बढ़ेगा किसानों का मुनाफ़ा, खरीफ फ़सलों के समर्थन मूल्य को बढ़ाने की हो रही है तैयारी

कोरोना संकट के बीच किसानों के लिए एक और खुशख़बरी आने वाली है। ख़बरों के अनुसार किसानों को अतिरिक्त लाभ दिलाने के लिए अब केंद्र सरकार खरीफ फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो मुख्य रूप से धान, कपास और दाल जैसी फ़सलों का समर्थन मूल्य बढ़ जाएगा।

इस संबंध में केंद्र सरकार को कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्रइसेज़ (सीएसीपी) ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब इस रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। अगर इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया तो किसानों को फसल का ज्यादा दाम मिलेगा और उनकी आय बढ़ेगी।

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार सीएसीपी ने 17 खरीफ फ़सलों के समर्थन मूल्य को बढ़ाने की सिफारिश की है और इसमें धान सबसे प्रमुख है। सीएसीपी ने धान की एमएसपी को सीएसीपी ने 2.9% बढ़ाकर 1888 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। बता दें की फिलहाल धान की एमएसपी 1815 रुपए प्रति क्विंटल है।

सीएसीपी ने कॉटन की एमएसपी में 260 रुपए प्रति क्विंटल का इज़ाफा करने कि सिफारिश की है। वहीं प्रमुख दालों की भी एमएसपी बढ़ाने की सिफारिश की गई है जिसमें तुअर, उड़द, और मूंग दाल शामिल हैं। इसके अंतर्गत तुअर दाल 200 प्रति क्विंटल, उड़द दाल 300 रुपए प्रति क्विंटल, मूंग दाल 146 रुपए प्रति क्विंटल का इज़ाफा करने को कहा गया है।

स्रोत: कृषि जागरण

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म.प्र में 27 साल बाद टिड्डियों का बड़ा हमला, करोड़ों की मूंग की फसल पर मंडराया ख़तरा

After 27 years in MP, large locust attack, Threat on Moong crop of 8000 crores

फ़सलों का सबसे बड़े दुश्मन टिड्डी दल ने कई सालों बाद इस बार मध्यप्रदेश में ज़ोरदार दस्तक दी है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है की टिड्डियों का इतना बड़ा हमला मध्यप्रदेश में 27 साल बाद हुआ है। यही नहीं अभी इस हमले के मानसून तक जारी रहने की आशंका भी जताई जा रही है।

पाकिस्तान से राजस्थान और राजस्थान से मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले ये टिड्डी दल मालवा निमाड़ होते हुए मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में फ़ैल रहे हैं। इससे बचने के लिए किसान ढोल, थाली, पटाखे ओर स्प्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि ये दल भाग जाएँ।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अगर समय रहते इस समस्या पर नियंत्रण नहीं हो पाता है तो इससे 8000 करोड़ रुपये की मूंग की फसल बर्बाद हो सकती है। यही नहीं इसका खतरा कपास और मिर्च की हाल ही में लगाई गई फसल पर भी बना हुआ है।

बहरहाल इस समस्या से बचने के लिए किसानों को रात के समय अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में निगरानी करनी चाहिए क्योंकि टिड्डी दल शाम 7 से 9 बजे आराम करने के लिए खेतों में बैठते हैं और रात भर में फसल को खूब नुकसान पहुँचाते हैं।

इसके अलावा टिड्डी दल के आने पर खेतों में तेज आवाज़ जैसे थालियां बजाकर , ढोल बजाकर, डीजे बजा कर, खाली टिन के डिब्बे बजाकर, पटाखे फोड़ कर, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर आवाज करके टिड्डी दल को आगे की तरफ भगा सकते हैं।

स्रोत: NDTV

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6000 रुपए के अलावा पीएम किसान स्कीम से होने वाले इन बड़े फ़ायदों का पता है आपको?

