ग्रामोफ़ोन की सलाह ने किसान को कपास की खेती से दिलवाया डबल प्रॉफिट

भारत की भूमि काफी उपजाऊ है और शायद इसीलिए भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है। किसान भाइयों को उचित मार्गदर्शन मिले तो इसी उपजाऊ भूमि से 100% तक लाभ उठाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही लाभ ग्रामोफ़ोन के द्वारा मिले मार्गदर्शन से बड़वानी के किसान भाई श्री शिव कुमार चौहान ने उठाया।

ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर शिव कुमार ने कपास की उन्नत खेती की और फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त किया। इस उत्पादन से उन्हें कुल 22 लाख रूपये की कमाई हुई। यहाँ आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की इससे पहले कपास की खेती से इनकी कमाई 11 लाख तक ही रहती थी। पर ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ाव और कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन ने कमाई को एक ही साल में दोगुना कर दिया।

ग़ौरतलब है की कपास की खेती के दौरान शिव कुमार ने कई बार ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली और साथ ही बीज, उर्वरक और दवाइयाँ भी मंगाई। आखिर में जब उन्होंने उत्पादन देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए। उनका उत्पादन तो दोगुना हुआ ही साथ ही साथ उनकी उपज की क्वालिटी भी पहले से काफी बेहतर थी।

आज शिव कुमार ग्रामोफ़ोन को धन्यवाद करते हुए सभी किसानों को ग्रामोफ़ोन से जुड़ने की सलाह देते हैं ताकि उनकी ही तरह अन्य किसान भी लाभ उठा पाएं और अपनी कृषि को उन्नत कर पाएं।

आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ कर अपनी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल कर सकते हैं या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन कर सकते हैं।

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ऑपरेशन ग्रीन के तहत 500 करोड़ का प्रावधान, जानें किन किसानों को मिलेगा फायदा

Provision of 500 crores under Operation Green, know which farmers will benefit

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। इस बड़े पैकेज़ का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगाया जाने वाला है जिसकी घोषणा बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। इसी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि ऑपरेशन ग्रीन को और ज्यादा बढ़ावा दिया जाएगा।

बता दें की इस योजना के अंतर्गत पहले टमाटर, प्याज और आलू आते थे पर अब इसके अंतर्गत बाकी सभी फल और सब्जियों को भी लाया जाएगा। इसके अलावा इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया जाएगा जो बहुत सारे किसानों को लाभ पहुँचाएगा।

इस योजना से जो खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं उन्हें बचाया जा सकेगा साथ ही साथ किसानों को विपरीत परिस्थितियों में कम मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ेगी। इस योजना के अंतर्गत सभी फल सब्जियों के परिवहन पर 50% और स्टोरेज पर भी 50% की सब्सिडी दी जाएगी।

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क्या अम्फान का मानसून पर भी होगा असर, वैज्ञानिकों में मतभेद, जानें कब आएगा मानसून

Will Amphan effect the monsoon, differences in scientists, know when monsoon will come

अंफन (अम्फान) चक्रवात इस सदी के पहले सुपर साइक्लोन में परिवर्तित हो गया है और इसके कारण भारत के पूर्वी हिस्से में भीषण बरसात और तूफानी हवाएं चलीं। इस सुपर साइक्लोन का कितना असर आने वाले मानसून पर पड़ेगा इसको लेकर मौसम वैज्ञानिकों के बीच थोड़े मतभेद हैं।

जहाँ कुछ मौसम वैज्ञानिकों ने इस तूफ़ान की वजह से मानसून के आगमन में 4 दिन के देरी की संभावना व्यक्त की थी वहीं मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के वैज्ञानिकों का मनना है कि मॉनसून इस साल भी अपनी रफ्तार पर रहेगा और तय तारीख 1 जून से दो दिन पहले यानी 28 मई को केरल तट पर दस्तक देगा।

स्काइमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने इस विषय पर कहा की, “दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अंडमान सागर और आसपास के इलाकों में अपने समय से 5 दिन पहले पहुंच चुका है। इसको केरल के तट पर पहुंचने में अमूमन 10 दिन और लगते हैं। हालांकि, अंडमान सागर और केरल में मॉनसून के आगमन का देश के बाकी हिस्सों में आने से संबंध नहीं है।”

स्रोत: आजतक

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जानें क्या है हर्बल खेती जिसे आत्मनिर्भर पैकेज से मिलेंगे 4000 करोड़ रुपये

Know what is herbal farming which will get 4000 crores from Aatm Nirbhar Bharat Package

