतम मूल्य में बढ़िया वृद्धि की गई है। नीचे सभी खरीफ फसलों की एमएसपी और लागत से मिलने वाले मुनाफे के बारें में जानकारी दी गई है।
फसल |
2022-23 के लिए MSP (रूपए प्रति क्विंटल) |
पिछले साल से MSP में वृद्धि (रूपए) |
लागत पर मुनाफा (रूपए) |
धान (सामान्य) |
2,040 |
100 |
50 |
धान (ग्रेड ए) |
2,060 |
100 |
– |
ज्वार (हाईब्रिड) |
2,970 |
232 |
50 |
ज्वार (मालदंडी) |
2,990 |
232 |
– |
बाजरा |
2,350 |
100 |
85 |
रागी |
3,578 |
201 |
50 |
मक्का |
1,962 |
92 |
50 |
तूर (अरहर) |
6,600 |
300 |
60 |
मूंग |
7,755 |
480 |
50 |
उड़द |
6,600 |
300 |
59 |
मूंगफली |
5,850 |
300 |
51 |
सूरजमुखी बीज |
6,400 |
385 |
56 |
सोयाबीन (पीला) |
4,300 |
350 |
53 |
तिल |
7,830 |
523 |
50 |
रामतिल |
7,287 |
357 |
50 |
कपास (मध्यम रेशा) |
6,080 |
354 |
50 |
कपास (लंबा रेशा) |
6,380 |
355 |
– |
फसलों की इन लागतों पर मिल रहा मुनाफा
केंद्र सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार एमएसपी में इस बार फसल लागत को भी शामिल किया गया है। जिसमें मानव श्रम, पशु श्रम, मशीन श्रम, बीज, उर्वरक, खाद एवं पट्टे पर ली गई ज़मीन का किराया,बिजली खर्च जैसी खेती में होने वाले महत्वपूर्ण खर्चों को जोड़ा गया है। इसकी मदद से किसान भाईयों को 50% से 85% का मुनाफा प्राप्त होगा।
स्रोत: कृषि समाधान
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