PM kisan samman

ये तो हम सब जानते हैं की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर किसानों की 2000-2000 रुपए की तीन किस्तों में 6,000 रुपए सालाना दिए जाते हैं। पर शायद आपको यह पता नहीं होगा की इस योजना से जुड़ने के बाद किसानों को और भी कुछ लाभ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं।

पीएम किसान योजना से जुड़े किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड भी बड़ी आसानी से मिल जाता है। दरअसल पीएम किसान स्कीम से अब किसान क्रेडिट कार्ड को भी जोड़ दिया गया है।

इसके अलावा पीएम किसान योजना से जुड़े किसानों को पेंशन योजना का भी फायदा आसानी से मिल जाता है। ग़ौरतलब है की पेंशन योजना का नाम पीएम किसान मानधन योजना है जिसके लिए आम तौर पर बहुत सारे दस्तावेजों की जरुरत पड़ती है। पर अगर आप पीएम किसान स्कीम से जुड़े हुए हैं तो आपको पेंशन योजना का लाभ उठाने के लिए किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होगी।

स्रोत: ज़ी बिजनेस

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अब महाराष्ट्र, UP सहित कई क्षेत्रों के निर्यातकों से सीधे जुड़ेंगे म.प्र के किसान: कृषि मंत्री श्री कमल पटेल

Now farmers of MP will directly connect with exporters of many states including Maharashtra, UP

मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने मंत्रालय से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये एक बैठक की जिसमे उन्होंने निर्यातकों से सीधी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया की कृषि एवं प्र-संस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के माध्यम से महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश समेत अन्य कई प्रदेशों के 10 से ज्यादा निर्यातकों ने मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादों में दिलचस्पी दिखाई है।

इस बैठक के दौरान निर्यातकों ने मंत्री श्री पटेल से यह अनुरोध किया कि “अगर प्रदेश सरकार उन्हें सुविधाएँ प्रदान करती है तो वे प्रदेश के किसानों से अनुबंध कर अन्य प्रदेशों में कृषि उत्पादों का निर्यात करेंगे।” निर्यातकों के इस अनुरोध पर मंत्री श्री पटेल ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा की “प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान किसानों के हित में निर्णय लेंगे और सरकार आवश्यक सहयोग और सुविधाएँ निर्यातकों को मुहैया कराएगी।”

मंत्री श्री पटेल ने इस दौरान कहा कि “किसानों को उनकी उपज का फायदा पहुँचाने के लिये प्रदेश में सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही है। कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, निर्यात के लिए तय मापदण्डों से अवगत कराने विशेषज्ञ समूह आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं।”

स्रोत: कृषक जगत

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7 करोड़ किसानों को बड़ी राहत, 3 महीने तक कृषि ऋण ना जमा करने की मिली छूट

Gramophone's onion farmer

कोरोना वैश्विक महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले दो महीने से भी ज्यादा वक़्त से देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है। इस लॉकडाउन की वजह से किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पर रहा है। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए अब 7 करोड़ KCC धारक किसानों को बड़ी राहत दी गई है। किसानों द्वारा लिए गए ऋण की अगली क़िस्त जमा करने की तिथि थीं महीने आएगी बढ़ा दी गई है।

बता दें की क़िस्त जमा करने की तिथि को पहले भी एक बार बढ़ा कर 31 मई कर दिया गया था। अब इस बढ़ी हुई तिथि को एक बार फिर तीन महीने के लिए आगे बढ़ा कर 31 अगस्त कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर आप आगामी 3 महीने तक लोन की क़िस्त नहीं भरते हैं तो भी बैंक आप पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं डालेगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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ग्रामोफ़ोन की सलाह ने किसान को कपास की खेती से दिलवाया डबल प्रॉफिट

भारत की भूमि काफी उपजाऊ है और शायद इसीलिए भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है। किसान भाइयों को उचित मार्गदर्शन मिले तो इसी उपजाऊ भूमि से 100% तक लाभ उठाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही लाभ ग्रामोफ़ोन के द्वारा मिले मार्गदर्शन से बड़वानी के किसान भाई श्री शिव कुमार चौहान ने उठाया।

ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर शिव कुमार ने कपास की उन्नत खेती की और फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त किया। इस उत्पादन से उन्हें कुल 22 लाख रूपये की कमाई हुई। यहाँ आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की इससे पहले कपास की खेती से इनकी कमाई 11 लाख तक ही रहती थी। पर ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ाव और कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन ने कमाई को एक ही साल में दोगुना कर दिया।