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। इस बड़े पैकेज़ का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगाया जाने वाला है जिसकी घोषणा बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। सरकार कृषि के अंतर्गत आने वाले हर छोटे बड़े क्षेत्र पर बड़ी रकम खर्च करने जा रही है। इसी कड़ी में सरकार की तरफ से हर्बल खेती के क्षेत्र में 4000 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई है।

क्या है हर्बल खेती?
हर्बल खेती के अंतर्गत किसान उन पौधों की खेती करते हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों और पर्सनल केयर उत्पाद बनाने में होता है। इसके अंतर्गत अश्वगंधा, तुलसी, एलोवेरा, अतीश, कुठ, कुटकी, करंजा, कपिकाचु, शंखपुष्पी आदि जैसे औषधीय पौधों की खेती होती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हर्बल खेती की चर्चा करते हुए बताया कि इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए 4000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। उन्होंने बताया की अगले दो साल में 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर हर्बल फ़सलों की खेती की जाएगी।

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महातूफान अम्फान से हो सकती है बारिश और ओलावृष्टि, किसान बरतें ये सावधानियां

Amphan Cyclone may cause rain and hailstorm, farmers should take these precautions

बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान अम्फान ने सोमवार को बेहद विकराल रूप ले लिया है। करीब 195 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्र रफ्तार से यह तूफान 20 मई की शाम को पश्चिम बंगाल के तट पर दस्तक देगा। इसका प्रभाव पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों में भी देखने को मिल सकता हैं।

हालांकि मध्यप्रदेश तक पहुँचते पहुँचते तूफान की रफ्तार घटकर 35 से 40 किमी प्रति घंटा रह जाएगी परन्तु इसके बाद भी तेज हवा चलने के साथ बारिश और ओलावृष्टि की संभावना बनी रहेगी। मौसम विभाग का मानना है कि अगले 24 घंटे में यह तूफान मध्यप्रदेश में दस्तक देगा।

बहरहाल 35 से 40 किमी प्रति घंटा वाली तेज हवा के साथ बारिश और ओले कृषि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ग़ौरतलब है की आजकल भारी मात्रा में कृषि उपज मंडी और खरीदी केंद्रों पर पहुँच रही है। खरीदी केंद्रों पर इन दिनों हजारों क्विंटल गेहूं खुले में रखा है जिसे नुकसान हो हो सकता है। साथ तेज हवा के साथ बारिश होने से प्याज सहित अन्य सब्जियों को भी नुकसान हो सकता है।

चक्रवात के असर को देखते हुए किसान बरतें ये सावधानियां 

  • ग्रीष्म मूंग की फसल के पकने की अवस्था पर तुरंत कटाई शुरू कर दें या जल  निकास के उचित प्रबंधन के लिए पास में एक फीट गहरी नाली खोद दें ताकि पानी खेत में ज्यादा देर तक ना ठहरे और ज़मीन जल्दी सुख जाए।
  • बारिश होने के बाद या पहले डीकम्पोजर के रूप में 4 किलो स्पीड कम्पोस्ट और 45 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में बिखेर दें ताकि फसल अवशेष जल्दी से सड़ कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सके।
  • जहाँ मूंग/उड़द की फसल हरी अवस्था में है वहां इस तूफान के बाद आसमान साफ़ होने पर रोगों से बचाव के लिए 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 250 मिली एजॉक्सीस्ट्रोबीन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3 SC या 300 ग्राम क्लोरोथेलोनिल 75 WP नामक दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
  • इल्ली दिखाई देने पर मूंग/उड़द की फसल 100 मिली लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरेन्थानिलीप्रोल 9.3% ZC दवा को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ छिड़काव कर दें। 
  • फसल कटाई के बाद उपज को खुले खेत में न रखकर किसी छपरे, कमरे, गोदाम अथवा ऐसी जगह रखें जहाँ बारिश का पानी न आये तथा आसमान साफ होने पर तेज धुप में इन्हे सूखा लें ताकि नमी से मूंग/उड़द के दाने खराब न हों। 
  • कपास और मिर्च की नर्सरी में भी जल निकास का उचित प्रबंधन करें ताकि खेत में पानी ज्यादा देर तक न रुक सके।
  • आसमान के साफ़ होने पर कपास और मिर्च नर्सरी में कवकनाशी (फफूंदनाशी) का प्रयोग करें। जिसमें 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP नाम की दवा को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। और कीट आक्रमण न हो इसके लिए 100 ग्राम थायोमेथोक्सोम 25% WG  या 100 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% SP प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
  • सब्जियों के खेत में भी जल निकास का अच्छा प्रबंधन कर लें और रोग से बचाव के लिए 300 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 250 मिली एजॉक्सीस्ट्रोबीन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3 SC या 300 ग्राम क्लोरोथेलोनिल 75 WP नामक दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें। 
  • सब्जियों की फसल में इल्ली दिखाई देने पर 100 मिली लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरेन्थानिलीप्रोल 9.3% ZC दवा को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर दें।
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मध्यप्रदेश में टिड्डी दल की दस्तक, फ़सलों को हो सकता है भारी नुकसान, बरतें सावधानियां

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

फ़सलों का सबसे बड़ा दुश्मन टिड्डी दल राजस्थान से अब मध्यप्रदेश आने लग गया है। यह जानकारी मंदसौर के कृषि कल्याण विभाग के उप संचालक अजीत राठौर ने दी है। बता दें की मध्यप्रदेश के नीमच जिले में इसका प्रकोप फ़सलों पर देखने को मिलने लग गया है।

बता दें की ये टिड्डियां फ़सलों की हरी पत्तियों को तुरंत खा जाती है। ये टिड्डियां एक साथ बहुत अधिक मात्रा में हमला करती हैं और फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचाती हैं।

ये टिड्डियां दिन में इधर उधर उड़ती रहती है और रात में बैठती है। टिड्डी दल के प्रकोप से बचने के लिए अजीत राठौर ने सभी किसानों से अनुरोध किया है, कि अगर वे टिड्डियों को एक साथ झुंड में अपने खेतों में बैठते हुए शाम के समय देखें तो रात के समय ही खेत में कल्टीवेटर चला दे। इसके अलावा उन्होंने बताया की कल्टीवेटर के पीछे खंबा, लोहे की पाइप या ऐसी ही कोई अन्य वस्तु बांध के चलाएं। ऐसा करने से पीछे की भूमि पुनः समतल हो जायेगी और टिड्डी उसमें दब कर मर जाएंगे।

बता दें की अगर यह टिड्डियां जिंदा रहेंगी तो खेतों की हरियाली खत्म कर देंगी। यह सारे हरे हरे पत्ते खाकर नष्ट कर देते हैं।

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भारतीय कृषि की आधारभूत संरचना के विकास पर खर्च होंगे एक लाख करोड़ रुपये

One lakh crores will be spent on the development of Indian agricultural infrastructure

भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है और आज भी भारत कई फ़सलों के उत्पादन में पूरी दुनिया में नंबर एक का स्थान रखता है। ऐसा तब है जब भारतीय कृषि क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर यानी आधारभूत ढ़ांचा अन्य विकसित देशों की तरह आधुनिक नहीं है। बहरहाल सरकार अब इसी कृषि के आधारभूत ढांचे को और ज्यादा आधुनिक और विकसित बनाने के लिए अग्रसर होने वाली है।

कोरोना महामारी से उपजे आर्थिक संकट से निपटने के लिए पीएम मोदी द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि‍ के आधारभूत ढाँचे के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये के पैकेज का पिछले शुक्रवार को ऐलान किया है।

एक लाख करोड़ रुपये के इस बड़े पैकेज से देश भर में कृषि क्षेत्र का विकास किया जाएगा। इसके अंतर्गत कोल्ड चेन, वैल्यू चेन विकसित करने में मदद मिलेगी। इसका लाभ किसान उत्पादन संघ, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप आदि को फार्मगेट पर मिल सकेगा।

वित्‍त मंत्री सीतारमण ने पिछले कुछ दिनों में कृषि को लेकर कई बड़ी घोषणाएँ की हैं जो किसानों के मन में नया विश्वास जगा रही हैं। यह घोषणाएँ अगर घरातल पर साकार होती हैं तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी अच्छी रफ़्तार मिल जायेगी।

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म.प्र. में मंडी अधिनियम बदला, किसानों के लिए खुले नए विकल्प, बिचौलियों से मिला छुटकारा

Private mandis will now open in Madhya Pradesh, farmers will benefit from this

किसानों के पास अपनी उपज को बेचने के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं होते हैं और उन्हें सरकारी मंडियों में ही अपना उत्पादन बेचने को मजबूर होना पड़ता है। इस कारण कई बार उन्हें अपनी उपज के लिए अच्छा दाम भी नहीं मिल पाता है। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की इन्हीं परेशानियों को समझ कर अब निजी क्षेत्र में मंडियां और नए खरीदी केंद्र आरंभ करने की घोषणा की है। इस घोषणा के साथ साथ अब प्रदेश में मंडी अधिनियम भी बदल गया है।