ग़ौरतलब है की कपास की खेती के दौरान शिव कुमार ने कई बार ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली और साथ ही बीज, उर्वरक और दवाइयाँ भी मंगाई। आखिर में जब उन्होंने उत्पादन देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए। उनका उत्पादन तो दोगुना हुआ ही साथ ही साथ उनकी उपज की क्वालिटी भी पहले से काफी बेहतर थी।

आज शिव कुमार ग्रामोफ़ोन को धन्यवाद करते हुए सभी किसानों को ग्रामोफ़ोन से जुड़ने की सलाह देते हैं ताकि उनकी ही तरह अन्य किसान भी लाभ उठा पाएं और अपनी कृषि को उन्नत कर पाएं।

आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ कर अपनी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल कर सकते हैं या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन कर सकते हैं।

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ऑपरेशन ग्रीन के तहत 500 करोड़ का प्रावधान, जानें किन किसानों को मिलेगा फायदा

Provision of 500 crores under Operation Green, know which farmers will benefit

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। इस बड़े पैकेज़ का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगाया जाने वाला है जिसकी घोषणा बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। इसी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि ऑपरेशन ग्रीन को और ज्यादा बढ़ावा दिया जाएगा।

बता दें की इस योजना के अंतर्गत पहले टमाटर, प्याज और आलू आते थे पर अब इसके अंतर्गत बाकी सभी फल और सब्जियों को भी लाया जाएगा। इसके अलावा इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया जाएगा जो बहुत सारे किसानों को लाभ पहुँचाएगा।

इस योजना से जो खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं उन्हें बचाया जा सकेगा साथ ही साथ किसानों को विपरीत परिस्थितियों में कम मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ेगी। इस योजना के अंतर्गत सभी फल सब्जियों के परिवहन पर 50% और स्टोरेज पर भी 50% की सब्सिडी दी जाएगी।

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क्या अम्फान का मानसून पर भी होगा असर, वैज्ञानिकों में मतभेद, जानें कब आएगा मानसून

Will Amphan effect the monsoon, differences in scientists, know when monsoon will come

अंफन (अम्फान) चक्रवात इस सदी के पहले सुपर साइक्लोन में परिवर्तित हो गया है और इसके कारण भारत के पूर्वी हिस्से में भीषण बरसात और तूफानी हवाएं चलीं। इस सुपर साइक्लोन का कितना असर आने वाले मानसून पर पड़ेगा इसको लेकर मौसम वैज्ञानिकों के बीच थोड़े मतभेद हैं।

जहाँ कुछ मौसम वैज्ञानिकों ने इस तूफ़ान की वजह से मानसून के आगमन में 4 दिन के देरी की संभावना व्यक्त की थी वहीं मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के वैज्ञानिकों का मनना है कि मॉनसून इस साल भी अपनी रफ्तार पर रहेगा और तय तारीख 1 जून से दो दिन पहले यानी 28 मई को केरल तट पर दस्तक देगा।

स्काइमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने इस विषय पर कहा की, “दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अंडमान सागर और आसपास के इलाकों में अपने समय से 5 दिन पहले पहुंच चुका है। इसको केरल के तट पर पहुंचने में अमूमन 10 दिन और लगते हैं। हालांकि, अंडमान सागर और केरल में मॉनसून के आगमन का देश के बाकी हिस्सों में आने से संबंध नहीं है।”

स्रोत: आजतक

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जानें क्या है हर्बल खेती जिसे आत्मनिर्भर पैकेज से मिलेंगे 4000 करोड़ रुपये

Know what is herbal farming which will get 4000 crores from Aatm Nirbhar Bharat Package

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। इस बड़े पैकेज़ का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगाया जाने वाला है जिसकी घोषणा बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। सरकार कृषि के अंतर्गत आने वाले हर छोटे बड़े क्षेत्र पर बड़ी रकम खर्च करने जा रही है। इसी कड़ी में सरकार की तरफ से हर्बल खेती के क्षेत्र में 4000 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई है।

क्या है हर्बल खेती?
हर्बल खेती के अंतर्गत किसान उन पौधों की खेती करते हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों और पर्सनल केयर उत्पाद बनाने में होता है। इसके अंतर्गत अश्वगंधा, तुलसी, एलोवेरा, अतीश, कुठ, कुटकी, करंजा, कपिकाचु, शंखपुष्पी आदि जैसे औषधीय पौधों की खेती होती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हर्बल खेती की चर्चा करते हुए बताया कि इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए 4000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। उन्होंने बताया की अगले दो साल में 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर हर्बल फ़सलों की खेती की जाएगी।