मंत्रालय में मंडी नियमों में संशोधन पर चर्चा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘किसान भाइयों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाना सरकार का कर्तव्य है। ऐसा करने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इससे दलालों और बिचौलियों से किसानों को छुटकारा भी मिलेगा। किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए कई विकल्प मिलेंगे। किसान जहां चाहेगा वहां अपनी सुविधानुसार फसल बेच सकेगा।’

स्रोत: मध्यप्रदेश कृषि मंत्रालय

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अब कृषि क्रांति की तरफ बढ़ेगा भारत, वित्तमंत्री ने किये बड़े कृषि सुधारों के ऐलान

Aatm Nirbhar Bharat Package 2 lakh crore gift to farmers, Finance Minister announced

पीएम मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। पिछले तीन दिनों से केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा इस पैकेज से जुड़ा हर ब्योरा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में पिछले दो दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएँ की हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है की देश एक नए कृषि क्रांति की तरफ बढ़ने वाला है।

पिछले दो दिनों में वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र को लेकर कई सकारात्मक घोषणाएँ की हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को उन्होंने देश में कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए एक लाख करोड़ रूपये की घोषणा की है। कृषि क्षेत्र के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के रियायती कर्ज से जुड़ा ऐलान उन्होंने गुरुवार को ही कर दिया था।

आइये समझते हैं कल की घोषणाओं में क्या था ख़ास?

  • सब्जी आपूर्ति के लिए सरकार ऑपरेशन ग्रीन के अंतर्गत किसानों को लाभ प्रदान करेगी। इसमें कृषि उत्पादों के भंडारण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग का काम किया जाएगा।
  • हर्बल खेती पर होगा जोर, इसके लिए सरकार ने 4 हजार करोड़ रुपए की योजना का ऐलान किया है।
  • किसानों को अतिरिक्त आय दिलाने के लिए सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए की योजना पेश की है। इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ होगा।
  • पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार।
  • सरकार डेयरी सेक्टर के अंतर्गत लिए गए ऋण के ब्याज पर 2% की छूट देगी जिससे लाखों- करोड़ों किसानों को फायदा होगा।
  • मछली पालन के क्षेत्र में सरकार 20 हजार करोड़ रुपए की बड़ी आर्थिक मदद देगी।
  • सरकार ने फसल बीमा के लिए भी 64 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया है।
  • फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है।
  • बहरहाल वित्त मंत्री ने यह भी कहा है की अभी कृषि क्षेत्र से जुड़े और भी ऐलान होने बाकी हैं।
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मिला ग्रामोफ़ोन का साथ तो बड़वानी के कपास किसान कालू जी ने पाया दोगुना मुनाफ़ा

कभी कभी जिंदगी में किसी का साथ मिल जाने से जिंदगी जीने का लुत्फ़ दोगुना हो जाता है। कुछ ऐसा ही लुत्फ़ बड़वानी जिले के टिकरी तहसील में स्थित गांव हवोला के रहने वाले किसान श्री कालू जी हम्मड़ को किसानों के सच्चे साथी ग्रामोफ़ोन का साथ मिलने से मिला। दरअसल कालू जी कपास की खेती करते थे और ठीक ठाक कमाई भी करते थे। इसी दौरान वे ग्रामोफ़ोन के सम्पर्क में आये और एक साल ग्रामोफ़ोन की सलाह पर कपास की खेती की।

कपास की खेती के दौरान कालू जी ने कई बार ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली और साथ ही बीज, उर्वरक और दवाइयाँ भी मंगाई। आखिर में जब उन्होंने उत्पादन देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए। उनका उत्पादन दोगुना हो चुका था और उपज की क्वालिटी भी बेहतर थी।

जहाँ पहले उन्हें 2 लाख का मुनाफ़ा होता था वहीं ग्रामोफ़ोन का साथ मिलने के बाद यह मुनाफ़ा दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर साढ़े चार लाख हो गया। यही नहीं, कालू जी की लागत भी पहले से बहुत कम रही। जहाँ पहले कपास की खेती में लागत 40 हजार आती थी वहीं ग्रामोफ़ोन के संपर्क में आने के बाद लागत भी घटकर महज 25 हजार हो गई।

आज कालू जी ग्रामोफ़ोन को धन्यवाद करते हुए सभी किसानों को ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए कहते हैं ताकि वे किसान भी उनकी ही तरह लाभ उठा पाएं।

कालू जी की ही तरह अगर अन्य किसान भाई भी कृषि सम्बन्धी किसी भी समस्या से परेशान हैं या अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं तो इस बाबत ग्रामोफ़ोन के टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल कर कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं।

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