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महातूफान अम्फान से हो सकती है बारिश और ओलावृष्टि, किसान बरतें ये सावधानियां

Amphan Cyclone may cause rain and hailstorm, farmers should take these precautions

बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान अम्फान ने सोमवार को बेहद विकराल रूप ले लिया है। करीब 195 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्र रफ्तार से यह तूफान 20 मई की शाम को पश्चिम बंगाल के तट पर दस्तक देगा। इसका प्रभाव पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों में भी देखने को मिल सकता हैं।

हालांकि मध्यप्रदेश तक पहुँचते पहुँचते तूफान की रफ्तार घटकर 35 से 40 किमी प्रति घंटा रह जाएगी परन्तु इसके बाद भी तेज हवा चलने के साथ बारिश और ओलावृष्टि की संभावना बनी रहेगी। मौसम विभाग का मानना है कि अगले 24 घंटे में यह तूफान मध्यप्रदेश में दस्तक देगा।

बहरहाल 35 से 40 किमी प्रति घंटा वाली तेज हवा के साथ बारिश और ओले कृषि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ग़ौरतलब है की आजकल भारी मात्रा में कृषि उपज मंडी और खरीदी केंद्रों पर पहुँच रही है। खरीदी केंद्रों पर इन दिनों हजारों क्विंटल गेहूं खुले में रखा है जिसे नुकसान हो हो सकता है। साथ तेज हवा के साथ बारिश होने से प्याज सहित अन्य सब्जियों को भी नुकसान हो सकता है।

चक्रवात के असर को देखते हुए किसान बरतें ये सावधानियां 

  • ग्रीष्म मूंग की फसल के पकने की अवस्था पर तुरंत कटाई शुरू कर दें या जल  निकास के उचित प्रबंधन के लिए पास में एक फीट गहरी नाली खोद दें ताकि पानी खेत में ज्यादा देर तक ना ठहरे और ज़मीन जल्दी सुख जाए।
  • बारिश होने के बाद या पहले डीकम्पोजर के रूप में 4 किलो स्पीड कम्पोस्ट और 45 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में बिखेर दें ताकि फसल अवशेष जल्दी से सड़ कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सके।
  • जहाँ मूंग/उड़द की फसल हरी अवस्था में है वहां इस तूफान के बाद आसमान साफ़ होने पर रोगों से बचाव के लिए 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 250 मिली एजॉक्सीस्ट्रोबीन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3 SC या 300 ग्राम क्लोरोथेलोनिल 75 WP नामक दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
  • इल्ली दिखाई देने पर मूंग/उड़द की फसल 100 मिली लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरेन्थानिलीप्रोल 9.3% ZC दवा को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ छिड़काव कर दें। 
  • फसल कटाई के बाद उपज को खुले खेत में न रखकर किसी छपरे, कमरे, गोदाम अथवा ऐसी जगह रखें जहाँ बारिश का पानी न आये तथा आसमान साफ होने पर तेज धुप में इन्हे सूखा लें ताकि नमी से मूंग/उड़द के दाने खराब न हों। 
  • कपास और मिर्च की नर्सरी में भी जल निकास का उचित प्रबंधन करें ताकि खेत में पानी ज्यादा देर तक न रुक सके।
  • आसमान के साफ़ होने पर कपास और मिर्च नर्सरी में कवकनाशी (फफूंदनाशी) का प्रयोग करें। जिसमें 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP नाम की दवा को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। और कीट आक्रमण न हो इसके लिए 100 ग्राम थायोमेथोक्सोम 25% WG  या 100 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% SP प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
  • सब्जियों के खेत में भी जल निकास का अच्छा प्रबंधन कर लें और रोग से बचाव के लिए 300 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या 250 मिली एजॉक्सीस्ट्रोबीन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3 SC या 300 ग्राम क्लोरोथेलोनिल 75 WP नामक दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें। 
  • सब्जियों की फसल में इल्ली दिखाई देने पर 100 मिली लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरेन्थानिलीप्रोल 9.3% ZC दवा को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर दें।
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